टाइटैनिक टूरिज्म वाली पनडुब्बी में अब खत्म हो गई आक्सीजन? कैसे सांस ले रही होंगी पांच जिंदगियां!
titanic sub search more rescue equipment : कनाडा के पास गहरे समंदर में एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चल रहा है जिसका मकसद है उस पनडुब्बी का पता लगाना जो टाइटैनिक का मलबा देखने के लिए पांच लोगों को लेकर गहरे समंदर में उतरी थी। रविवार के बाद से वो पनडुब्बी स
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Titanic tourist sub hours before air runs out: ओशनगेट एक्सपीडिशंस (OceanGate Expeditions) टाइटन पनडुब्बी (Tourist submersible exploring) नॉर्थ अटलांटिक महासागर के गहरे पानी में कहां गुम हो गई, इस वक़्त बस यही चिंता पूरी दुनिया को सता रही है। टाइटैनिक टूरिज्म (Titanic Tourism) के लिए मशहूर पनडुब्बी ने पांच लोगों को लेकर गहरे समंदर में गोता लगाया था। लेकिन रविवार को समंदर में उतरी वो पनडुब्बी कहां लापता हो गई किसी को कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। आलम ये है कि उस पनडुब्बी में सवार पांच लोगों की जिंदगी अब पूरी तरह से मौत के चंगुल में जाकर फंसी महसूस हो रही है। टाइटैनिक का मलबा दिखाने के लिए समंदर में 3800 मीटर नीचे उतरी वो पनडुब्बी असल में रविवार को डेढ़ घंटे के बाद ही गुमशुदा हो गई थी। उस पनडुब्बी में पांच लोगों के लिए उस रोज 96 घंटे के लिए ऑक्सीजन थी, लेकिन अब इस लापता पनडुब्बी की कोख में मौजूद लोगों की जिंदगी पर संकट गहरा गया है क्योंकि पनडुब्बी की ऑक्सीजन करीब करीब खत्म हो चुकी है।
समंदर में तलाश हुई तेज
इसी लिए कनाडा के पास डूबी उस पनडुब्बी का पता लगाने के लिए समंदर से लेकर आसमान की ऊंचाइयों से झांककर देखने की कवायद तेज हो गई है। आसमान से झांका जा रहा है गहरे समंदर में, क्योंकि समंदर की तलहटी में खो गई एक 'पनडुब्बी'।टाइटैनिक का मलबा देखने गई पनडुब्बी डूबी, और कहा जा रहा है कि अब जानलेवा हो गई गहरे समंदर की 'गोताखोरी, सवाल यही उठ रहा है कि डूबे 'टाइटैनिक' (Titanic ) को देखने गए पांच लोग क्या डूब गए? कनाडा और अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों के कोस्टगार्ड समंदर की एक एक लहर को खंगालकर देखने की कोशिश में हैं ताकि उत्तरी अटलांटिक महासागर की गहराई में उतरे गुम लोगों को तलाश किया जा सके।
बदनसीब है टाइटैनिक
सवाल ये भी है कि क्या टाइटैनिक वाकई बदनसीब है, या उसको देखने वालों का नसीब खराब हो जाता है? ताज्जुब करेंगे लेकिन इस वक़्त ये सवाल पूरी दुनिया में तैर रहा है। क्योंकि एक बार फिर अटलांटिक महासागर में टाइटेनिक की वजह से एक बड़ा हादसा पेश आया है। मंगलवार को अटलांटिक महासागर में एक बचाव दल रवाना किया गया जो लापता हुई एक उस सबमरीन की तलाश के लिए निकला जिस पर धन्नासेठ सवार थे। ये सभी के सभी उस पनडुब्बी में सवार होकर उस टाइटेनिक का मलबा देखने के लिए गहरे समंदर में उतरे थे, जो करीब एक सदी पहले इसी गहरे और ठंडे समंदर में डूब गया था।
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पांच धन्नासेठों को लेकर गई थी पनडुब्बी
