सिंगापुर में ड्रग्स के केस में मंदबुद्धि को हुई फांसी, कोर्ट ने इसलिए नहीं सुनी एक मां की दलील

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सिंगापुर में ड्रग्स के केस में मंदबुद्धि को हुई फांसी, कोर्ट ने इसलिए नहीं सुनी एक मां की दलील
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Latest Crime News: सिंगापुर में मलेशिया के नागरिक को ड्रग्स रखने के मामले में आरोपी साबित करते हुए आखिरकार तमाम दलीलों और बहस मुबाहिसे के बावजूद उसे फांसी के फंदे से लटका दिया गया। वो पिछले 13 सालों से ड्रग्स की स्मग्लिंग के केस में कैद में था।

34 साल का नागेंद्रन धर्मलिंगम मूल रूप से मलेशिया का रहने वाला था लेकिन साल 2009 में 42 ग्राम हेरोइन के साथ सिंगापुर पुलिस ने पकड़ा था। जिस वक्त नागेंद्रन सिंगापुर में घुसने की कोशिश कर रहा था उसी समय नारकोटिक्स अधिकारियों ने उसे वुडलैंड्स चेकप्वाइंट पर दबोच लिया था। उसने हेरोइन के बंडलों को बांध कर छुपाया हुआ था।

सिंगापुर में ड्रग्स के केस में माफ़ी की कोई गुंजाइश नहीं

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Crime News Singapore: सिंगापुर में ड्रग्स के मामले में आरोपी को सज़ा ए मौत देने का प्रावधान है। सिंगापुर उन देशों में शामिल है जहां ड्रग्स के किसी भी मामले में कोई रियायत नहीं दी जाती। यहां ड्रग्स विरोधी क़ानून बेहद कड़े हैं। नागवेंद्र को साल 2010 के नवंबर में ही सिंगापुर की अदालत ने मौत की सज़ा तजवीज कर दी थी।

लेकिन नागेंद्रन को बचाने के लिए दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों ने एक मुहिम छेड़ रखी थी। असल में नागेंद्रन की मां ने ही एंटी डेथ पेनल्टी एशिया नेटवर्क के साथ संपर्क करके अपने बेटे को बचाने की गुहार लगाई थी। दलील ये थी कि उनका बेटा मंदबुद्धि है लिहाजा उसे सज़ा-ए-मौत से बचाने के लिए रियायत दी जा सकती है।

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नागेंद्रन के घरवालों का कहना था कि वो मानसिक रूप से कमजोर है और उनका IQ लेवल केवल 69 ही है। 34 साल के धर्मलिंगम को नवंबर 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। लिहाजा नागेंद्रन को बचाने के लिए उसकी मां ने सिंगापुर से लेकर मलेशिया तक तमाम अदालतों के दरवाजें खटखटाए, लेकिन सिंगापुर की अदालत ने बचाव की हर अपील को ठुकरा दिया।

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सिंगापुर ने मलेशिया के प्रधानमंत्री की चिट्ठी ठुकराई

Singapore court rejects: जब नागेंद्रन को बचाने की मुहिम चल रही थी तो मलेशिया के प्रधानमंत्री साबरी याक़ूब ने भी मानवीय आधार पर सज़ा पर रोक लगाने की अपील की थी। और इस सिलसिले में साबरी याक़ूब ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली साइन लूंग को एक चिट्ठी भी लिखी थी। इसके अलावा यूरोपीय संघ के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ साथ नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड के राजदूत भी इस सज़ा पर रोक लगाने के लिए भी सिंगापुर से अपील कर चुके हैं।

नागेंद्रन को बचाने की मुहिम में लगे संगठनों की दलील थी कि धर्मलिंगम का बुद्धि स्तर बेहद कमज़ोर है। उसका IQ का स्तर सिर्फ 69 है जो किसी भी सूरत में उसे मानसिक विकलांग मान सकता है। अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक भी वो मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों की श्रेणी में आता है।

इस अधार पर ये माना जा सकता है कि नागेंद्रन को किसी ने बड़ी ही आसानी से बहला फुसला कर बरगला दिया और अपने काम के लिए मोहरा बना लिया। जबकि सिंगापुर की अदालत का मानना था कि धर्मलिंगम को पता था कि वो कब क्या और कैसे कर रहे हैं।

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