Umesh Pal Murder Update: खुल जा 'सिम सिम' का मंत्र जप रही उत्तर प्रदेश की पुलिस, सिम और मोबाइल के नए पेंच में उलझी उमेश पाल हत्याकांड की गुत्थी
Umesh Pal Murder Update: प्रयागराज हत्याकांड में अब यूपी पुलिस गुत्थी को सुलझाने में एक्सप्रेस की रफ्तार से जुटी हुई है...और इसी सिलसिले में पुलिस ने ये पता लगा लिया है कि हत्याकांड में शामिल हुए शूटरों को अतीक के बेटे असद ने मोबाइल और सिम दिए। ब
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खुल जा सिम सिम" । उत्तर प्रदेश पुलिस को अब इसी मंत्र का सहारा है क्योंकि इसी मंत्र में अब प्रयागराज हत्याकांड की सारी गुत्थियां और उनका हल कैद है...शायद इसीलिए पुलिस ने एक ऐसा सनसनीखेज खुलासा किया है जिससे पुलिस पर उठ रही सवालिया निशान की उंगलियां कुछ देर के लिए थम सी गई हैं। क्योंकि यूपी पुलिस का दावा है कि इस हत्याकांड में सबसे अहम किरदार निभाने वाले और माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद ने ही 16 मोबाइल और 16 सिम खरीदे थे। और अगर पुलिस के सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए इस नई कड़ी में ही पूरी हत्याकांड की पूरी साज़िश का तानाबाना छुपा हुआ है।
असल में प्रयागराज शूटआउट को 19 दिन गुज़रने को हैं...और 19 दिन बाद अब पुलिस जिस नए खुलासे के साथ आगे बढ़ती दिखाई दे रही है उसने एक तरह से पुलिस की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है...क्योंकि पुलिस सूत्रों के अनुसार हत्याकांड को अंजाम देने से पहले अतीक अहमद के बेटे और शूटरों के लीडर असद अहमद ने 16 मोबाइल और 16 सिम खरीदे थे। ये तमाम सिम और मोबाइल फर्जी नाम और पते से खरीदे गए जो पहले से ही एक्टिव थे...यानी प्री एक्टिवेटेड सिम खरीदकर असद ने हर शूटर को तीन तीन मोबाइल और तीन तीन सिम दिए थे। मगर इस पूरी साजिश का एक अहम खुलासा ये है कि माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल थी। इसके पुख्ता सुबूत मिलने पर शूटरों के साथ अब शाइस्ता भी एसटीएफ के निशाने पर आ चुकी है। वहीं एसटीएफ को एक फरार शूटर के बारे में भी पुख्ता जानकारी हाथ लगी है।
एसटीएफ की पड़ताल में सामने आया है कि उमेश की हत्या की योजना बनाने के लिए अतीक, उसका भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता, बेटा असद आपस में व्हाट्सएप ग्रुप कॉल के जरिए बातचीत कर रहे थे। जांच में ये बात सामने आ गई है कि सामने आया है कि उमेश पाल की हत्या के बाद असद ने सारे शूटरों के मोबाइल जमा कर लिए थे और उनको नए मोबाइल और सिम दिए थे। उसने सबके मोबाइल पर व्हाट्सएप एक्टिवेट करके इसके जरिए ही संपर्क करने को कहा था।
इसके अलावा पुलिस के ये भी पता चल चुका है कि बरेली जेल में 11 फरवरी को अशरफ से असद, शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान, गुड्डू मुस्लिम और गुलाम मिलने गए थे। जेल में अशरफ से मुलाकात के लिए आने वालों को रोका नहीं जाता था। उनके हाथ पर मुहर लगाकर अंदर भेज दिया जाता था और मुलाकात रजिस्टर में उनका नाम-पता दर्ज नहीं होता था। बरेली जेल में हुई इस गैरकानूनी मुलाकातों की सीसीटीवी फुटेज प्रयागराज पुलिस को सौंप दी गयी है जिसकी एसटीएफ भी गहराई से छानबीन कर रही है।
खुलासा ये भी हुआ है कि हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शाइस्ता ने हर एक को एक ₹एक एक लाख रु दिए और हत्याकांड को अंजाम देने के बाद हर एक शूटर से पुराने सिम और मोबाइल को छोड़ देने को कहा गया था। फिलहाल पुलिस के सामने यही सबसे बड़ी लीड आई है जिसका सिरा पकड़कर अब हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने में लगी हुई है...
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