Terror conspiracy case: टेरर का टारगेट थी पीएम मोदी की रैली, उर्दू की इबारत में दिखी दहशत की दास्तां
Terror conspiracy case: लखनऊ में एनआईए की विशेष अदालत ने आईएसआईएस के आठ आतंकियों को दोषी करार दिया है और सात आतंकियों को सजाएमौत और एक आतंकी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है।
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लखनऊ में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA की एक विशेष अदालत ने आईएसआईएस से ताल्लुक रखने वाले सात आतंकियों को सज़ा-ए-मौत की सज़ा सुनाई है जबकि एक आतंकी को उम्र कैद की सज़ा दी है। एनआईए की कोर्ट ने आतंकी वारदात को अंजाम देने की फिराक में लगे आठ आतंकियों को दोषी माना है। कोर्ट ने सभी आठ आतंकियों को मल्जिम से मुजरिम करार देते हुए सात को फांसी और एक को उम्र कैद की सज़ा सुनाई है।
इन सभी आतंकियों पर कानपुर उन्नाव रेलवे ट्रैक पर बम रखने का आरोप साबित हुआ है। जबकि इनमें से कुछ कुछ आतंकी तो भोपाल उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट में भी लिप्त मिले।
जिस सात आतंकियों को सजा-ए-मौत दी गई है उनमें मोहम्मद फैसल, एयरफोर्स से रिटायर्ड गौस मोहम्मद, मोहम्मद अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हसन, आसिफ इकबाल उर्फ रॉकी और मोहम्मद आतिफ इरानी को आतंकी साजिश में शामिल होने का दोषी पाया गया।
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एनआईए कोर्ट के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को देर शाम अपना फैसला सुनाया। जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मोहम्मद आतिफ ईरानी को उम्र कैद की सज़ा सुनाई है।
एनआईए की तफ्तीश में जो कुछ भी सामने आया वो बेहद चौंकानें वाला था। लखनऊ के जिस कमरे में आतंकी सैफुल्ला एनकाउंटर में मारा गया था, वहां से जो सबूत पुलिस और एनआईए को मिले वो तो और भी ज़्यादा चौंकानें वाले साबित हुए। क्योंकि इन्हीं सबूतों में वो सुराग भी थे जो अभी सिर्फ इबारतों में ही शक्ल ले सके थे। हकीकत में उनका वजूद ज़मीन पर नहीं था। मगर वो सारे थे बड़े खतरनाक। उसी कमरे से मिले दस्तावेजों में कुछ ऐसे दस्तावेज थे जो उर्दू में लिखे हुए थे। और उन्हीं उर्दू की इबारतों में दहशत की खौफनाक दास्तां दर्ज थी। असल में सैफुल्ला के कमरे से केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को एक टारगेट लिस्ट मिली थी, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली का भी ज़िक्र था।
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मतलब साफ है कि इन आतंकियों के मंसूबे बेहद खतरनाक थे और टेरर का टारगेट प्रधानमंत्री मोदी की रैली भी थी। इन्हीं सुरागों और सबूतों की वजह से ये मुकदमा इतनी जल्दी फांसी के तख्ते तक जा पहुँचा।
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एनआईए के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दबोचे गए आतंकियों में से तीन ऐसे थे जो सीरिया जाने की तैयारी में थे। ये भी कहा जा रहा है कि तीनों ने सीरिया जाने की कई बार कोशिश की थी, मगर उनके मंसूबे पूरे नहीं हो सके।
इन आतंकियों का उस्ताद था एयरफोर्स से रिटायर गौस मोहम्मद, जबकि इनका लीडर था आतिफ मुजफ्फर। एनआईए के मुताबिक ISIS के साहित्य को पढ़ पढ़कर इस खुरासान मॉड्यूल ने देश को दहलाने का मंसूबा पाल रखा था। और इसी मंसूबों को मद्देनज़र इन लोगों ने एक रिटायर्ड प्रिंसिपल की हत्या और उज्जैन ट्रेन में धमाका करके एक तरह से खुद को आजमाया भी था और अपनी तैयारियों का ट्रायल लिया था।
आतंक की इस टोली ने साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ रैली को अपनी टारगेट लिस्ट में काफी ऊपर लिख रखा था। इसके अलावा उन्नाव में शिया जुलूस, पुष्पक एक्सप्रेस और बाराबंकी की देवा मजार भी इस मॉड्यूल के निशाने पर थी।
जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो लखनऊ के जिस कमरे में सैफुल्ला एनकाउंटर में ढेर हुआ था वहां जांच एजेंसी को कई अहम सबूत और सुराग मिले थे। जिनमें ज़्यादातर में उर्दू में लिखावट थी। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट ने उन लिखावटों की तस्दीक की और ये भी बताया कि ये लिखावट आतिफ की है। बाद में आतंकियों से पूछताछ में इन तमाम तथ्यों की पुष्टि भी हुई।
जांच की चार्जशीट में ये भी लिखा है कि इन आतंकियों में से आतिफ और सैफुल्लाह ने साल 2016 में लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में बम प्लांट किया था मगर वो बम फटा ही नहीं। असल में उस रैली में मोदी की सुरक्षा के मद्देनज़र ऐशबाग मैदान में तगड़ी सुरक्षा बंदोबस्त की वजह से दोनों आतंकी भीतर नहीं दाखिल हो सके थे, लिहाजा इन लोगों ने बाहर चाट के एक ठेले के पास कुड़े दान के नज़दीक आईडी प्लांट की थी। गरज ये थी कि इस आईडी ब्लास्ट में रैली में आई भीड़ निशाना बन जाएगी और उनके कारनामों का पैगाम सीरिया में बैठे ISIS के आकाओं तक पहुँच जाएगा और इन लोगों को और बड़ी जिम्मेदारी मिल जाएगी।
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