Supreme Court में खड़े खड़े बाबा रामदेव करने लगे 'डरासन', सुप्रीम कोर्ट ने भी हिन्दी में डांटा
Supreme Court and Ramdev case: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते हुए कहा जा सकता है कि बाबा राम देव के अच्छे दिन खत्म हो गए। तभी तो बाबा रामदेव की ऐसी बेइज्जती इससे पहले कभी होती नहीं देखी गई।
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Supreme Court Against Patanjali Case: लगता है इन दिनों बाबा रामदेव के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। दस साल पहले जिन बाबा रामदेव के कहने पर लाखों लोग सरकार पलटने निकल पड़े थे। जिन बाबा रामदेव की बात लोग बड़े ध्यान से सुनते हैं। दिन ऐसे फिरे कि अब इस वक्त बाबा रामदेव की कोई नहीं सुन रहा। दूसरों की क्या कहें देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबा रामदेव की बात को सुनने से मना कर दिया। यानी आज से पहले और आज से ज्यादा बाबा रामदेव की बेइज्जती होते कभी नहीं देखी गई।
कोर्ट में अटेंशन खड़े बाबा रामदेव
असल में पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अब इसे ही कहते हैं समय का फेर, जिन बाबा रामदेव का नाम लेकर कोई भी वकील कोर्ट में खड़ा हो जाता था, उसकी बात सुननी और माननी लगभग पक्की मान ली जाती थी। बाबा रामदेव का कोर्ट में हाजिर होना कतई जरूरी नहीं था। लेकिन अब वो समय नहीं चल रहा। सुप्रीम कोर्ट में जब पतंजलि के विज्ञापन के मामले की सुनवाई चल रही थी, बाबा रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट में अटेंशन देकर खड़े रहे।
बाबा को दिखने लगा हथौड़े का डर
सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े का ये डर है कि बिना किसी चूं चपड़ के बाबा रामदेव वक्त से पहले ही जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले पहुँच गए। लेकिन बाबा रामदेव पहले ही इतना कह सुन चुके हैं कि अब सुप्रीम कोर्ट ये तय कर चुका है कि बाबा रामदेव को समझा दिया जाएगा कि कोर्ट ऑफ लॉ और कानून का राज क्या होता है। तभी तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैये दिखाते हुए स्वामी रामदेव का बिना शर्त माफी का हलफनामा स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया।
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हलफनामा स्वीकार करने से इनकार
इससे पहले 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में पतंजलि की तरफ से माफीनामा जमा किया गया था।सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने इस मामले में सुझाव दिया था कि बिना शर्त के माफी मांगी जाए। कोर्ट ने स्वामी रामदेव का बिना शर्त माफी का हलफनामा स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि तीन-तीन बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की गई है। इन लोगों को माफी देने का तो सवाल ही नहीं उठता। इन लोगों ने गलती को है और इनको अब नतीजा भुगतना ही होगा इसीलिए हम हलफनामे को ठुकरा रहे हैं।
बेंच ने वकील को सुनाई खरी खरी
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, आप हलफनामें में धोखाधड़ी कर रहे हैं, इसे किसने तैयार किया? मुझे आश्चर्य है। जब जस्टिस कोहली ने कहा कि आपको ऐसा हलफनामा नहीं देना चाहिए था। इस पर सुप्रीम कोर्ट के बेहद सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमसे चूक हुई है। तब सुप्रीम कोर्ट ने वकील साहब को खरी खरी सुना दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चूक! बहुत छोटा शब्द. वैसे भी हम इस पर फैसला करेंगे। कोर्ट ने कहा कि हम इसको जानबूझ कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना मान रहे हैं।
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गलती की तो भुगतना पड़ेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमारे आदेश के बाद भी? हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। हम हलफनामा को ठुकरा रहे हैं ये केवल एक कागज का टुकड़ा है लेकिन हम भी अंधे नहीं हैं! हमें सब दिखता है, इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोगों से गलतियां होती हैं, तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फिर गलतियां करने वालों को भुगतना भी पड़ता है। फिर उन्हें तकलीफ़ उठानी पड़ती है। हम इस मामले में तो कम से कम इतने उदार नहीं होना चाहते।
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ड्रग अफसरों को सस्पेंड करो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इन तीनों ड्रग्स लाईसेंसिंग अधिकारियों को अभी सस्पेंड कीजिए। ये लोग आपकी नाक के नीचे दबदबा बनाते हैं, आप इसे स्वीकार करते हैं? आयुर्वेद दवाओं का कारोबार करने वाली उनसे भी पुरानी कंपनियां हैं। अदालत का मजाक बनाकर रख दिया। इनका कहना है कि विज्ञापन का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना है, मानो वे दुनिया में आयुर्वेदिक दवाएं लाने वाले पहले व्यक्ति हैं।
अधिकारी को लगाई कड़ी फटकार
कोर्ट ने कहा, हमें रिपोर्ट दें जिसमें 3 नोटिस दिए गए थे। उसके बाद क्या करवाई हुई है? ड्रग्स विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर मिथिलेश कुमार को हिंदी में डांटते हुए कोर्ट ने कहा, 'आपको शर्म आनी चाहिए। आपने किस आधार पर कहा कि दोषियों को चेतावनी दी जाएगी? आपने इस मामले में किस लीगल डिपार्टमेंट या एजेंसी से सलाह ली? इससे ज्यादा हिंदी में हम नहीं समझा सकते।
नौकरी कर चुके घर पर बैठिये
क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई हो! क्यों ना माना जाए कि इसमें आपकी मिलीभगत भी थी। आपने बिना एक्ट में देखे वार्निंग की बात लिखी, एक्ट में कहां बस की बात है? लोग मर जाएं आप वार्निंग देते रहें। आपने बहुत नौकरी कर ली, अब घर बैठिए, आपको बुद्धि नहीं आई है।
एक शख्स की याचिका की खारिज
इस दौरान एक शख्स ने अपनी याचिका में इस बात का जिक्र किया कि मेरी मां ने इस विज्ञापन पर भरोसा किया था लेकिन उनको फायदा नहीं हुआ। कोर्ट ने दस हजार रुपए दंड के साथ वो याचिका खारिज कर दी। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने अदालत में सुर्खियां बंटोरने के लिए बीच में कूदते हुए ऐसी याचिका कैसे दाखिल की? ये गलत नीयत से दाखिल की गई है।सुप्रीम कोर्ट ने उस जयदीप निहारे की याचिका खारिज कर दी जिसने पक्ष बनने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि 10 हजार रुपए के जुर्माने को एडवोकेट वेलफेयर फंड में एक हफ्ते के भीतर भरना होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा 2019 में आपकी माता जी की मौत हुई आप इतने सालों तक क्या कर रहे थे?
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