Saumya Vishwanathan Murder Case: छह महीने बाद पकड़े गए थे क़ातिल, 15 साल बाद दोषी करार

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Saumya Vishwanathan Murder Case: छह महीने बाद पकड़े गए थे क़ातिल, 15 साल बाद दोषी करार
सौम्या विश्वनाथन की हत्या के 15 साल बाद साकेत कोर्ट ने कातिलों को दोषी करार दिया
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Delhi Crime News: इंडिया टूडे की महिला पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में पूरे 15 साल बाद साकेत कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया है। बुघवार यानी 18 अक्टूबर 2023 को आए साकेत कोर्ट के फैसले में पांच में से चार आरोपियों को हत्या और मकोका के तहत दोषी करार दिया गया है जबकि एक आरोपी मकोका के तहत दोषी पाया गया है। अब आने वाली 26 अक्टूबर को सभी दोषियों की सजा के सिलसिले में बहस होनी है। 

हत्या के 15 साल बाद सौम्या के आरोपी दोषी करार

30 सितंबर को हुई थी हत्या

ये हत्या 30 सितंबर 2008 को हुई थी, जब सौम्या विश्वनाथन को चलती कार में गोली मारी गई थी। सौम्या अपनी ही कार में मृत पायी गई थी। 

चलती कार में मारी गई थी गोली

वाकया 15 साल पहले 30 सितंबर 2008 का है जब सैम्या विश्वनाथन आधी रात के बाद करीब 3 बजे अपने दफ्तर यानी वीडियोकॉन टावर में इंडिया टुडे के ऑफिस से अपने घर वसंत कुंज जाने के लिए निकली थी। उस रोज सौम्या खुद ही अपनी कार ड्राइव कर रही थी। पुलिस की तफ्तीश में ये बात सामने आई है कि सौम्या के आरोपी रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय भैंगा भी अपनी कार से उसी रास्ते से जा रहे थे। इन चारों बदमाशों को वसंत विहार के पास एक कार में सौम्या अकेली जाती नज़र आई। आरोपियों ने लूट के इरादे से अपनी कार सौम्या की कार के पीछे लगा दी। इसके बाद बदमाशों ने कई बार रास्ते में सौम्या की कार को ओवरटेक करने की कोशिश की लेकिन जब वो लोग ओवरटेक करने में नाकाम रहे तो रवि कपूर ने अपनी पिस्तौल निकालकर सौम्या पर फायर कर दिया। 

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शीशा तोड़कर गोली लगी सिर पर

पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक गोली एक ही चली थी, मगर वो गोली कार का शीशा तोड़ती हुई सौम्या के सिर पर जा लगी। इसके बाद आरोपी अपनी कार से फरार हो गए। इधर गोली लगते ही सौम्या वहीं कार में ही ढेर हो गई। 

पुलिसवाले ने उठाया था फोन

ऑफिस से घर के लिए निकली सौम्या जब काफी देर तक घर नहीं पहुँची तो घरवालों को चिंता सताने लगी। सौम्या के पिता एम के विश्वनाथन लगातार अपनी बेटी को फोन करते रहे। लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। सुबह 4 बजे के करीब एक पुलिसवाले ने फोन उठाया और विश्वनाथान साहब को बताया कि उनकी बेटी को गोली लगी है और वो कार में ही पड़ी है। गोली जिस समय चली थी उस वक्त सौम्या की गाड़ी चलती हुई हालत में थी। लिहाजा गोली लगने के बाद जब सौम्या जब बेसुध होकर कार में ही गिर गई तो उसी रफ्तार में कार बेकाबू होकर एक डिवाडर और फिर पोल से जा टकराई। जिस वक़्त पुलिस ने सौम्या को कार में देखा था उस समय उसके सिर से खून बह रहा था। हालांकि शुरुआत में पुलिस को ये केस एक्सिडेंट का ही लगा। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सौम्या के सिर में गोली लगने की पुष्टि हुई। फॉरेंसिक जांच से पता चला कि सौम्या को लगी गोली किसी नॉन स्टैंडर्ड फायर आर्म से चलाई गई थी। इसके बाद 30 सितंबर 2008 को वसंत कुंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई। उसकी एफआईआर संख्या 481 थी।

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छह महीने तक कातिलों का पता नहीं चला

इसके बाद पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई। तमाम कोशिश के बावजूद छह महीने तक इस वारदात में कोई तरक्की नहीं हो सकी। 

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जिगिषा घोष की हत्या के सिलसिले में जांच के दौरान पकड़े गए थे सौम्या के कातिल

जिगिषा घोष का अपहरण और मर्डर

इसी बीच 17 मार्च 2009 को वसंत विहार से कॉलसेंटर की एग्जीक्यूटिव जिगिषा घोष का अपहरण और मर्डर हुआ। सौम्या की ही तरह वो भी रात के वक़्त ऑफिस से अपने घर वापस आ रही थी। बदमाशों ने जिगिषा का डेबिट कार्ड ले लिया था और उसका इस्तेमाल महिपालपुर में स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के एटीएम बूथ में किया गया था। और उसी बूथ के सीसीटीवी में पुलिस को एक आरोपी बलजीत मलिक की तस्वीर नज़र आ गई थी जिसने जिगिषा का कार्ड इस्तेमाल किया था। 

जिगिषा की हत्या की तफ्तीश में खुला राज

पुलिस ने तब बलजीत मलिक को उठाया और उससे पूछताछ की। पुलिस की पूछताछ के दौरान ही बलजीत ने रवि कपूर का नाम लिया। और पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। हालांकि पुलिस उन दोनों को जिगिषा घोष मर्डर केस में तफ्तीश कर रही थी लेकिन तभी ये बात खुली कि इन लोगों ने ही छह महीने पहले सौम्या का भी मर्डर किया था। तब पुलिस ने सभी आरोपियों को करके मामला दर्ज किया था।  

छह महीने बाद पकड़े गए थे सौम्या के कातिल

मकोका के तहत दर्ज हुआ मामला

सौम्या की हत्या के 6 महीने बाद यानी अप्रैल 2009 में पुलिस ने रवि कपूर गैंग के खिलाफ मकोका लगाया। इसके अलावा आरोपियों के खिलाफ हत्या और डकैती जैसे संगीन इल्जाम की भी धाराएं दर्ज की थी।

रवि कपूर गैंग पर लगा मकोका

इसके बाद पुलिस ने 6 फरवरी 2010 को रवि कपूर, बलजीत सिंह, अमित शुक्ला, अजय कुमार और अजय सेठी के खिलाफ मकोका, हत्या और डकैती जैसी संगीन धाराओं के तहत आरोप तय किए।  इसके बाद करीब 13 साल तक सौम्या को इंसाफ दिलाने की लड़ाई चली। कोर्ट की सुनवाई 13 साल में पूरी होने के बाद आखिरकार 18 अक्टूबर को साकेत कोर्ट ने रवि कपूर गैंग को सौम्या हत्याकांड में दोषी करार दिया है। 

साकेत कोर्ट का फैसला आने के बाद सौम्या के माता पिता ने ली राहत की सांस

'हमारी बेटी तो चली गई'

कोर्ट में आरोपियों को दोषी करार दिए जाने के बाद सौम्या की मां ने अपने रुंधे हुए गले से कहा हमारी बेटी तो चली गई, लेकिन ये फैसला दूसरों के लिए जरूर नजीर बनेगा। आखिरकार 15 साल की लड़ाई रंग लाई है। 

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