इच्छा मृत्यु मांगने वाली महिला जज को मिली जान से मारने की धमकी
Banda Judge Threatening Letter Case: बांदा की वो महिला जज एक बार फिर सुर्खियों में हैं जिन्होंने CJI से इच्छा मृत्यु की मांग की थी। इस बार उन्हें जान से मारने की धमकी का एक लेटर मिला है
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Banda Judge: किसी जज को अगर जान से मारने की धमकी मिले, और वो भी किसी महिला जज को, तो क्या होगा? सवाल अटपटा जरूर है मगर जवाब सीधा सा, कि इस खबर के सामने आते ही हर तरफ सनसनी फैल जाएगी। ऐसी ही सनसनी उत्तर प्रदेश में फैली है क्योंकि बांदा जिले की एक महिला जज को एक रजिस्टर्ड लेटर मिला है जिसमें जान से मारने की धमकी दी गई है। ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस महिला जज को ये धमकी भरा लेटर मिला है वो जज कोई और नहीं बल्कि वहीं हैं जिन्होंने कुछ अरसा पहले एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ संगीन इल्जाम लगाते हुए इच्छा मुत्यू की इजाजत मांगी थी और उनके इस फैसले से पूरे मुल्क में सनसनी फैल गई थी।
रजिस्टर्ड डाक से आया लेटर
खबर का खुलासा यही है कि महिला जज को उनके आवास पर 28 मार्च को एक रजिस्टर्ड लेटर मिला। इस रजिस्ट्री पर भेजने वाले की जगह आर एन उपाध्याय का नाम लिखा हुआ है। और जिस लिफाफे में ये चिट्ठी भेजी गई उस पर एक मोबाइल नंबर भी लिखा हुआ है। नंबर 9415802XXX...
जज ने लिखाई तीन लोगों के नाम रिपोर्ट
धमकी भरी इस चिट्ठी के मिलने के बाद महिला सिविल जज ने तीन लोगों के खिलाफ साजिश रचने का इल्जाम लगाया और कोतवाली पुलिस के पास मामला दर्ज करा दिया है। महिला जज ने पुलिस में जिन तीन लोगों के नाम रिपोर्ट लिखाई है उनके नाम रविंद्र नाथ दुबे, अनिल शुक्ल और कृष्णा द्विवेदी हैं। महिला जज का इल्जाम है कि इन्हीं तीन लोगों की तरफ से साजिशन ये पत्र भेजा गया है। महिला जज का ये भी कहना है कि हालांकि रजिस्ट्री के ऊपर रवि उपाध्याय का नाम लिखा है लेकिन ये असल में फर्जी है। लिहाजा जिस पोस्ट ऑफिस से ये पत्र आया है वहां के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करवाई जाए।
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सीसीटीवी फुटेज खंगालना शुरू
महिला जज की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मुकदमादर्ज करने के साथ साथ आरोपियों की तलाश शुरू भी कर दी और जिस डाक घर से ये पत्र भेजा गया वहां के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगालना शुरू कर दिया है। यहां सबसे गौर करने वाला पहलू ये है कि धमकी भरी चिट्ठी जिस महिला जज को भेजी गई है उन्होंने चार महीने पहले अपनी बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला जज ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में यह भी साफ किया है कि उनके प्रार्थना पत्र पर उच्च न्यायालय के माध्यम से यौन उत्पीड़न की जांच की जा रही है।
पिछले साल दिसंबर में मांगी थी इच्छा मृत्यु
वैसे इन्हीं महिला जज का जिक्र पहली बार पिछले साल दिसंबर में जब हुआ था तो पूरे देश में तहलका मच गया था क्योंकि महिला न्यायिक अधिकारी ने दो पन्नों की एक चिट्ठी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ को लिखी थी। उस चिट्ठी में महिला जज ने बाकायदा इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी थी। एक जज के इस इच्छा मृत्यु मांगने वाले फैसले को सुनकर पूरा देश सन्नाटे में आ गया था।
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखी अपनी चिट्ठी में महिला जज ने अपने साथ हुई बदसलूकी का जिक्र किया था। चिट्ठी में महिला जज ने लिखा था
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” मुझे अब और जीने की तमन्ना नहीं है, मैं पिछले डेढ़ साल से जिंदा लाश की तरह हूं...अब मेरे जीवित रहने का कोई उद्देश्य नहीं है, कृपया मुझे मेरा जीवन सम्मानपूर्ण तरीके से समाप्त करने की अनुमति प्रदान करें’’।
न्यायिक अधिकारी के खिलाफ महिला जज की चिट्ठी
महिला जज ने उसी चिट्ठी में बाराबंकी के न्यायिक अधिकारी का जिक्र किया था। महिला जज का इल्जाम था कि बाराबंकी में उनकी तैनाती के दौरान जिला जज उन्हें प्रताड़ित करते थे। महिला जज का ये इल्जाम बेहद संगीन था कि जिला जज ने न सिर्फ गालियां दी बल्कि उन्हें रात के समय मिलने के लिए बुलाते थे।
महिला जज ने 14 दिसंबर को CJI को पत्र लिखा था। अपने पत्र में महिला जज ने आरोप लगा था कि जिला जज और सहयोगियों ने मिलकर उनके साथ यौन उत्पीड़न किया। अपने पत्र में महिला जज ने शिकायत लिखी थी
‘मेरी नौकरी के थोड़े से समय में मुझे ओपन कोर्ट के डायस पर दुर्व्यवहार का दुर्लभ सम्मान मिला है। मेरे साथ हर सीमा तक यौन उत्पीड़न किया गया। मेरे साथ कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं बेकार का कीड़ा मकौड़ा हूं। अपने पत्र में महिला जज ने आगे लिखा था कि अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगी...तो मैं आपको बता दूं, कि मैं नहीं कर सकी। मैं जज हूं। सिविल जज ने अपने पत्र के आखिर में एक सवाल भी उठाया, “ जब मैं खुद निराश हूं तो मैं दूसरों को क्या इंसाफ दूंगी?”
हाईकोर्ट में मामला लंबित
महिला जज का ये आरोप जैसे ही सामने आया तो सुर्खियों में छा गया था। महिला जज ने आशंका जाहिर की है कि हो न हो इस चिट्ठी के जरिए जान से मारने की धमकी का संबंध उसी मामले से हो जो इस वक़्त हाईकोर्ट में लंबित है। महिला जज का कहना है कि इस धमकी भरे पत्र के मिलने के बाद से ही वो बेहद डरी हुई हैं और पुलिस से मदद मांग रही हैं। पुलिस ने इस मामले में फौरी तौर पर मुकदमा दर्ज करके मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।
पुलिस आई एक्शन में
इस पूरे मामले में कोतवाली के एसएचओ अनूप दुबे का कहना है कि महिला जज की शिकायत के बाद फौरन केस दर्ज कर लिया गया है और अब आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इसी सिलसिले में सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। पुलिस का ऐसा मानना है कि सीसीटीवी के जरिए वो उस शख्स तक पहुँच सकते हैं जिसने ये धमकी भरा पत्र रजिस्टर्ड डॉक से भिजवाया है। पुलिस अफसर का कहना है इस मामले में आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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