बाल बाल बचे बाबा: Hathras SIT Report में बाबा को क्लीनचिट, साजिश की ओर इशारा, 6 अधिकारी सस्पेंड
Hathras: हाथरस भगदड़ मामले में बडा अपडेट सामने आया है। इस घटना को लेकर यूपी सरकार ने जिस SIT का गठन किया था उसकी रिपोर्ट सामने आ गई है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
हाथरस SIT report में बाबा को क्लीनचिट
SDM समेत छह अधिकारियों पर गिरी गाज
बाबा और सीनियर अफसरों पर SIT मेहरबान
Hathras SIT Report: हाथरस में एक सतसंग के बाद भगदड़ में हुई 123 महिलाओं और बच्चों की मौत के बाद केस में बड़ा अपडेट सामने आया है। जो SIT (Special Investigation Team) यूपी सरकार (UP Government) ने मामले की जांच के लिये बनाई थी उसकी रिपोर्ट (Hathras Probe Report) आ गई है। इस रिपोर्ट में इस घटना के लिए सीधे-सीधे आयोजकों (Organisers) समेत प्रशासन (Administration) के लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है। हैरानी की बात ये है कि इस रिपोर्ट में उस बाबा को सीधे तौर पर क्लीन चिट दे दी गई है जिनके बुलावे पर वहां ढाई लाख की भीड़ जमा हुई थी और जिनके आयोजन के बाद बदइंतजामी से भगदड़ में इतनी बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई। हालांकि शासन ने इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम (SDM), सीओ (CO), तहसीलदार समेत 6 स्थानीय अधिकारियों को निलंबित (Suspend) कर दिया है।
क्या कहा गया SIT रिपोर्ट में?
SIT ने हाथरस दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। स्थानीय प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई है। जांच रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ है कि इस घटना के पीछे साजिश भी हो सकती है। इसके लिए गहन जांच की जरूरत पर बल दिया गया है। बड़ी तादाद में लोगों को बुला कर भीड़ को नियंत्रित (Crowd Management) करने के माकूल इंतजाम नहीं किये गये थे। जांच रिपोर्ट में जिक्र है कि आयोजन से पहले आयोजकों ने प्रशासन के पास किये आवेदन में 80 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा होने की बात कही थी लेकिन मौके पर तीन गुना से ज्यादा यानी ढाई लाख लोग मौजूद थे। SIT ने निष्कर्ष में कहा कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया। इसके साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों को भी जरूरी जानकारी नहीं दी गई। आयोजकों ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन (Police Verfication) के जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, उनसे भी बदइंतजामी फैली। एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटना स्थल का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान कुल 125 लोगों के बयान लिये गए, जिसमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ आम जनता और चश्मदीदों के बयान भी शामिल थे।
SIT की रिपोर्ट में स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज को मुख्य रुप से घटना के लिये जिम्मेदार ठहराया गया है। उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) सिकन्दराराऊ की ओर से बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की इजाजत दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को बताया भी नहीं गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की है। इसके बाद उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इन्चार्ज कचौरा और चौकी इन्चार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
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सीनियर अधिकारियों पर गाज क्यों नहीं?
आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत ली। इजाजत के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया। आयोजकों ने पंडाल में क्षमता से ज्यादा भीड़ बुला कर जरूरी इंतजाम नहीं किये गये। न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से दी गई इजाजत की शर्तों का पालन किया गया। ये भी कहा गया है कि आयोजक मंडल के सदस्यों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार भी किया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास भी किया गया। भीड़ को सत्संग करने वाले बाबा से बिना किसी सुरक्षा इंतजाम मिलने की छूट दी गई जिससे हालात काबू से बाहर हो गये। भारी भीड़ के रहते मौके पर किसी तरह की बैरीकेडिंग या पैसेज की व्यवस्था भी नहीं की गई थी, फिर हादसा होने पर आयोजक मंडल के सदस्य भीड़ में घायल लोगों और पुलिस प्रशासन की मदद करने के बजाए घटना स्थल से भाग खड़े हुए।
करीब 300 पेज की इस रिपोर्ट में तमाम खुलासे किये गये हैं। मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बाबा साकार विश्व हरि को क्लीनचिट मिल गई है? क्योंकि ये तय है कि ढाई लाख लोगों की जो भीड़ मौके पर उमड़ी थी वो बाबा के बुलावे पर बाबा को सुनने के लिये ही वहां आई थी। इसके बाद बाबा के सेवादारों ने सतसंग से निकलते बाबा से मिलने को आतुर भीड़ को लाठियों और डंडों से जिस ढंग से खदेड़ा वो भी भगदड़ मचने के पीछे एक बड़ी वजह मानी जा रही है। ऐसे में एसआईटी का हादसे के इस पहलू पर खामोश रहना बड़ा सवाल खड़ा करता है। मगर जांच रिपोर्ट आने के बाद अब ये लगभग साफ हो गया है कि बाबा को क्लीनचिट दिये जाने की पूरी तैयारी है।
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बाल बाल बच गए बाबा!
SIT ने DM हाथरस आशीष कुमार, SP निपुण अग्रवाल से लेकर सत्संग की इजाजत देने वाले एसडीएम, सीओ सिकंदराराऊ और दो जुलाई सत्संग की ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मियों के बयान भी दर्ज किए थे। इस दौरान एसआईटी ने सत्संग में मृतकों के परिजनों और घायल श्रद्धालुओं के बयान भी दर्ज किए। एसआईटी में एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी शामिल थी। घटना से पहले और घटना के बाद बीटीएस टावर की लोकेशन उठाई गई। उसकी डिटेल में दक्षिण के राज्यों के चार अलग-अलग ऐसे नंबर सामने आए जिनपर घटना से पहले और घटना के दौरान कॉल हुई थीं। ये नंबर संदिग्ध थे और उन्हें घटना से जोड़कर देखा गया है। जांच में ये बात भी सामने आई कि एलआईयू ने एक लाख से अधिक भीड़ की रिपोर्ट दी थी, पर सीनियर अफसरों को इसकी जानकारी व्यक्तिगत तौर पर नहीं दी गई थी। 30 जून और दो जुलाई की सुबह की एलआईयू (LIU) ने दो बार भीड़ पर रिपोर्ट दी थी। हादसा होने के बाद स्वास्थ्य संबंधी अव्यवस्थाओं (Medical Mismanagement) के चलते मौत का आंकड़ा बढ़ा, एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में इसे भी लापरवाही माना है।
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मामले की न्यायिक जांच जारी
उधर मामले की न्यायिक जांच (Judicial Enquiry) भी चल रही है। साथ-साथ पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया था, उसे लेकर अब तक कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। हालांकि बाबा के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। कमाल की बात ये है कि हादसे पर दुख जताते हुए खुद बाबा ने अपने संदेश में सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। हालांकि बाबा अब तक मीडिया से बचता रहा है और उसकी लोकेशन को लेकर भी अभी तक पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
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