क्यों घिरने लगी है NCB अपने ही बनाए चक्रव्यूह में....

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क्यों घिरने लगी है NCB अपने ही बनाए चक्रव्यूह में....
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ना तो एनसीबी को ड्रग्स केस में कोई बड़ा खुलासा करना था, या किसी बड़ी गिरफ्तारी की ख़बर देनी थी। बल्कि एनसीबी के इतिहास में शायद ये पहला मौक़ा था, जब एनसीबी को खुद पर लगे इल्ज़ाम की सफ़ाई देने के लिए इस तरह पूरी टीम के साथ सामने आना पड़ा। सवाल ये है कि आख़िर ऐसी क्या मजबूरी थी कि एक केंद्रीय जांच एजेंसी को इस तरह अपनी सफ़ाई के लिए मीडिया बुलानी पड़ी?

क्या एनसीबी ने क्रूज पार्टी जांच में कोई गड़बड़ी की है? क्या एनसीबी ने आर्यन ख़ान को सिर्फ़ पब्लिसिटी के गिरफ्तार किया? क्या एनसीबी ने किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता के इशारे पर इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया? और क्या एनसीबी ने इस पूरे ऑपरेशन के दौरान ज़रूरी नियम और क़ानून के साथ खिलवाड़ किया? और सबसे बड़ा सवाल ये कि आख़िर एनसीबी पर वो कौन सा संगीन इल्ज़ाम लगा, जिसकी वजह से उसे इस तरह प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी?

एनसीबी को अपनी ईमानदारी का बखान क्यों करना पड़ रहा है, पहले ये समझ लीजिए। दरअसल... शनिवार को ही एनसीबी की प्रेस कांफ्रेंस से पहले महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर दो दिन के अंदर दूसरी बार एनसीबी पर क्रूज़ पार्टी की रेड और आर्यन ख़ान की गिरफ्तारी को लेकर कई गंभीर इल्ज़ाम लगाए।

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कुल मिलाकर, नवाब मलिक का कहना था कि 2 अक्टूबर की रात एनसीबी ने 8 नहीं बल्कि ग्यारह लोगों को हिरासत में लिया था। लेकिन फिर इनमें से तीन लोगों को छोड़ दिया। छोड़े गए इन तीन लोगों के नवाब मलिक ने नाम भी बताए... ऋषभ सचदेवा, प्रतीक गाबा और आमिर फर्नीचरवाला...

नवाब मलिक की मानें तो ऋषभ सचदेवा भारतीय जनता पार्टी के नेता मोहित कंबोज के साले हैं। नवाब मलिक ने ये भी इल्ज़ाम लगाया कि जिन गवाहों की गवाही पर क्रूज़ पर छापे मारे गए, वो दोनों यानी मनीष भानुशाली और केवी गोसावी पहले से ही एनसीबी और समीर वानखेड़े के संपर्क में थे।

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इनमें से मनीष भानुशाली बीजेपी का कार्यकर्ता है। नवाब मलिक ने बाक़ायदा मांग की कि समीर वानखेड़े के मोबाइल की जांच होनी चाहिए। कॉल डिटेल से इन दोनों गवाहों और समीर वानखेड़े का रिश्ता साफ़ हो जाएगा। जिन तीन लोगों को बिना किसी कार्रवाई के छोड़ा गया, उसके लेकर नवाब मलिक ने भी कहा कि उनके रिश्तेदार भी 2 अक्टूबर की रात एनसीबी दफ्तर पहुंचे थे।

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उन्हें दफ्तर के अंदर किस हैसियत से आने दिया गया? गवाह महज़ गवाह भर होता है। मगर मनीष भानुशाली और केवी गोसावी जिस तरह एनसीबी के दफ्तर आ और जा रहे थे, जिस तरह आर्यन के साथ सेल्फ़ी ले रहे थे, वो सबकुछ एनसीबी की मर्ज़ी से हो रहा था। ऐसा क्यों?

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नवाब मलिक के इन्हीं इल्ज़ामों के कुछ घंटे बाद ही एनसीबी के दफ्तर के बाहर एनसीबी के आला अफ़सर अपनी सफ़ाई देने के लिए मीडिया से रू ब रू हुए। एनसीबी के मुताबिक दो अक्टूबर की रात उसने 11 नहीं बल्कि 14 लोगों को हिरासत में लिया था।

और तीन नहीं बल्कि 6 को छोड़ दिया था। हालांकि जांच का हवाला देते हुए एनसीबी ने उन छह नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया। जबकि इनमें से तीन नाम का खुलासा नवाब मलिक कुछ घंटे पहले ही कर चुके थे।

अब सवाल ये है कि जब इल्ज़ाम गले तक है, तो फिर एनसीबी उन छह नामों को छुपा क्यों रही है? क्या इन छह नामों का ताल्लुक ऊंचे रसूखदार या राजनीतिक घराने से है? सवाल ये भी है कि हिरासत में लेने के कुछ देर बाद ही इन्हें क्यों छोड़ दिया गया? क्या इतनी जल्दी जांच पूरी हो गई थी? और अगर ये सचमुच बेक़सूर थे, तो फिर क्रूज़ से इन छह लोगों को बाक़ी आठ लोगों के साथ एनसीबी दफ्तर लाया ही क्यों गया?

