कश्मीर में डेढ़ घंटे में तीन लोगों की हत्या के पीछे किसी सीक्रेट एजेंट का हाथ तो नहीं!
Slain Kashmiri businessman Bindroo’s daughter: ‘If you have the courage, face me, hold debate’
ADVERTISEMENT
1989 से कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ आतंकवाद का जो भयानक दौर शुरु हुआ उस वक्त भी कुछ लोग हिम्मत से अपनी जमीन पर डटे रहे. श्रीनगर के माखनलाल बिंद्रू उन्हीं में से एक थे. लेकिन 32 साल बाद उनका वही अंजाम हुआ जो आतंकवादी चाहते थे. मंगलवार रात श्रीनगर में उनके मेडिकल स्टोर में घुसकर आतंकियों ने बिंद्रू को गोलियों से भून डाला.
बिंद्रू की बेटी रो-रोकर सवाल पूछ रही है कि उसके पिता ने किसी का क्या बिगाड़ा था. माखनलाल बिंद्रू श्रीनगर के जाने-माने केमिस्ट थे. उनका परिवार तीन पीढ़ियों से श्रीनगर में दवाओं का कारोबार करता आया है. स्थानीय लोगों को उनपर भरोसा था क्योंकि वो नकील दवाओँ के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहते थे. श्रीनगर में ये बात आमतौर पर कही जाती थी कि जो दवा कहीं नहीं मिलेगी, बिंद्रू की दुकान पर मिलेगी.
रघुनाथ मंदिर के पास उनकी दुकान पर हमेशा भीड़ रहती थी. माखनलाल बिंद्रू की हत्या ने कश्मीरी पंडितों के दशकों पुराने जख्म फिर से हरे कर दिए. कश्मीरी पंडित इस हत्या की तुलना तीन दशक पहले अपने खिलाफ हुई योजनाबद्ध हिंसा से कर रहे हैं. नाराज कश्मीरी पंडित जम्मू में सड़क पर उतर आए.
ADVERTISEMENT
बिंद्रू जैसी शख्सियत की हत्या से जम्मू कश्मीर में चारों तरफ गुस्सा भड़क गया है. डोगरा फ्रंट और शिवसेना ने भी पाकिस्तान समर्थक संगठनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बिंद्रू की तस्वीरें लहराते हुए कार्यकर्ताओं ने कश्मीर में आतंकवाद के लिए पाकिस्तानी साजिशों को जिम्मेदार ठहराया.
बिंद्रू की हत्या से आतंकियों ने अपने उन इरादों को एक बार फिर जाहिर कर दिया है जो 1989 में नफरत का एजेंडा बना था. लाखों कश्मीरी पंडित उसी नफरत के एजेंडे का जहर आजतक अपनी जमीन से बेदखल होकर भुगत रहे हैं. बिंद्रू की हत्या इनकी वापसी की कोशिशों को बड़ा झटका है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT