Call Girl की Online Shopping, सप्लाई ऑन डिमांड और कैश ऑन डिलीवरी, सोशल मीडिया पर फलफूल रहा धंधा

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Call Girl की Online Shopping, सप्लाई ऑन डिमांड और कैश ऑन डिलीवरी, सोशल मीडिया पर फलफूल रहा धंधा
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सोशल मीडिया पर चल रहा दुनिया का सबसे पुराना धंधा

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डिजिटल हो गया कॉल गर्ल का धंधा भी

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क्लाइंट की फरमाइश पर एक्स्ट्रा सर्विस

Call Girl On Demand: ऑन लाइन शॉपिंग (Online Shopping) में एक टर्म इस्तेमाल होता है कैश ऑन डिलीवरी (Cash on Delivery), जिसे हम रोज मर्रा की भाषा में COD इस्तेमाल करते हैं। जो लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, वो इस टर्म को जानते हैं समझते हैं। इसका सीधा सा मतलब होता है जब आपको आपका तय किया हुआ सामान मिल जाए तब भुगतान कीजिए। इन दिनों ये शब्द इस्तेमाल हो रहा है, लड़कियों की सप्लाई के लिए और वो भी ऑनलाइन यानी कॉल गर्ल ऑन डिमांड और कैश ऑन डिलीवरी की तर्ज पर ये धंधा बड़ी अच्छी तरह फल फूल रहा है।

बस इतनी सी शर्त है 

चौंकिये नहीं, तरक्की करते इस मुल्क में जब सब कुछ डिजिटल हो रहा है, तो दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा धंधा क्यों पीछे रह जाए। यानी दुनिया के इस सबसे पुराने धंधे ने नया लिबास पहन लिया है। शर्त सिर्फ इतनी है कि ग्राहक यानी नए जमाने की भाषा में क्लाइंट को बस इंटरनेट पर एक्टिव होना जरूरी है। उसका सोशल मीडिया एकाउंट होना चाहिए बस इस धंधे की एक खिड़की उसकी तरफ खुल जाएगी। हां इस धंधे की कुछ शर्तें भी हैं जिन्हें पूरा करना भी जरूरी है और सप्लाई ऑन डिमांड के साथ साथ कैश ऑन डिलीवरी की भी सुविधा हासिल की जा सकती है। 

सोशल मीडिया पर सजी दुकानें

फिर वो दुनिया का कोई भी मुल्क हो या कोई भी शहर। ये इंतजाम अब करीब करीब हरेक शहर और हर गली मोहल्ले में मौजूद है। सीधी सी बात है अगर आपके पास एक एंड्रॉयड फोन है, तो आपको किसी के पास जाने की जरूरत नहीं। बस उसे इस्तेमाल करने का तरीका सही ढंग से आना चाहिए। 
असल में ये बात हम इसलिए कर रहे हैं कि अगर आप किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ले लीजिए, फिर वो, वॉट्सऐप (Whatsapp) हो, एक्स (X) हो, इंस्टाग्राम (Instagram) हो या फिर फेसबुक (Facebook), इसके अलावा भी बहुत हैं लेकिन फिलहाल हम इन तीन सोशल मीडिया का नाम ले रहे हैं क्योंकि यहां लोगों की पहुँच और संख्या सबसे ज्यादा है।

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पसंद के मुताबिक पैसे

तो इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपके लिए इस धंधे के पुराने खिलाड़ियों ने अपनी अपनी दुकाने सजा रखी हैं। अगर आपका इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना अकाउंट है तो आप बिलकुल इस कारोबार की खिड़की के बेहद नजदीक हैं बस आपको एक दस्तक देने की जरूरत है। 
आपको देसी लड़की चाहिए या विदेशी, आपको कॉलेज की लड़की पसंद है या घरेलू महिला। आपको उम्रदराज महिला पसंद है या फिर तलाकशुदा। हॉस्टल में रहने वाली या फिर बिजनेसवूमेन। सच कहा जाए तो आपको आपकी पसंद के मुताबिक आपको पैसे खर्च करने पड़ेंगे। 