अब बात गवाहों की। एनसीबी के मुताबिक क्रूज पर होनेवाले ड्रग्स पार्टी से जुड़े कुल नौ गवाह थे। इनमें से किसी भी गवाह को एनसीबी 2 अक्टूबर से पहले नहीं जानती थी। यहां तक कि मनीष भानुशाली और केवी गोसावी को भी नहीं।

लेकिन जब एनसीबी से पूछा गया कि इन दोनों के साथ एनसीबी 2 अक्टूबर से काफी पहले से ही संपर्क में थी, तब एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने अचानक ने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि फिलहाल वो इस पर कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ सकता है।

एनसीबी खुद को बचाने के लिए बार-बार ये दलील देती रही कि अगर उसका केस फ़र्ज़ी होता, तो अदालत आरोपियों को ना पुलिस हिरासत देती और ना न्यायिक हिरासत में उन्हें जेल भेजती। हालांकि एनसीबी ये भूल गई कि चवन्नी ग्राम ड्रग्स के मामले में भी अदालत अक्सर आरोपियों को पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत में भेज देती है।

एनसीबी पर जो सबसे संगीन इल्ज़ाम लगा है, वो ये कि आर्यन ख़ान के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ। फिर भी उसे गिरफ्तार किया गया। सिर्फ़ पब्लिसिटी के लिए। वैसे रिमांड रिपोर्ट और पंचनामे में खुद एनसीबी ने भी माना है कि आर्यन ख़ान के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ था। लेकिन साथ ही एनसीबी ने ये भी कहा कि आर्यन ड्रग्स लेते हैं।

अब यहां पर एक अहम सवाल खड़ा होता है और ये सवाल अदालत में आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे ने उठाया भी। दरअसल, ड्रग्स मामले में जब भी कोई गिरफ्तारी होती है, तो आरोपी के ब्लड या यूरिन की जांच की जाती है।

जिससे ये पता चलता है कि उसने ड्रग्स लिया है या नहीं? मगर कमाल की बात है कि एनसीबी ने पांच दिनों तक अपनी हिरासत में रखने के बावजूद आर्यन ख़ान का ब्लड या यूरिन टेस्ट नहीं कराया। क्यों? अगर टेस्ट कराया गया होता, तो कम से कम इतना तो साफ़ हो जाता कि आर्यन ड्रग्स लेता है या नहीं?

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क़ानूनी जानकारों के मुताबिक एनसीबी ने ऐसा जानबूझ कर नहीं किया। अगर एनसीबी आर्यन का ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट कराती और रिपोर्ट निगेटिव आ जाती, तो आर्यन को उन्हें फौरन रिहा करना पड़ता। क्योंकि खुद एनसीबी के मुताबिक आर्यन के पास से ड्रग्स बरामद नहीं हुआ था।

अब जब उसने ड्रग्स लिया भी नहीं, उसके पास से ड्रग्स मिला भी नहीं और उसने ड्रग्स खरीदा या बेचा भी नहीं, ड्रग्स सिंडिकेट के साथ उसका कोई प्रोफ़ेशनल रिश्ता भी नहीं, तो फिर एनसीबी किस बिनाह पर उसे हिरासत में रख पाती? हालांकि एनसीबी के एक्सपर्ट के मुताबिक जिस वक़्त आर्यन को क्रूज़ से हिरासत में लिया गया, तब पार्टी शुरू नहीं हुई थी ना ही तब किसी ने ड्रग्स ली थी।

शायद इसीलिए एनसीबी ने आर्यन का ब्लड टेस्ट नहीं कराया। हालांकि ये वही एनसीबी है, जिसने 2012 में मुंबई के जुहू इलाके में एक रेव पार्टी पर दबिश डाली थी। इस दबिश के दौरान क़रीब सौ लोगों को हिरासत में लिया गया था। इनमें बहुत से सेलिब्रिटी और क्रिकेटर भी थे।

तब इन सभी के ब्लड और यूरिन सैंपल लिए गए थे। इनमें से 99 फीसदी लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। उसी हिसाब से उनके खिलाफ़ कार्रवाई भी की गई। ये एनसीबी की रूटीन में शामिल है। मगर क्रूज केस में ऐसा ना करना, एनसीबी की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

कुल मिलाकर, एनसीबी पर जो ताज़ा इल्ज़ाम लग रहे हैं, वो इस संस्था के लिए अच्छे नहीं हैं। वैसे भी एनसीबी पर हमेशा ये इल्ज़ाम लगते रहे हैं कि वो छोटे-मोटे ड्रग पेडलर को तो पकड़ती है, सितारों की अपने दफ्तरों में परेड भी कराती है, मगर नशे की दुनिया के बड़े सौदागर हमेशा उसकी पहुंच से दूर ही रहते हैं। सबसे ताज़ा ताज़ा इल्ज़ाम गुजरात के मुंब्रा पोर्ट को लेकर लगा है। जहां कई हज़ार करोड़ के ड्रग्स तो पकड़े गए, मगर गुनहगार एनसीबी की गिरफ्त से अब भी दूर ही हैं।

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