तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े की रणनीति में बदलाव कर अब इस PLAN को एक्शन में लाने की हुई तैयारी .

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तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े की रणनीति में बदलाव कर अब इस PLAN को एक्शन में लाने  की हुई तैया...
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अफगान सरकार के मुकाबले तालिबान का अब अफगानिस्तान के ज्यादा इलाकों पर कब्जे की खबर है... तालिबान ने अफगानिस्तान पर बड़ी रणनीतिक बढ़त भी हासिल कर ली है... इसलिए उसने बनाया है खतरनाक प्लान... तालिबान ने अफगानिस्तान के बॉर्डर इलाकों पर तेजी से कब्जा करना शुरु कर दिया है...

एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक... तालिबान ने पाकिस्तान, ईरान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को जोड़ने वाले हेरात, फरहा, कंधार, कुंदुज, तखर और बदख्शां प्रांतों से होकर गुजरने वाले उन सात छोटे-बड़े रास्तों पर कब्जा कर लिया है

सीमावर्ती इलाकों पर कब्जा करके तालिबान अफगानिस्तान की वर्तमान सरकार की कमर तोड़ना चाहता है... ताकि अशरफ गनी सरकार खुद ब खुद तालिबान के सामने घुटने टेक दे... वो भी बिना किसी खून-खराबे के...फिलहाल राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार का अभी पाकिस्तान और ईरान से लगती कई सीमा चौकियों पर कब्जा है.... लेकिन तालिबान ने अपनी रणनीति बदल दी है...

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दरअसल तालिबान ने अपने खतरनाक प्लान के मुताबिक अफगानिस्तान की वर्तमान सरकार को जमीनी तौर पर दुनिया से काटना चाहता है... ताकि वहां रसद-पानी की कमी हो जाए और सरकार खुद ही उसके आगे सरेंडर कर दे...

तालिबान ने जिन सीमावर्ती चौकियों पर कब्जा कर लिया है उनके जरिए पड़ोसी देशों से माल की ढुलाई होती है.. इन चौकियों के जरिये 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात-निर्यात होता है... सीमा चौकियों पर कब्जा करने की वजह से अफगान सरकार के राजस्व और सप्लाई में कमी आई है... उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ शेष दो सीमा क्रॉसिंग को लेकर सरकार और तालिबान लड़ाकों के बीच अभी जोवजान और बल्ख प्रांतों में भयंकर लड़ाई चल रही है. यहां सीमा व्यापार अनुमानित 1.7 अरब डॉलर का है.

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अफगान विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान रणनीतिक रूप से प्रशासन... युद्ध... ऊर्जा और यहां तक कि खाद्य पदार्थों के आयात-निर्यात वाले रास्तों को बाधित करने पर फोकस कर रहा है....अगर हालात ऐसे ही रहे तो वो दिन दूर नहीं...जब अफगानिस्तान पर तालिबान का राज होगा...पावर ऑफ बैलेंस भी तालिबान के पक्ष दिख नहीं रहा...

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यदि तालिबान की आक्रामकता इसी तरह जारी रही और उसने अन्य रास्तों को भी अपने कब्जे में ले लिया तो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के अलावा जो शहर अफगान सरकार के कब्जे में हैं...वहां पर जल्द ही भोजन और ऊर्जा की भारी कमी हो सकती है....

विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान जल्द ही आयात-निर्यात पर भारी शुल्क और टैक्स वसूलना शुरू कर देगा... जैसा कि उन्होंने 1990 के दशक के अंत में किया था... ताकि उनके राजस्व में वृद्धि हो और वे जंग में अपनी ताकत को बढ़ा सकें...

वैसे तालिबान नेतृत्व का दावा है कि वे शहरों के अंदर जंग नहीं लड़ेंगे... अफगान शहरों को बर्बादी से बचाने के लिए ही वो रसद पानी रोकने पर अड़े हैं...

संयुक्त अरब अमीरात को अफगानिस्तान का निर्यात 1 अरब डॉलर पाकिस्तान 544 मिलियन डॉलर

भारत 485 मिलियन डॉलर

अमेरिका को 35.6 मिलियन डॉलर

और चीन 29.1 मिलियन डॉलर का है

जबकि अफगानिस्तान का कुल आयात का पाकिस्तान से 14%

रूस से 13%

उज्बेकिस्तान से 11%

ईरान से 9.1%

और चीन से 9%

इनके अलावे अफगानिस्तान तुर्कमेनिस्तान, जापान और कजाकिस्तान से भी सामान आयात करता है...

अगर तालिबान इसी तरीके से अफगानिस्तान के कारोबार को रोकते रहे तो वो दिन दूर नहीं है... जब वर्तमान अफगान सरकार की कमाई का जरिया रुक जाएगा... और सरकार खुद ब खुद तालिबान के सामने सर झुकाकर खड़ी हो जाएगी...

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