बिट्टा कराटे ने अब बदला अपना चोला, घाटी को ख़ून से लाल करने वाला अब करने लगा ये काम

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हाल के दिनों में बिट्टा कराटे की तलाश तेज़ हुई

The Kashmir Files: द कश्मीर फ़ाइल पिक्चर देखने के बाद हर कोई बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद डार से खार खाए बैठा है। पिक्चर देखकर असर ये हो रहा है कि जिसको देखो वहीं इस कश्मीर के कसाई को अपने अपने हिसाब से अपने अपने हिस्से की गालियां दे रहा है।

बिट्टा कराटे ने कश्मीर में जो कुछ भी किया, जिस तरह से क़त्ल-ए-आम मचाया उसके बाद पूरा हिन्दुस्तान अब ये जानने को बेताब है कि आखिर ये बिट्टा कराटे नाम का वो शैतान आज कल कहां है किस हाल में है।

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क्योंकि 1991 में दिए अपने इंटरव्यू में बिट्टा कराटे ने अपने लिए जो सज़ा तजवीज की थी, क्या उसको वही सज़ा मिली या फिर उसका कोई और अंजाम हुआ? इस सवाल का जवाब हासिल करने के लिए हर कोई इन दिनों गूगल खंगाल रहा है।

जेल में ही बंद है बिट्टा कराटे, मगर चोला बदलकर

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The Kashmir Files: बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद डार इस वक़्त जेल में है। लेकिन वो तभी से जेल में है ऐसा बिलकुल भी नहीं है।

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1990 में घाटी में जब बिट्टा और उसके जैसे ISI के इशारे पर काम करने वाले कश्मीर के भटके हुए नौजवानों ने जब क़त्ल-ए-आम मचाना शुरू किया तो घाटी से कश्मीरी पंडित वहां से अपनी और परिवार के लोगों की जान को बचाने की गरज से वहां से भागने को मजबूर हो गए। इसी बीच 22 जनवरी 1990 को ही सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने फारूक अहमद डार को श्रीनगर में गिरफ़्तार कर लिया।

उस पर 20 मुकदमें भी दर्ज हुए। गिरफ़्तार होने के बाद बिट्टा कराटे अगले 16 साल तक जेल में ही रहा। लेकिन 2006 में TADA की अदालत से बिट्टा को ज़मानत मिल गई। अदालत ने उसकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कहा कि उसके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत न होने की वजह से उसकी ज़मानत को खारिज करने की कोई वजह नहीं है, लिहाजा उसे ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है।

सबूतों की कमी से टूट गई बेड़ियां

The Kashmir Files: ज़मानत पर रिहा होने के बाद बिट्टा कराटे जब कश्मीर में अपने इलाक़े गुरू बाज़ार पहुँचा तो उसका ज़बरदस्त तरीक़े से स्वागत किया गया था। उसे फूल मालाओं से लाद दिया गया गया । लेकिन जेल से बाहर आने के बाद बिट्टा ने आतंकवाद का रास्ता छोड़कर राजनीति में कदम रखा। जो बिट्टा कभी भारत और पाकिस्तान दोनों से ही कश्मीर की आज़ादी का हिमायती हुआ करता था, उसके मुंह पर अब भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत करके समस्या का हल निकालने का जुमला था।

कश्मीर की हरी वादी को खून से लाल करने वाला बिट्टा जेल से निकलने के बाद कश्मीर मुद्दे को लेकर सुलह समझौते की अपीलें करता घूम रहा था। अपने इसी दांवपेच से बिट्टा जल्दी ही JKLF का चीफ़ भी बन गया।

जांच एजेंसियों के रडार पर है बिट्टा कराटे

The Kashmir Files: मगर वो कभी भी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के रडार से दूर नहीं हुआ। इसी बीच 2019 में जब कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ जिसमें भारतीय सुरक्षा बल के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए तो सुरक्षा एजेंसियों ने अपना शिकंजा और कस दिया था, जिसकी वजह से आतंकियों की तमाम तंजीमों की फंडिंग रूक गई। इसी बीच JKLF को आतंकी संगठन घोषित करते हुए उस पर पाबंदी लगा दी गई।

चूंकि बिट्टा ने 1991 के अपने इंटरव्यू में इस बात को सबके सामने कुबूल किया था कि उसे और कई अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी ISI ने अच्छी खासी रकम दी थी, ताकि उस रकम से वो घाटी में दहशतगर्दी बढ़ा सके। लिहाजा उसी इंटरव्यू की वजह से बिट्टा कराटे एक बार फिर 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA के रडार पर आ गया।

मार्च 2019 में NIA ने कश्मीर के कई अलगाववादियों को गिरफ़्तार किया उसमें बिट्टा कराटे भी शामिल था। बस तभी से बिट्टा कराटे जेल में बंद है।

यानी बिट्टा कराटे अभी भी ज़िंदा है और जेल में बंद है। मुमकिन है कि आज नहीं तो कल वो बाहर आ ही जाएगा और सियासत के जरिए उन लोगों पर हुक्म चलाएगा जिनके घरवालों का उसने कभी खून बहाया था।

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