6 महिला IPS सिंघम ! महिलाओं के हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी, 6 महिला IPS अधिकारी संभाल रही है दिल्ली को

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महिलाओं के हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी

6 महिला IPS अधिकारी संभाल रही है दिल्ली को

पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने लिया फैसला

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अब देश की राजधानी दिल्ली के 6 जिलों की कमान महिला IPS अधिकारी संभाल रही है। दरअसल, पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की ओर से ये फैसला लिया गया है। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में यूं तो एक से बढ़कर एक काबिल अफसर हैं, लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि कमिश्नर राकेश अस्थाना (CP Rakesh Asthana) ने पुरुष अधिकारियों के मुकाबले महिला IPS अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा जताया है। दरअसल इस बार एक साथ 3 महिला IPS अधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट संभालने की जिम्मेदारी दी गई, जिसके बाद 13 में से 6 जिलों की कानून व्यवस्था की कमान महिला अफसरों के पास पहुंच गई है।

क्यों दी गई महिला IPS अधिकारियों को तरजीह ?

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दिल्ली पुलिस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब महिला अधिकारियों की एक साथ इतनी बड़ी भूमिका में तैनाती की गई है। शनिवार को चली 'तबादला एक्सप्रेस' में तीन महिला IPS अधिकारियों को डिस्ट्रिक का डीसीपी बनाया गया है।

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उनके नाम हैं

श्वेता चौहान - डीसीपी - सेंट्रल डिस्ट्रिक

ईशा पांडे - डीसीपी - साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक

बेनीता मैरी - डीसीपी - साउथ डिस्ट्रिक

इससे पहले तीन महिला IPS बतौर डीसीपी पहले से ही अलग - अलग डिस्ट्रिक में तैनात है। इनके नाम हैं

उषा रंगनानी - नार्थ वेस्ट डिस्ट्रिक

प्रियंका कश्यप - ईस्ट डिस्टि्क

उर्वीजा गोयल - वेस्ट डिस्ट्रिक

यानी अब राजधानी के कुल 13 डिस्ट्रिक में से 6 डिस्ट्रिक में महिला IPS अधिकारी बतौर डीसीपी काम कर रही है। जिन तीन महिला IPS अधिकारियों को जिम्मा सौंपा गया है। उनके बारे में बताते हैं आपको। निर्भया गैंग रेप के दौरान ट्रेनी आईपीएस अधिकारी बेनीता मैरी को उसी जिले की कमान सौंपी गई है जहां से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। एक जुझारू लेडी ऑफिसर के तौर पर जाने वाली बेनीता पहले सातवीं बटालियन में तैनात थी। वहीं पीसीआर (PCR) में तैनात ईशा पांडेय को साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक का मोर्चा सौंपा गया है। IPS ईशा पांडे ने पीसीआर (PCR) में रहते हुए भी कई सहरानीय काम किये थे। वहीं दिल्ली पुलिस मुख्यालय की डीसीपी श्वेता चौहान को सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट का डीसीपी बनाया गया है। श्वेता चौहान को भी एक तेज तर्रार महिला अधिकारी के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की सबसे महत्वपूर्ण इकाई क्राइम ब्रांच के इंटर स्टेट सेल की डीसीपी मोनिका भारद्वाज भी एक महिला अधिकारी हैं।

पर असलियत ये भी ?

जानकार मानते हैं कि इसे रूटीन ट्रांसफर के तौर पर देखा जाना चाहिए, लेकिन डिस्ट्रिक का डीसीपी किसे बनाना है ?, क्यों उसे बनाना है ?, ये अधिकार सिर्फ पुलिस कमिश्नर के पास होता है और कोशिश यही रहती है कि बेच के और काबिलियत के हिसाब से पोस्टिंग मिले, लेकिन इसमें एक चीज का होना और जरूरी है और वो है कि सेटिंग का। इसे कुछ इस तरह से समझिए। किस अधिकारी की सेटिंग बड़े बड़े नेताओं से लेकर होम मिनिस्ट्री और पुलिस के आला अधिकारियों तक है, ये बहुत मैटर करता है। कई बार इसी के हिसाब से भी पोस्टिंग मिलती है। इसलिए ये भी देखा गया है कि जब भी कोई नया पुलिस कमिश्नर आता है , वो अपने जानकार या यूं कहें कि सिफारिशियों को ही मलाई पोस्टिंग देता है, लेकिन कई अधिकारियों के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो सिर्फ और सिर्फ काम को ही प्राथमिकता देते है। ऐसे अधिकारी काम को प्राथमिकता देने के साथ साथ ये चीज भी देखते हैं कि फलां पुलिस अधिकारी उनके कितने करीब है, क्योंकि काम तो सब ही कर लेते है। इसके साथ साथ ये भी सच्चाई है कि हर राज हर किसी को नहीं बता सकता अधिकारी, लिहाजा उसे ऐसे अधिकारियों की जरूरत होती है, जो उसके कलोज हो। ये भी सच है कि कई अधिकारी किसी खेमे में नहीं होते है लिहाजा कई बार उनको भी बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाती है, लेकिन ऐसा ज्यादातर तभी होता है , जब कोई पोस्ट खाली होती है और कई बार उस वक्त कोई 'बेहतर विकल्प' मौजूद नहीं होता है।

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