नाम अलग पर धंधा एक

ताजा खुलासा यही है कि इस धंधे ने शहर के हिसाब से अपने चेहरे पर इसने नकाब चढ़ा रखा है। कहीं ये कारोबार स्पा सेंटर्स के नाम पर चल रहा तो कहीं ब्यूटी पॉर्लर के नाम पर। महानगरों में मसाज सेंटर के तौर पर भी इस धंधे के लोगों ने अपनी अपनी दुकानें खोल रखी हैं। इसके अलावा भी कई सेंटर हैं जो इस धंधे की विंडो बनते हैं। जैसे रेस्टोरेंट, कॉफी हाउस, या बुक शॉप, सेलून या फिर एस्कॉर्ट सर्विस। इन नामों से सोशल मीडिया पर खिड़की खुलती है, और उस खिड़की में मनपसंद लड़की या महिला यानी कॉलगर्ल दिखाई जाती है।

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क्लाइंट की फरमाइश

इस धंधे के धंधेबाजों ने अपने ग्राहकों जिन्हें क्लाइंट कहा जाता है, उन्हें संतुष्ट करने और पूरी तरह से खुश करने के लिए एक और खास सुविधा मुहैया करवाई जाती है। जैसे अक्सर हम पहले दुकानों में लिखा देखते थे ग्राहक हमारा भगवान है। ठीक उसी तर्ज पर यहां भी धंधेबाजों के लिए क्लाइंट और उनकी फरमाइश नंबर एक होती है। इसीलिए ये एक्स्ट्रा सर्विस मुहैया करवाई जाती है। वो है वीडियो कॉलिंग। यानी आप पहले अपनी 'पसंद' से बात करके पूरी तरह से रजामंद हो जाइये उसके बाद ऑर्डर कीजिए। वीडियो कॉलिंग में हर सुविधा है। कोई बात करके संतुष्ट हो जाता है तो कोई देखने के बाद। कुछ लोग तो न्यूड कॉलिंग तक की फरमाइश कर देते हैं लेकिन अपने क्लाइंट को खुश करना ही इस धंधे के लोगों का पहला मकसद है लिहाजा वो अपने ग्राहकों की इस मांग को भी पूरा करके उन्हें मनचाही सुविधा दिलाने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं। 

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पास कोड की चाबी

इस धंधे की पहली और आखिरी शर्त ये है कि आप इसके बारे में किसी से कुछ नहीं कहेंगे, और अगर आपको दोबारा सर्विस लेनी है तो फिर आप कारोबारियों की तरह से दिए गए पासकोड का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। ये पास कोड बिलकुल क्यूआर कोड जैसा काम करता है। 

पुलिस का डर सबसे कम

अब सवाल उठता है कि क्या इस धंधे पर पुलिस की नज़र नहीं पड़ती। पड़ती है, पुलिस यहां भी आ धमकती है। लेकिन जब तक पुलिस को इस बारे में कुछ भनक लगती है तो अक्सर उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। हां अगर पुलिस की किस्मत बुलंद हो या फिर क्लाइंट और कारोबारी की किस्मत ही फूटी हो तो कानून के सिपाहियों की जकड़ में आना लाजमी हो जाता है। वैसे भी कोई भी ग्राहक अगर अपने घर पर है तो वो उसका निजी जीवन है और किसी के निजी जीवन में झांकना पुलिस के लिए गैरकानूनी हो जाता है। ये धंधा इतनी आसानी और सहूलियत के साथ चलाया जाता है कि लोगों को घर बैठे बिठाए ही मनचाहा लुत्फ मिल जाता है। अब इसके लिए उन्हें बाजार में या जगह जगह ठिकाने ठिकानों की धूल फांकने की कोई जरूरत नहीं। 
 

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