IIT कानपुर में फैशन डिजाइनर के कातिल को 16 साल बाद उम्रकैद की सजा, मर्डर करके केमिकल से जलाया था शव

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कानपुर से रंजय सिंह की रिपोर्ट

Kanpur, UP: पूरे 16 साल बाद मुंबई के फैशन डिजाइनर आदेश बाजपेई की हत्या के जुर्म में कानपुर आईआईटी के पूर्व छात्र राहुल वर्मा को सीबीआई की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 16 साल पहले 10 अगस्त 2008 को मुंबई से कानपुर आए फैशन डिजाइनर आदेश बाजपेई कानपुर आई आईटी से अचानक लापता हो गए थे। करीब 13 दिन के बाद 23 अगस्त 2008 को आईआईटी कैंपस से ही एक बोरे में बंद लाश मिली थी जिसकी पहचान बाद में आदेश बाजपेई के तौर पर हुई थी।

बोरे में बंद मिला था कंकाल

उस समय इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था। बोरे में बंद लाश की जांच और पहचान कराने के लिए आदेश के पिता को हाई कोर्ट तक की शरण लेनी पड़ी थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही बोरे में बंद कंकाल का जब डीएनए कराया गया तब जाकर आदेश की पहचान मुकम्मल हो पायी थी। इसके बाद ही वो मामला  सीबीआई के हवाले किया गया था। 

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सीबीआई ने दिए 44 गवाह, 66 दस्तावेज और 16 सबूत

जांच के बाद सीबीआई में इस मामले में 44 का गवाह पेश किया जबकि बचाव पक्ष की तरफ ने 6 गवाह पेश किए थे। सीबीआई ने कातिल राहुल वर्मा को सजा दिलाने के लिए 44 गवाह, 66 दस्तावेज और 16 साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए। 

10 अगस्त 2008 को हुआ था फैशन डिजायनर लापता

ये पूरा मामला कुछ इस तरह था कि आदेश बाजपेई मुंबई में फैशन डिजाइनर था और लखनऊ में एक आईपीएस अधिकारी की पत्नी के साथ मिलकर कारोबार भी करता था। इसी सिलसिले में आदेश 3 अगस्त 2008 को मुंबई से ट्रेन के जरिए लखनऊ आया था।  उसके बाद 10 अगस्त को वह अपने मामा के लड़के विवेक त्रिवेदी से मिलने कानपुर के मूलगंज आया था। रात में मूलगंज में ही विवेक ने उसको उसके ही कहने पर छोड़ दिया था। उस वक्त आदेश ने ही विवेक को बताया था कि उसका एक दोस्त आईआईटी कानपुर से मिलने के लिए आने वाला है। मूलगंज में ही रात को विवेक ने राहुल वर्मा के साथ आदेश को छोड़ दिया था। उसके बाद से आदेश का कहीं कोई पता नहीं चला था। 

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23 अगस्त को मिला था कंकाल

जब कई दिन तक आदेश का कहीं कोई पता नहीं चला था तो 13 अक्टूबर 2008 को आदेश के पिता सूर्यकुमार बाजपेई ने मूलगंज थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मगर पुलिस आदेश को ढूंढ़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी। इसी बीच 23 अगस्त को कानपुर में आईआईटी कानपुर के बॉयज हॉस्टल के पीछे बोरे में बंद मानव अंग के मिलने की सूचना मिली। IIT परिसर के पीछे जंगलों में सफाई के दौरान मजदूरों को बोरे में नरकंकाल मिला था।

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आजतक के रिपोर्टर की पहल

ये सूचना सबसे पहले आजतक के रिपोर्टर को ही मिली जिसकी इत्तेला खुद कानपुर में आजतक के रिपोर्टर रंजय सिंह ने उस वक्त कल्याणपुर के एएसपी रहे सुभाष शाक्य को दी। तब सुभाष शाक्य के साथ पुलिस टीम ने जाकर एक गड्ढे से एक बैग में मानव नर कंकाल बरामद किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि बोरे में बंद कंकाल किसी नर मानव का है।

