Moose wala Murder: हत्या के लिए इस वजह से इस्तेमाल की गई थी AN-94 एसॉल्ट राइफल
Sidhu Moose wala Murder: सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए AN-94 एसॉल्ट राइफल (Assault Rifle) का इस्तेमाल ही क्यों किया गया इस सवाल ने SIT को जिस जवाब तक पहुँचाया वो बेहद चौंकानें वाला है।
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Moose wala Murder: पंजाब के सिंगर सिद्धू मूसेवाला के लिए कातिलों की टोली ने आखिर AN-94 एसॉल्ट राइफल का ही इस्तेमाल क्यों किया।
ये सवाल इसलिए बड़ा है क्योंकि 29 मई को सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से जब से ये बात खुलकर सामने आई है कि सिद्धू मूसेवाला को मारने के लिए शूटरों ने अत्याधुनिक एसॉल्ट राइफल AN-94 का इस्तेमाल किया...बस तभी से पुलिसवालों के ज़ेहन में ये सवाल चुभ रहा था।
क्योंकि इतने आधुनिक हथियार से हत्या करने के पीछे ज़रूर कोई और वजह भी रही होगी...वर्ना जिस तरह से सिद्धू को घेरा गया और फिर उसे मौत के घाट उतारा गया उस वारदात में इतने आधुनिक हथियार की ज़रूरत पुलिस को नहीं दिखाई पड़ रही थी।
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इस बीच पंजाब पुलिस ने तिहाड़ में बंद लॉरेंस बिश्नोई से इस बात को जानने और समझने की कोशिश की...लेकिन उसने हथियारों के बारे में मुंह ही नहीं खोला।
पंजाब पुलिस लॉरेंस बिश्नोई को गिरफ़्तार करके मानसा भी ले आई। और यहां पिछले दो दिनों से लगातार पूछताछ कर भी रही है। मगर पुलिस को अपने इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा था कि आखिर इतने नए और तेज तर्रार हथियार से ही क्यों सिद्धू मूसेवाला का सीना छलनी किया गया।
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Moose wale murder and SIT Investigation: तब पुलिस ने इसकी अलग से तफ़्तीश शुरू की। और उस तफ्तीश में जो बात सामने आई उसने पुलिस को ही बुरी तरह से चौंका दिया। साथ ही इस बात का भी इशारा दे दिया कि लॉरेंस बिश्नोई एंड गैंग्स ने सिद्धू मूसेवाला को इसी साल जनवरी में ही मौत के घाट उतारने का इंतज़ाम कर लिया था। मगर उनकी साज़िश सिरे चढ़ पाती इससे पहले ही वो प्लान फेल हो गया।
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लेकिन जनवरी के बाद से ही सिद्धू मूसेवाला के पीछे लगे गैंग्स्टरों ने तब एक नया दांव चला था। सिद्धू मूसेवाला आमतौर अपनी बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर से ही चलता था। लिहाजा लॉरेंस और गोल्डी के शूटरों ने सबसे पहले ये पता लगाया कि सिद्धू की वो फॉर्च्यूनर गाड़ी कहां बुलेटप्रूफ हुई थी।
आमतौर पर पंजाब में जालंधर में ही गाड़ियां बुलेटप्रूफ होती है। लिहाजा शूटरों ने सबसे पहले उस वर्कशॉप का पता लगाया जहां सिद्धू मूसेवाला की फॉर्च्यूनर को बुलेट प्रूफ किया गया था। शूटरों ने जालंधर के उस वर्कशॉप से ये तक पता लगा लिया था कि सिद्धू मूसेवाला की फॉर्च्यूनर में कितना आर्मर शीट और कितने MM के ग्लास लगाए गए हैं।
