Hijab Row : तो यहां से शुरू हुआ था हदों को तोड़ने वाला हिजाब का बवाल, क्या होता है हिजाब और बुर्क़े में फ़र्क़

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Hijab Row : तो यहां से शुरू हुआ था हदों को तोड़ने वाला हिजाब का बवाल, क्या होता है हिजाब और बुर्क़े...
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सड़क से सियासत तक हिजाब ही हिजाब

Karnataka Hijab Controversy: हिजाब का बवाल अब अपनी हदों को तोड़ता हुआ सरहद पार तक जा पहुँचा है। पिछले दो दिनों से यही इकलौती ख़बर सुर्खियों में छाई हुई है। कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के अधिकार को लेकर मचे बवाल के बाद देश की अदालतों से ऑर्डर ऑर्डर की आवाजें सुनाई देने लगी हैं। और बवाल इस कदर बढ़ गया है कि सड़क से लेकर सियासत के गलियारों तक में इस बवाल पर जुबानी जंग छिड़ी हुई है। हर कोई अपने अपने हिस्से का ज्ञान उड़ेले दे रहा है। पाला बंदी हो चुकी है, कोई इस पाले में खड़े होकर हिजाब को हक़ का सवाल बता रहा है तो दूसरे पाले के लोग इसे ग़ैर ज़रूरी और यहां तक ग़ैर कानूनी तक कहने से पीछे नहीं हट रहे।

कहां से कैसे शुरू हुआ हिजाब का बवाल

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Student Protest: अब सवाल उठता है कि आखिर ये हिजाब विवाद कर्नाटक में ही कैसे शुरू हुआ। तो क़िस्सा कुछ यूं हैं कि पिछले साल दिसंबर में एक कॉलेज में क्लास के भीतर हिजाब पहनने के लिए एक लड़की को मना किया गया था।

उस क्लास में आठ मुस्लिम छात्राएं थी जिन्होंने इस बात का विरोध किया. लड़कियों का तर्क था कि कॉलेज उन्हें किसी भी सूरत में हिजाब पहनने से रोक नहीं सकता। क्योंकि ये उनकी धार्मिक आज़ादी का हिस्सा है।

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इसी बात के विरोध में कुछ लड़कों ने भगवा रंग के गमछे और शॉल पहनने शुरू कर दिए, जिसकी वजह से विवाद बढ़ने लगा और धीरे धीरे ये विवाद एक कॉलेज से निकल कर उडुपी के कई और कॉलेजों में फैल गया।

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तब कॉलेन ने इस झगड़े को ख़त्म करने का एक फॉर्मूला निकाला। पहले तो कॉलेज की छुट्टी कर दी गई और फिर जब कॉलेज खुले तो हिजाब वाली लड़कियों को बाकी छात्रों से अलग बैठाया जाने लगा। बस यहीं से बवाल शुरू हो गया।

इस दिन था विश्व हिजाब दिवस

Hijab Controversy News: असल में इस विवाद को हवा उस वक़्त मिली जब हिजाब की अहमियत को बताने के चक्कर में 1 फरवरी को विश्व हिजाब दिवस मनाया गया। उसके बाद से ही इस हिजाब को लेकर दुनिया भर में बहस तेज़ हो गई।

हिजाब पर बवाल अब भी जारी है। अदालतें बैंठी हुई हैं, सियासत ताक लगाए है और मौके की ताक में बैठे इंसानियत के दुश्मन घात लगाए बैठे हैं। ऐसे में एक सवाल तो बनता ही है कि आखिर ये हिजाब क्यों ज़रूरी है? और इससे भी ज़्यादा बड़ा सवाल यही है कि हिजाब होता क्या है, किस तरह ये हिजाब नक़ाब या बुर्क़े से अलग होता है। क्या हिजाब की जगह कोई दुपट्टा भी ले सकता है?

क्या होता है हिजाब?

Hijab Controversy in Karnataka: तो सबसे पहले समझ लेते हैं कि आखिर ये हिजाब होता क्या है? हिजाब का मतलब है पर्दे में। क़ुरआन में इस पर्दे का मतलब किसी कपड़े के पर्दे से नहीं है बल्कि पुरुष और महिलाओं के बीच लिहाज के पर्दे से है। हिजाब का एक मतलब ये भी है कि सिर और गर्दन को पूरी तरह से ढका जाना ताकि महिलाओं के सिर के बाल और गर्दन बिलकुल भी नज़र न आएं।

ऐसे में अगर कोई महिला हिजाब पहनती है तो वो अपने सिर के बालों और अपनी गर्दन को पूरी तरह से कपड़े से ढक लेती है जबकि उसका चेहरा पूरी तरह से खुला रहता है।

ये हिजाब बुर्क़ा से कैसे और कितना अलग है?

यहां यही वाजिब सवाल भी है कि आखिर हिजाब किसी बुर्के से कैसे और कितना अलग है। असल में हिजाब से अलग बुर्क़ा एक तरह से चोला होता है। जिसमें महिलाओं का शरीर पूरी तरह से ढक जाता है। सिर से लेकर पांव तक पूरा शरीर ढकने के साथ साथ बुर्क़े में आंखों को भी पर्दे में रखा जाता है।

Crime news in Hindi: इसीलिए बुर्क़े में आंखों के सामने जालीदार कपड़ा लगाया जाता है, जिससे महिला बाहर देख सके लेकिन कोई बाहर से उसे और उसकी आंख तक को भी न देख सके। यानी बुर्क़ा ऐसा चोला है जिसको पहनने के बाद शरीर सिर से लेकर पांव तक पूरी तरह से ढक जाता है। इसीलिए इसे कई देशों में अबाया भी कहा जाता है।

क्या होता है नक़ाब

अब रहा सवाल नक़ाब का । नक़ाब एक तरह से एक महज कपड़े का पर्दा होता है, जिससे सिर और चेहरा दोनों को ढका जाता है। नक़ाब से चेहरा पूरी तरह से तो ढक जाता है लेकिन आंखें पूरी तरह से खुली रहती है। एक तरह से नकाब चेहरे को एक कपड़े से बांध दिया जाता है।

ये दुपट्टा क्या होता है?

Crime news in Hindi: अब आता है दुपट्टा। दुपट्टा आमतौर पर हर महिला या लड़की इस्तेमाल करती है। ये एक लंबा सा स्कॉर्फ़नुमा कपड़ा होता है जिससे सिर भी ढका जाता है और कंधा भी। दुपट्टा आमतौर पर किसी तरह की परिधान से बंधा हुआ नहीं है, उसे कोई भी महिला अपनी ज़रूरत और फैशन के मुताबिक इस्तेमाल करती है।

दुनिया में साउथ एशिया में दुपट्टा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है। जिसे बड़े ही ढीले ढाले तरीक़े से ओढ़ा जाता है, इसे बांधा नहीं जाता। ये आंचल की तरह होता है।

एक और चीज़ होती है अल अमीरा

ये अल अमीरा दो कपड़ों का सेट होता है जिसमें एक टोपी होती है और दूसरा पैरहन ये टोपी के मुकाबले थोड़ा बड़ा होता। टोपी सिर पर पहनने के बाद पैरहन को उसके नीचे से पहना जाता है ताकि सिर पर लपेटकर सीने को पूरी तरह से ढका जा सके।

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