शीना बोरा हत्याकांड: सीबीआई को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया समेत कई अधिकारियों पर भरोसा नहीं! हटाया विटनेस लिस्ट से नाम
Sheena Bora Murder Case : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शीना बोरा हत्या मामले में गुरुवार को विशेष सीबीआई अदालत को ऐसे गवाहों की सूची दी जिन पर 'भरोसा' नहीं किया जा सकता।
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विद्या के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Sheena Bora Murder Case : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शीना बोरा हत्या मामले में गुरुवार को विशेष सीबीआई अदालत को ऐसे गवाहों की सूची दी जिन पर 'भरोसा' नहीं किया जा सकता। चौंकाने वाली बात ये है कि इसमें मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया समेत कई लोगों के नाम है।
सवाल ये है कि क्या सीबीआई इन गवाहों पर भरोसा नहीं करती या
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फिर इस केस से संबंधित इस लोगों की गवाही से कोई फर्क नहीं पड़ता?
क्यों इन गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और वो भी अब?
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सीबीआई ने 2015 में हुए इस मर्डर केस में 250 गवाहों की सूची चार्जशीट के साथ लगाई थी। अभी तक 86 गवाह अदालत में पेश हो चुके हैं। इनमें से कुछ गवाह अपने बयानों से मुकर चुके हैं। इस बीच इस केस की आरोपी इंद्राणी मुखर्जी ने अदालत से गुजारिश की थी कि वो सीबीआई को निर्देश दें कि जिन गवाहों को वो अदालत में पेश नहीं करने जा रही है, उनके बारे में बताए।
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इस पर अदालत ने सीबीआई को ऐसा करने का आदेश दिया था। इसके बाद सीबीआई ने गुरुवार को अदालत को जो सूची सौंपी है, उनमें मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया, शीना बोरा मर्डर केस के पहले जांच अधिकारी दिनेश कदम, वर्तमान में मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर सत्य नारायण, आईपीएस अधिकारी आरडी शिंदे और टीवी पर्सनैलिटी सोहेल सेठ जैसे 23 नाम शामिल हैं। इन गवाहों के बारे में सीबीआई ने सिर्फ लिखा है 'लिस्ट ऑफ विटनेसेज अन रिलाइड अपॉन।'
ऐसे में अब ये सवाल खड़ा हो गया है कि जब इन गवाहों पर भरोसा ही नहीं किया जा सकता तो इन्हें गवाह क्यों बनाया गया? क्या सीबीआई को डर है कि ये गवाह अदालत में मुकर सकते हैं? अगर ऐसा है तो इसके पीछे क्या वजह है? क्या ये गवाह बाद में बदल गए? ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनका जवाब जब तक नहीं मिलेगी, स्थिति साफ नहीं होगी।
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