आईआईटी के छात्र पर जताया शक

मूलगंज थाने में ही आदेश बाजपेई के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज थी जिस पर आदेश के के पिता ने बेटे के अपहरण के लिए आईआईटी के छात्र राहुल वर्मा पर शक जताया था। लेकिन लखनऊ के एक बड़े अधिकारी से संबंध होने की वजह से पुलिस ने राहुल वर्मा के बारे में कोई तहकीकात नहीं की थी तब आदेश के पिता सूर्यकुमार बाजपेई ने हाईकोर्ट की शरण ली और तब जाकर उस नरकंकाल का डीएनए टेस्ट करवाया गया जिसमें इस बात की पुष्टि हो सकी कि मिला नर कंकाल आदेश वाजपेई का ही है। 

सीबीआई जांच के बाद 2012 में राहुल गिरफ्तार

अगस्त 2008 की इस वारदात के खुलासे से IIT Kanpur की देशभर में किरकिरी हुई थी। राहुल वर्मा ने IIT से M.Tech किया था। उस समय उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार थी। सरकार में एक बड़े अधिकारी के साथ राहुल वर्मा से अच्छे और खास संबंध की वजह से पुलिस ने राहुल वर्मा से पूछताछ तक नहीं की गई थी। तब आदेश वाजपेई के पिता सूर्यकुमार वाजपेई ने फिर हाई कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए गुहार लगाई। आखिरकार साल 2012 में हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई जांच के बाद 24 जनवरी 2012 को राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया जा सका।

समलैंगिक गे क्लब के मेंबर

राहुल वर्मा पर जांच करने वाले दरोगा ने अपनी रिपोर्ट में पाया था कि आदेश आखिरी में राहुल वर्मा के पास ही मिलने गया था उसके बाद से गायब हो गया था। सीबीआई की जांच में पता चला था कि आदेश वाजपेई और राहुल वर्मा समलैंगिक गे क्लब के मेंबर थे। आईआईटी कानपुर का छात्र राहुल वर्मा 10 अगस्त को उसे लेकर अपनी बाइक से चला गया था। जांच में पता चला था 10 अगस्त की रात को ही राकेश वर्मा ने आदेश की हत्या कर दी थी। उसके बाद एक बैग में उसकी हड्डियों को भरकर केमिकल डालकर जला दिया और आईआईटी के पीछे जाने वाली सड़क के पास एक खाली प्लॉट में गड्ढा खोद के दफना दिया था। 

16 साल बाद मिली सजा

अपनी पूरी जांच के बाद सीबीआई में इस मामले में 44 का गवाह पेश किया जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 6 गवाह पेश किए गए। सीबीआई के स्पेशल प्रॉसीक्यूसन अधिकारी आशीष कुमार सक्सेना के मुताबिक सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा ने राहुल वर्मा को 16 साल बाद आदेश वाजपेई की हत्या का दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास और 80000 का जुर्माना लगाया है।

इंसाफ के लिए लंबी लड़ाई

इस मामले पर आदेश के पिता सूर्यकुमार बाजपेई का कहना है कि अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए सूर्यकुमार बाजपेई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई जांच हो सकी और तब जाकर पूरा केस खुल सका। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही 24 जनवरी 2012 को राहुल वर्मा को लखनऊ से सीबीआई में हिरासत में लेकर जेल भेजा गया था।

सीबीआई ने दो मामले हाथ में लिए

इस हत्याकांड के बाद सीबीआई ने दो मामले अपने हाथ में लिए थे। एक मामला आईआईटी-कानपुर परिसर के एक सुरक्षा गार्ड की रिपोर्ट के आधार पर एक बोरे में मानव अवशेष पाए जाने से संबंधित और दूसरा बाजपेई के पिता की तरफ से दर्ज कराई गई गुमशुदगी की रिपोर्ट से जुड़ा था। सीबीआई ने 20 अप्रैल 2012 को लखनऊ के रहने वाले आरोपी राहुल वर्मा के खिलाफ सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ की अदालत में एक सामान्य आरोप पत्र दायर किया था। 

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