Shraddha Case : श्रद्धा ने स्कूल में कह रखा था कि उसके पिता नहीं है
Shraddha Case : कांवेंट में प़ढ़ी श्रद्धा वालकर, आफताब के साथ रहने के लिए अपने परिवार से रिश्ते तोड़ चुकी थी। दोस्तों से कटने लगी थी।
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वसई से दिव्वेश सिंह के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Shraddha Case : श्रद्धा का परिवार से लगाव आखिर क्यों कम था ? दरअसल, श्रद्धा बंधनों में बंध कर काम करने वाली लड़की नहीं थी। यहीं वजह थी कि उसने रिश्ता बनाते हुए मजहब तक को तरजीह नहीं दी। उसने आफताब से रिश्वत बना लिया। श्रद्धा के घरवालों को जब इसका पता चला तो वो उससे खासे नाराज हुए।
पर श्रद्धा ने उनकी एक न सुनी। वो ही किया, जो वो करना चाहती थी। जब वो 25 साल की हुई थी तो उसने अपने घरवालों को यहां तक कह दिया था, 'ये मेरी जिंदगी है, इसका फैसला मैं खुद करूंगी।' घरवालों के ज्यादा टोकने की वजह से धीरे-धीरे वो उनसे दूर हो रही थी। हालात ये पैदा हो गए थे कि उसने स्कूल तक में ये कह रखा था कि उसके पिता नहीं है।
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कांवेंट में प़ढ़ी श्रद्धा वालकर, आफताब के साथ रहने के लिए अपने परिवार से रिश्ते तोड़ चुकी थी। दोस्तों से कटने लगी थी। दोनों मुंबई में साथ जॉब करते थे, पर दिल्ली में सिर्फ आफताब के पास नौकरी थी। श्रद्धा के पास नौकरी नहीं थी। आफताब के अपने पूरे घर के साथ सामान्य रिश्ते थे।
यहां तक कि वसई के यूनिक पार्क सोसाइटी के इस फ्लैट को खाली करके उसका परिवार मुंबई शिफ्ट हुआ तो आफताब एक अच्छे बेटे की तरह सामान शिफ्ट करवाने दिल्ली से मुंबई गया। उधर श्रद्धा आफताब का ही नहीं उसके परिवार का भी दिल जीतने की कोशिशें किया करती थीं। अपने भाई-पिता से दूरी बना चुकी श्रद्धा आफताब के परिवार से मिलती रहती थी।
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अलग रहते थे श्रद्धा के माता-पिता
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श्रद्धा का केस अलग था। उसके माता-पिता अलग-अलग रहते थे। श्रद्धा अपने पिता को कभी पसंद नहीं करती थी यहां तक कि स्कूल में उसने बोल रखा था कि उसके पिता हैं ही नहीं। ऐसा नहीं है कि श्रद्धा को परिवार के मायने नहीं पता थे। वो मां बनना चाहती थी। अपने शहर मुंबई में होने वाली क्लीन सिटी ड्राइव में श्रद्धा हिस्सा लिया करती थीं।
यानी साफ है कि उसके जीवन में ऐसी सैकड़ों घटनाएं हुई, जिससे उसकी एक अलग सोच विकसित हुई।
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