Shree Krishna Janmbhoomi: अब मथुरा की अदालत में होगी सुनवाई, यहीं से निकलेगा नतीजा
Mathura Court News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल मंदिर की ज़मीन पर शाही ईदगाह मस्जिद का अवैध कब्जे का विवादित मुकदमा अब मथुरा की ही अदालत में चलेगा और फैसला भी यहीं से निकलेगा।
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Mathura Mandir case: श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह की ज़मीन पर विवाद के मामले की सुनवाई अब मथुरा में ही होगी। ये सुनवाई 12 जनवरी से ही शुरू होनी है। हालांकि पहले इस मामले की सुनवाई 24 दिसंबर से होने वाली थी। लेकिन जिला जज इस दौरान गैरहाजिर थे, लिहाजा उनकी मौजूदगी के बिना सुनवाई को टाल दिया गया था।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और मथुरा से कृष्ण प्रेमियों का बहुत गहरा लगाव है। और मान्यता यही है कि मथुरा के कारागार में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिस मान्यता के मुताबिक ही उस कारागार में ही मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास यूं तो हजारों साल पुराना है। और श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर वही जगह है जहां भगवान लीलाधर ने मथुरा के क्रूर राजा कंस की जेल में देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। और हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक बाद में श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने के बाद अपनी मां देवकी और पिता वासुदेव को मुक्त करवाया था। इसी पौराणिक कथा के मुताबिक मथुरा में उसी जगह मंदिर बनाया गया है जहां कंस की कारागार हुआ करती थी।
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Krishna Janmabhoomi Case: लेकिन बाद में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद शाही मस्जिद ईदगाह के साथ हो गया। ये झगड़ा 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर है। बताया जाता है कि 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता हुआ था। और इस समझौते के तहत 13.7 एकड़ की जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनाने की बात थी।
वही समझौता कहता है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ की ज़मीन का मालिकाना हक़ है जबकि शाही ईदगाह मस्जिद के पास 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है।
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हिन्दू पक्ष की दलील है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्ज़ा करके बनाया गया। लिहाजा हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी अपील में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने की मांग की जा रही है। इस मामले में पहले भी सुनवाई हो चुकी है। और उन बिन्दुओं पर सिविल जज सीनियर डिवीजन चर्चा कर चुके हैं।
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Mathura Case: इसी बीच 8 दिसंबर को हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दावा किया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण की ज़मीन पर बने मंदिर को तोड़कर ही शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया था। इन दोनों ने अपनी याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच हुए 1968 के समझौते को भी चुनौती दी है।
लेकिन अब इस विवादित मामले की सुनवाई मथुरा की अदालत में ही सुनवाई होगी। सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस दिया है। गौरतलब है कि मथुरा में शाही ईदगार मस्जिद 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आती है।
और क़ानून के मुताबिक किसी भी पूजा स्थल के रुपांतरण पर रोक लगाने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए एक अधिनियम और उससे जुड़े प्रासंगिक मामलों के लिए अब तक 13 मुकदमे अलग अलग अदालतों में दाखिल हुए थे जिनमें से दो मुकदमें खारिज भी हो चुके हैं।
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