बताया जा रहा है कि जो लोग पनडुब्बी में सवार होकर टाइटैनिक के मलबे को देखने और उसका डाक्यूमेंटेशन के लिए जा रहे थे उनका कहीं कोई अता पता नहीं है। जिस पनडुब्बी पर सवार होकर पांच लोगों ने गहरे समंदर में गोता लगाया उस पनडुब्बी का नाम है सबमर्सिबल टाइटन। कार्बन फाइबर से तैयार ये पनडुब्बी असल में ओशनगेट एक्सपेडिशंस का हिस्सा है। इस पनडुब्बी में एक चालक यानी कैप्टन के अलावा चार धन्ना सेठ हैं। जिनमें ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध बिजनेसमैन के अलावा एक पाकिस्तानी उद्योग घराने के दो लोग हैं।
रविवार को सुबह छह बजे उतरी थी समंदर में
ओशनगेट के एडवाइजर डेविड कॉनकैनन के मुताबिक ये पनडुब्बी बीते रविवार की सुबह 6 बजे समंदर में उतरी थी। और जिस वक़्त इस पनडुब्बी ने गहरे समंदर में गोता लगाया था उस समय उसके पास करीब 96 घंटे की ऑक्सीजन थी। लेकिन तीन दिन गुज़र जाने के बाद अब लोगों में घबराहट बढ़ने लगी है क्योंकि पनडुब्बी की ऑक्सीजन लगातार कम हो रही है। ऐसे में पनडुब्बी में सवार लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है और उनके जिंदा लौटने की उम्मीद लगातार कम होती जा रही हैं।
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एक घंटा और 45 मिनट के बाद संपर्क टूटा
बताया जा रहा है कि इस पनडुब्बी का रेडियो संपर्क आखिरी समय में कनाडा के एक रिसर्च आइसब्रेकर पोलर प्रिंस जहाज के साथ बना हुआ था। लेकिन गोता लगाने के करीब एक घंटा और 45 मिनट के बाद ही इसका संपर्क टूट गया। अमेरिकी कोस्ट गार्ड के ट्विटर में दावा किया गया है कि पोलर प्रिंस रात भर पानी की सतह पर लगातार खोज कर रहा है। अब प्लान ये है कि कनाडा का बोइंग पी -8 पोसीडॉन टोही विमान समंदर के ऊपर उड़ान भरकर पनडुब्बी की टोह लेने की कोशिश करेगा। शिप ट्रैकिंग सैटेलाइट डेटा के मुताबिक मंगलवार को पोलर प्रिंस सुबह के वक़्त सेंट जॉन्स से करीब 680 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में मौजूद था।
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रोबोटिक सर्च ऑपरेशन चलाया
इसी बीच खबर ये सामने आई कि कनाडा के कोस्टगार्ड को समंदर की गहराई से कुछ आवाजें सुनाई दीं, जिसको लेकर दुनिया भर में उम्मीद जागी है। अमेरिकी तटरक्षकों ने कहा कि धमाके की आवाज कहां से आई इसका पता लगाने के लिए मंगलवार को सर्च टीमों ने पानी के नीचे ROV यानी रोबोटिक सर्च ऑपरेशन चलाया।
तलाश का इलाका बहुत बड़ा
लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के मरीन इंजीनियरिंग के प्रोफेसर प्रोफेसर एलिस्टर ग्रेग, कील यूनिवर्सिटी के फोरेंसिक जियोसाइंस में रीडर डॉक्टर जैमी प्रिंगल, और ब्रिटिश अंटार्टिक के मरीन जियोफिजिस्ट डॉक्टर रॉब लार्तर ने भी उस आवाज के बारे में अध्ययन और रिसर्च शुरू कर दिया है जो कनाडा के कोस्टगार्ड ने समंदर से निकलती तरंगों को सुना। लार्तर का कहना है कि जिस इलाके में सर्च ऑपरेशन चल रहा है वो इलाका काफी बड़ा है। लार्तर का कहना है कि अब तक सामने आई तमाम रिपोर्ट के मुताबिक सुनी गई आवाजों की पहचान की जा रही है लेकिन सर्च ऑपरेशन का इलाका बहुत बड़ा है। ऐसे में इस बात का पता लगाना बेहद मुश्किल है कि आखिर वो आवाज समंदर के किस हिस्से से आई है।
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