गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को जमानत दी
Godra Train Burning Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड में आजीवन कारावास की सजा पाए आठ लोगों को जमानत दे दी.
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Godra Train Burning Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड (Godra Train Burning Case) में आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा पाए आठ लोगों को जमानत दे दी। ट्रेन की बोगी को आग लगाए जाने के बाद पूरा गुजरात सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गया था। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने उन्हें राहत देते हुए इस बात पर ध्यान दिया कि वे कितना समय जेल में बिता चुके हैं और उनकी अपीलों के जल्द ही निस्तारण के लिए लिए जाने की संभावना नहीं है। पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि दोषियों को सत्र न्यायालय द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा किया जाए।” शीर्ष अदालत ने हालांकि चार दोषियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।
Godra Train Burning Case:सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा घटना में उनकी भूमिका को उजागर करते हुए उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया गया था। जिन याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिका खारिज हुई थी उनकी तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पीठ से उनकी अर्जियों पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कल त्योहार है। गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले मेहता ने पहले कहा था कि यह केवल पथराव का मामला नहीं है, क्योंकि दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी थी जिससे 59 यात्रियों की मौत हो गई थी। सजा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं लंबित हैं। गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को ट्रेन की एस-6 बोगी में आग लगाए जाने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में दंगे भड़क उठे थे। उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2017 के अपने फैसले में गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में 11 दोषियों को दी गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। उसने 20 अन्य को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था।
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