SC के फैसले के बाद उठा बड़ा सवाल, छावला की बेटी का कौन है हत्यारा, कौन था वो बेरहम जानवर?
Chhawla Rape Supreme Court Verdict : अदालत का एक फलसफा है, या यूं भी कहें कि न्याय (Justice) का एक तकाज़ा है कि भले ही दस गुनहगार बच जाएं, मगर किसी बेगुनाह (Innocent) को सजा नहीं होनी चाहिए।
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Court News: भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शायद इसी तर्ज पर एक बड़ा फैसला किया और छावला गैंगरेप के मामले में हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए इस संगीन मामले के आरोपियों को बरी कर दिया।
11 साल तक चले इस मुकदमे के बाद एक बार फिर वो परिवार उसी सवाल के इर्द गिर्द आकर खड़ा हो गया जिसका जवाब दिए बगैर देश की सबसे बड़ी अदालत ने हथौड़ा चला दिया।
सवाल ये है कि अगर जो आरोपी बरी किए गए हैं...उन्होंने ये गुनाह नहीं किया। तो फिर उस मासूम बच्ची का गुनहगार कौन है। किसी ने तो उसके साथ घिनौनी हरकत की। कोई तो है जिसने उसकी ज़िंदगी की सांसे तोड़ दी। किसी ने तो उस हंसते खेलते परिवार की हंसी छीन ली, जो बीते 11 सालों से अदालत के चक्कर काट काटकर अब बस राहत की सांस लेने वाला था।
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ज़रा सोचकर देखिये उस पल को जब सोमवार की दोपहर फरवरी 2012 के गैंगरेप और हत्या के मामले में तीनों आरोपियों को देश की सबसे बड़ी अदालत ने जैसे ही बरी किया कि तो उस मृतक लड़की की मां फूट फूटकर रो पड़ी। आंसुओं में छलका दर्द शायद अदालत की चौखट के पार ही खड़ा रहा, एकदम बेबस,,,और मायूस।
Chhawla News: जिस वक़्त सुप्रीम कोर्ट इस केस की फाइल को पढ़कर अपना फैसला सुनाने वाली थी सोमवार को उस वक़्त सुप्रीम कोर्ट के भीतर और बाहर अच्छा खासा मजमा लग गया था। दूर दूर से लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को क़रीब से सुनने के लिए पहुँचे थे।
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गरज ये थी कि सुप्रीम कोर्ट कोई ऐसा फैसला ज़रूर सुनाएगा ताकि ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों को न सिर्फ कड़ी सज़ा मिले बल्कि एक संदेश भी जाएगा कि इस तरह के गुनाहों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े के आवाज बाहर तक आई तो चारो तरफ सन्नाटा छा गया। सुबकते हुए लोग किसी तरह वहां से निकल जाना चाहते थे...बिना किसी से बात किए या किसी से कोई सवाल किए।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक एक बहस जरूर होने लगी। कि जिस केस में निचली अदालत और उसके बाद हाईकोर्ट ने पीड़ित लड़की को इंसाफ दिया था तो क्या उन लोगों ने सही नहीं किया था।
आखिर ये कैसे हो सकता है कि जिन आरोपियों को कल तक फांसी की सज़ा थी वो अब जेल की सलाखों के पीछे तक नहीं रह सकेंगे। ऐसे में ये सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर छावला में रहने वाली उस मासूम बच्ची का गुनहगार कौन है?
Supreme Court News: उस लड़की के साथ जो ज़्यादती हुई....आखिर वो किसने की....उस बच्ची की मेडिकल रिपोर्ट में हत्या की बात कही गई है...तो फिर वो हत्या किसने की? सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला तो सुना दिया...
लेकिन अब उस मां के आंसू कौन पोंछेगा जो बीते 11 सालों से इसलिए बह रहे हैं ताकि उसकी बेटी को इंसाफ मिल सके। अब उस मां को कौन बताएगा कि उसकी बेटी का कौन कातिल है? वो कौन दरिंदे थे, जिन्होंने उस मासूम की आबरू को तार तार किया।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनने के बाद उस बच्ची के घर वाले बेशक बहुत मायूस हैं...लेकिन अब भी उनमें हिम्मत बाकी है...इंसाफ की लड़ाई को और आगे ले जाने की। मामला बेटी का है...
इसलिए मां बाप का कहना है कि जब तक जान है अपनी बच्ची को इंसाफ दिलवाकर ही दम लेंगे...इसीलिए उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब फिर से अपील करने का इरादा ज़ाहिर किया है।
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