यूं तो बुलेटप्रूफ ग्लास को बैलिस्टिक ग्लास कहा जाता है। बुलेटप्रूफ ग्लास वाली कार के शीशे में पॉली कार्बोनेट की बनी दो पारदर्शी प्लास्टिक की परतें होती हैं, जो शीशे को बेहद कठोर बना देती हैं। शीशे के भीतर पॉली कॉर्बोनेट की लेयर को ही लेमिनेशन कहा जाता है। इस लेमिनेशन के बाद शीशा बेहद मोटा हो जाता है।
Punjab Police Investigation: पंजाब पुलिस की SIT की तफ्तीश में ये बात भी सामने आई कि गैंग्स्टर्स ने सिद्धू मूसेवाला की बुलेटप्रूफ गाड़ी की रेकी भी की थी। और ये पता लगा लिया था कि सिद्धू मूसेवाला की कार का शीशा कितने MM का चढ़ा है।
इसके अलावा फॉर्च्यूनर गाड़ी को बुलेटप्रूफ करने के लिए गाड़ी के पिछले हिस्से में बाकायदा एक बॉक्स भी लगाया जाता है जिस पर आर्मर्ड शीट चढ़ी होती है। यानी लॉरेंस बिश्नोई और उसके शूटर इस बात की पुख्ता जानकारी के साथ शूटआउट का प्लान कर रहे थे कि अगर उसकी बुलेट प्रूफ गाड़ी पर भी हमला करना पड़े तो दांव खाली नहीं जाना चाहिए।
हालांकि सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए लॉरेंस और गोल्डी बराड़ ने जनवरी में ही प्लान तैयार किया था। और उस वक्त शूटआउट के लिए AK-47 एसॉल्ट राइफल का इंतजाम कर लिया था। लेकिन जब रेकी से ये पता चला कि सिद्धू के साथ आठ बॉडीगार्ड होते हैं तो प्लान बदल दिया गया।
अब गैंग्स्टर को तलाश थी कि किसी तरह उन्हें कोई ऐसा हथियार मिले जिससे बुलेटप्रूफ गाड़ी के शीशों को तोड़ा जा सके और गोलियां सिद्धू मूसेवाला के सीने में उतारी जा सके।
SIT के सूत्रों से पता चला है कि इस हथियार को पंजाब तक लाने के पीछे भी गोल्डी बरार और उसके गैंग के लोगों का ही हाथ है। लिहाजा सिद्धू मूसेवाला के लिए AN-94 एसॉल्ट राइफल का इंतज़ाम गोल्डी बरार ने करवाया। क्योंकि गैंग्स्टर्स ने अपनी पड़ताल में ये पता लगा लिया कि इस काम के लिए उन्हें AN 94 राइफल काम आ सकती है। क्योंकि इस एसॉल्ट राइफल से बुलेटप्रूफ गाड़ी में भी किसी को निशाना बनाया जा सकता है।
Bullet Proof Car: जांच में ये बात सामने आ गई है कि AN-94 एसॉल्ट राइफल दो शॉट बर्स्ट ऑप्शन इस काम के लिए सबसे सटीक हो सकता है। क्योंकि इस ऑप्शन में एक के पीछे एक दो गोलियां तेज़ी से निकलती हैं एक निशाने पर एक के पीछे एक लग जाती है। दोनों गोलियों के निकलने में बस कुछ माइक्रोसेकंड का ही अंतर होता है। और ये तथ्य है कि इस राइफल से अगर दो शॉट बर्स्ट ऑप्शन से फायर किया जाए तो बुलेट प्रूफ गाड़ी के शीशे भी टूट जाते हैं।
लिहाजा इस बात का पता चलने के बाद लॉरेंस और उसके गैंग के शूटर इस हथियार की तलाश में निकल पड़े जो उन्हें रूस में ही मिला। जिसका इंतज़ाम खुद गोल्डी बरार ने करवाया था।
राइफल का इंतज़ाम होने के बाद मुखबिर को तैयार कर लिया गया और सिद्धू मूसेवाला की हत्या का पूरा प्लान बनाकर 29 मई को उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
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