Earthquake updates- तुर्की और सीरिया में आई जलजले ने की भयंकर तबाही, सड़कों पर बिखरे सैकड़ों शव
तुर्की और सीरिया में आए जलजले ने भारी तबाही पैदा कर दी है। इन दोनों ही देशों में मरने वालों की तादाद अब तक हज़ारों का आकंड़ा पार कर चुकी है जबकि यहां हजारों की संख्या में बिल्डिंगें धराशायी हो गई। अमेरिका समेत भारत और रूस ने भी तुर्की की मदद करने
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भूकंप में तबाह हुई इमारत से जिंदा इंसानों को निकालने की कोशिश
सोमवार की सुबह तुर्की और सीरिया में आया जलजला अपने साथ तबाही का एक बड़ा और जबरदस्त मंजर साथ लाया। ज़मीन के नीचे करीब 18 किलोमीटर पर बने भूकंप के एपिकसेंटर की वजह से ज़मीन के ऊपर आलम बर्बादी की कहानी सुना रहा था। तबाही का मलबा चारो और बिखरा नज़र आया। अब तक इस भूकंप की चपेट में आए इलाक़ों में करीब पांच हज़ार लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि पांच हजार से कहीं ज़्यादा बिल्डिंग जमीन पर मलबे में तब्दील हो गईं। तबाही का ये मंजर तुर्की के अलावा सीरिया में भी देखने को मिल रहा है।
तुर्की के गाजियांटेप में आए इस भूकंप की चपेट में तुर्की और सीरिया बुरी तरह से इसकी जद में आए। और वहां सरेआम आसमान के नीचे तबाही का मलबा आसानी से नज़र आ जाएगा। गाजियानटेप सीरिया की सीमा से करीब 90 किलोमीटर दूर है। लेकिन सीरिया में भी भूकंप के तेज़ झटके लगे।
बीते 100 सालों के दौरान तुर्की में आया ये शायद सबसे ज़बरदस्त भूकंप था। अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक भूकंप के बाद भी झटके लगने का सिलसिला था नहीं और करीब 77 झटके वहां लोगों ने महसूस किए। सबसे बड़ा झटका 7.8 की तीव्रता वाला था जबकि तीन झटके 6.2 तीव्रता वाले महसूस हुए। इन तेज़ झटकों का असर ये हुआ कि तुर्की और सीरिया में इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर पड़ी।
हालांकि अभी तक मरने वालों का सही आंकड़ा तो सामने नहीं आ सका है, क्योंकि अभी जलजले की चपेट में आई बिल्डिंगों के मलबे में सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है, जिन्हें बाहर निकाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
तुर्की में हुई इस तबाही में राहत और बचाव का कार्य करने के लिए पूरी दुनिया के कई देशों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। उधर यूनिसेफ भी तुर्की सरकार के संपर्क में बनी हुई है। और आपदा और आपातकालीन प्रबंधन के साथ साथ इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए यूनिसेफ ने अपना मिशन शुरू कर दिया है। इसी बीच भारत, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और रूस ने भी इस आफतकाल में तुर्की को मदद देने का न सिर्फ फैसला किया बल्कि राहत और बचाव की टीमों को मौके के लिए रवाना भी कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से बात की और उन्हें अमेरिकी मदद का भरोसा दिलाया। इसी बीच रूस ने भी क़रीब 300 सैनिकों की करीब 10 टीमों को सीरिया में राहत और बचाव कार्य के लिए भेज दिया है।
हालांकि इस राहत और बचाव कार्य में लगी टीमों को मौसम की जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू टीम के हेलिकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं, इसके अलावा तुर्की और सीरिया के कई इलाकों में भारी बर्फबारी की भी खबर है। ऐसे में तापमान की गिरावट भी राहत कार्य में अड़चन पैदा कर रही है।
इसी बीच भारत ने अपनी NDRF की दो टीमों को तुर्की भेजने का फैसला किया और साथ ही डॉक्टरों का एक दल राहत सामग्री लेकर तुर्की भेजा जा रहा है।
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