Nikki Murder Case: निगमबोध घाट की पार्किंग में की गई थी निक्की की हत्या, श्मशान के सीसीटीवी में दिखी साहिल की कार, पुलिस एक बार फिर फंसी सवालों के घेरे में
Nikki Yadav Murder Case: दिल्ली में हुए निक्की यादव हत्याकांड में एक नया खुलासा उस वक़्त सामने आया जब खुद साहिल ने पुलिस की पूछताछ में साफ साफ बता दिया कि उसने निक्की यादव की हत्या निगम बोध घाट की पार्किंग में की थी और निक्की के मुर्दा जिस्म को ल
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Nikki Yadav Murder Case: दिल्ली में निक्की हत्याकांड में पुलिस सबसे पहली चीज इस बात का पता लगाने की कोशिश में है कि साहिल गहलोत ने आखिर हत्या की तो कहां की...ऐन वो जगह कौन सी है, जहां ले जाकर निक्की यादव का गला साहिल गहलोत ने डाटा केबल से घोटा। लेकिन इससे पहले दिल्ली पुलिस अपनी जांच में ये बात सामने ला पाती, खुद साहिल ने ही वो सच उगल दिया जिसको लेकर दिल्ली पुलिस सबसे ज्यादा परेशान था।
खुलासा बेहद चौंकाने वाला है। निक्की यादव की हत्या कहीं और नहीं निगमबोध घाट की पार्किंग में ही की गई थी और वो भी दिन के उजाले में।और हत्या के बाद निक्की के मुर्दा जिस्म को कार में लेकर वो करीब दो घंटे से ज़्यादा वक़्त तक राजधानी की सड़कों से होता हुआ मित्राऊं गांव पहुँचा था।
और हैरानी की बात ये है कि ये सब कुछ खुद साहिल गहलोत ने पुलिस के सामने तब कबूल कर ली जब पुलिस इस बात की रेकी कर रही थी कि सुबह नौ बजे से लेकर शाम तक आखिर कहां कहां गया और उसके साथ निक्की यादव कब तक जिंदा थी।
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साहिल के इस खुलासे के बाद दिल्ली पुलिस ने जब निगमबोध घाट के सीसीटीवी खंगाले तो वहां 10 फरवरी की सुबह 8 बजकर 58 मिनट पर साहिल गहलोत की वेरना हुंडई कार श्मशान घाट की पार्किंग में दाखिल होती दिखाई दी। उस वक़्त निक्की यादव जिंदा थी और ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठी थी। सीसीटीवी से ये भी पता चला कि वेरना हुंडई कार के दरवाजों के शीशे टिंटेड थे। मतलब वो इतने गहरे रंग के थे कि कार के बाहर से कार के भीतर नहीं देखा जा सकते। लेकिन विंड स्क्रीन के जरिए सीसीटीवी ने देखा कि निक्की यादव उस कार में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठी है और वेरना हुंडई कार श्मशान घाट के भीतर बाईं तरफ वाली पार्किंग में आकर खड़ी हो गई थी।
सीसीटीवी में ये भी दिखा कि साहिल गहलोत की वो कार सुबह 8 बजकर 57 मिनट पर श्मशान घाट में दाखिल होने के ठीक 33 मिनट के बाद यानी 9.30 बजे वहां से चली भी गई। और सीसीटीवी में ये भी दिखा कि निक्की यादव उसी ड्राइविंग सीट पर ही नज़र आई।
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जिस वक़्त साहिल गहलोत की कार श्मशान घाट में पहुँची थी वहां पहले से ही कई लोग थे। जबकि साहिल की कार को श्मशान घाट के दो सिक्योरिटी गार्ड ने भी देखा था। एक सिक्योरिटी गार्ड ने अपना बयान पुलिस को दिया है जिसमें उसने कहा है कि उसने 10 फरवरी की सुबह 9 बजे के आस पास पार्किंग में सफेद रंग की एक हुंडई वेरना कार को देखा था जिसमें एक महिला भी बैठी हुई थी लेकिन वो लोग कार से उतरे नहीं थे।
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निगम बोध घाट में कुल 44 कैमरे लगे हैं, लेकिन अजीब इत्तेफाक है कि जिस जगह साहिल ने अपनी कार पार्किंग में पार्क की थी वहां किसी भी कैमरे की नजर नहीं पड़ती। शायद यही वजह है कि पुलिस को पार्किंग में खड़ी साहिल की कार नहीं नज़र आई। सिर्फ आते और जाते वक्त ही वो कार दिखाई पड़ती है।
निक्की हत्याकांड की जांच में लगे पुलिस अफसर के मुताबिक खुद साहिल ने ये बात पुलिस को बताई है कि 10 फरवरी को निगम बोध घाट से करीब 9.30 बजे निकला था। जिसकी तस्दीक वहां के सीसीटीवी के रिकॉर्ड से भी हो जाती है। 9.30 बजे निगम बोध घाट से निकलने के बाद साहिल गहलोत करीब 11 बजे के आस पास निगम बोध घाट से 47 किलोमीटर दूर मित्राऊं गांव के खाओ पियो ढाबे तक पहुँचा था जो उस वक़्त बंद था।
जांच में पुलिस ने साहिल के बताए गए रास्ते के उन तमाम सीसीटीवी कैमरों की तस्वीरों को भी इकट्ठा कर लिए हैं जिन रास्तों से होकर साहिल मित्राऊं गांव की तरफ गया था। पुलिस को मिले कई सीसीटीवी कैमरों में साहिल गहलोत की सफेद हुँडई वेरना कार को देखा गया। इससे ये बात तो साफ हो गई कि पुलिस को दिए गए बयान में साहिल ने अभी तक कोई झूठ नहीं बोला।
हालांकि पुलिस इस हत्याकांड में तफ्तीश को तेजी से करके तमाम सबूत और सुराग जुटाने में लगी हुई है, मगर एक सवाल ऐसा है जिसमें खुद पुलिस खुद कठघरे में जाकर खड़ी हो जाती है। और वो है साहिल की कार में टिंटेड ग्लास का होना। दिल्ली और दिल्ली के आस पास के इलाक़ों में टिंटेड ग्लास के साथ कार चलाना कानूनन अपराध है। ऐसे में पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर 44 किलोमीटर के इस सफर के दौरान साहिल न जाने कितने थाने और चौकी के साथ साथ रास्ते में तैनात पुलिसवालों की नज़रों के सामने से होकर गुजरा लेकिन किसी भी पुलिस वाले ने उसकी वेरना कार को रास्ते में ही रोकने की कोशिश नहीं की।
यानी अगर पुलिस ने उस रोज साहिल की कार को हाथ देकर रोक लिया होता तो निक्की यादव की हत्या का राज उसी दिन यानी 10 फरवरी को ही सामने आ जाता। दिल्ली पुलिस की ये ठीक वैसी ही गलती है जो उसने पहली जनवरी की रात अंजलि हत्या के केस में की थी। तब भी पुलिस ने उस कार को कहीं नहीं रोका जिस कार के नीचे फंसी अंजली 12 किलोमीटर तक घिसटती रही और तड़प तड़पकर जान देती रही।
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