बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ SIT की जांच तेज, बृजभूषण के घर पहुंची दिल्ली पुलिस

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बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ SIT की जांच तेज, बृजभूषण के घर पहुंची दिल्ली पुलिस
Brij Bhusan Sharan Singh
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Brij Bhusan Case : बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ SIT की जांच तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस की SIT ने यूपी के गोंडा जाकर बृजभूषण के करीबियों से पूछताछ की है। अधिकारियों ने वहां 12 और लोगों के बयान दर्ज किए हैं। कल ही दिल्ली पुलिस की टीम लखनऊ और गोंडा पहुंची थी। बृजभूषण शरण के आवास पर जाकर जांच पड़ताल की। पुलिस ने जिन लोगों से पूछताछ की है, उनमें बृजभूषण के स्टाफ और उनके परिजन शामिल हैं। गोंडा और लखनऊ से पूछताछ के बाद पुलिस की टीम दिल्ली लौट आई है। आपको बता दें कि महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के मामले की जांच कर रही SIT ने अब तक 137 लोगों से पूछताछ की है।

Wrestlers Protest : इससे पहले खबर आई थी कि POCSO केस की पीड़ित ने अपना केस वापस लेने का मन बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक बृजभूषण पर आरोप लगाने वाली सात पहलवानों में शामिल एक नाबालिग ने पटियाला हाउस कोर्ट और कनॉट प्लेस थाने से अपनी शिकायत वापस ले ली है।

सूत्रों की माने तो नाबालिग महिला पहलवान ने कहा कि उनके साथ बृजभूषण शरण सिंह  ने कभी sexual harassment नहीं किया। सूत्रों की जानकारी की तस्दीक कोर्ट में मामले की सुनवाई और आदेश के बाद ही होगी।

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इससे पहले बृजभूषण शरण के खिलाफ दो दर्ज एफआईआर का ब्यौरा सामने आया था। दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर में यौन शोषण की मांग, छेड़छाड़ के कम से कम 10 मामलों की शिकायत है। शिकायत में 10 ऐसे मामलों का जिक्र है जिसमें छेड़छाड़ की शिकायत की गई है।


क्या-क्या आरोप है?

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शिकायत के मुताबिक, गलत तरीके से छूना, किसी बहाने से छाती के ऊपर हाथ रखने की कोशिश या हाथ रखना, छाती से पीठ तक हाथ को लेकर जाना, पीछा करना आदि आरोप शामिल है।

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यह शिकायत कनॉट प्लेस थाने में 21 अप्रैल को दी गई थी और दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को दो एफ आई आर दर्ज की थी।


28 अप्रैल को जो FIR दर्ज हुई उसमें जो प्रमुख आरोप है, वो हैं -

दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) का हवाला दिया गया है, जिसमें एक से तीन साल की जेल की सजा है। पहली प्राथमिकी में छह वयस्क पहलवानों के आरोप शामिल हैं और इसमें डब्ल्यूएफआई सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।

दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है और POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू करती है, जिसमें पाँच से सात साल की कैद होती है। जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।

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