चलता फिरता ताबूत बना रूस का महाबली T-72 टैंक, यूक्रेन की जंग में इसलिए हो गया टांय टांय फिस्स

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चलता फिरता ताबूत बना रूस का महाबली T-72 टैंक, यूक्रेन की जंग में इसलिए हो गया टांय टांय फिस्स
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Russia - Ukraine War: रूसी टैंक को इस वक़्त चलता फिरता ताबूत कहा जाने लगा है। यूक्रेन के साथ चल रही इस जंग में रूस की जिस कमज़ोरी की तरफ सबसे ज़्यादा नज़रें उठीं हैं वो और कुछ नहीं रूस का महाबली कहलाने वाला T-72 टैंक है।

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को 64 दिन बीत चुके हैं। इस दौरान रूसी सेना ने यूक्रेन का सब कुछ तबाह और बर्बाद कर दिया। यूक्रेन का शायद ही कोई शहर ऐसा बचा हो जहां रूसी बमों ने तबाही न मचाई हो। कुछ शहर तो क़रीब क़रीब अब इतिहास के पन्नों में ही दर्ज होकर रह गए, क्योंकि अब उन शहरों को दोबारा बसने में न जाने कितने साल और कितनी रकम खर्च हो जाएगी।

Russia - Ukraine War: इसी जंग के मैदान से एक सवाल ने सिर उठाया है। और वो सवाल है रूस के उस महाबली टैंक को लेकर जिसके बारे में दुनिया में यही धारणा थी कि इस टैंक का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। लेकिन यूक्रेन की ज़मीन पर आते ही इस टैंक की हवा टाइट हो गई। रूसी सेना का सबसे मारक और सबसे भरोसे लायक हथियार जिस टैंक को माना जा रहा था उसने रूस की तैयारी और जंगी सामानों को तैयार करने के उनके तमाम दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है।

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ये सही है कि रूसी सेना बीते 50 सालों से T-72 टैंक का इस्तेमाल अपने मुख्य टैंक के तौर पर करती आ रही है। इतना ही नहीं रूस ने पूरी दुनिया के कई देशों को सबसे ताक़तवर टैंक बताकर इसे बेचकर अरबों डॉलर कमाए भी हैं। मगर अब इस जंग में ये टैंक सवालों से घिर गया है।

असल में यूक्रेन से सामने आई जिन तस्वीरों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सबसे ज़्यादा बेचैन किया है वो न तो यूक्रेन के लोगों की लाशें हैं, न ही यूक्रेन के तबाह और बर्बाद हो चुके शहरों की जली भुनी तस्वीरें हैं। बल्कि यूक्रेन के अलग अलग इलाक़ों में जले खड़े रूसी टैंक T-72 हैं, जो अपनी ही सेना के लिए किसी आफत से कम नहीं बने हुए हैं।

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Russia - Ukraine War: यूक्रेन के कई इलाक़ों में तबाह और बर्बाद हुए रूसी टैंक T-72 की तस्वीरों ने जिस सवाल को पैदा किया वो यही है कि क्या रूस का ये टैंक भरोसे लायक नहीं रहा। आखिर इसमें ऐसी कौन सी ख़ामी है जिसने रूस की सेना के साथ साथ रूस की सेना का सुप्रीम कमांडर व्लादिमीर पुतिन की नींद उड़ा रखी है।

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यूक्रेन के मैदान से रूसी टैंक के बारे में जो सच सामने आ रहा है वो वाकई हैरान करने वाला है। क्योंकि पता यही चल रहा है कि रूस का T-72 टैंक कई तरह की तकनीकी दिक्कतों से ग्रसित है। हालांकि पहले तो नहीं लेकिन अब पश्चिम के देश खासतौर पर अमेरिका और नाटो देशों ने अब खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि ये बात वो पहले से ही जानते थे कि जंग के मैदान में ये टैंक किसी काम के साबित नहीं होंगे बल्कि इनकी वजह से सेना को नुकसान उठाना पड़ेगा।

News Of Russian Tank: तकनीकी भाषा में इस टैंक की मौजूदा समस्या को ‘जैक इन द बॉक्स’ कहा जाता है। असल में बात ये है कि रूस के इस महाबली टैंक T-72 में गोला बारूद टैंक के स्लेटर पर बने बुर्ज में रखा जाता है। और इसी अकेली ख़ामी ने इस टैंक को चलता फिरता ताबूत बना दिया है। क्योंकि जैसे ही कोई गोला इस टैंक पर गिरता है तो बेशक इसकी मोटी और मज़बूत चादर उस गोले को टैंक के बाकी हिस्सों को बचा लेने में कामयाब हो जाए लेकिन उस टैंक का बुर्ज सबसे कमज़ोर अंग बनकर दुश्मन के सामने आ जाता है।

होता ये है कि दुश्मन की टैंक का गोला जैसे ही इस टैंक के सामने के हिस्से से टकराता है, तो बुर्ज में चेन रिएक्शन शुरू हो जाता है। इसका सबसे बुरा असर ये होता है कि पूरा टैंक ही आग के गोले में तब्दील हो जाता है और टैंक में सवार सेना के जवानों को लिए वो किसी चलती फिरती चिता जैसा बन जाता है। जिससे बचकर निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। ऐसी अनगिनत तस्वीरें यूक्रेन के साथ हुए इस युद्ध में सबने देखी हैं।

Russia - Ukraine War: अमेरिका की सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकी सिक्योरिटी में रशियन स्टडीज़ के प्रमुख सलाहकार सैम बेंडेट का कहना है कि रूस के इस टैंक का डिज़ाइन ही दोषपूर्ण है। टी 72 पर लगा कोई भी डायरेक्ट हिट उसमें रखे गोला बारूद को आग के शोलों में तब्दील कर देता है। शायद यही वजह थी कि रूसी टैंकों के बुर्ज हवा में उड़कर दूर गिरे।

ब्रिटिश सेना के एक पूर्व अधिकारी ने रूसी टैंक के बारे में कहा है कि इस टैंक का सबसे बड़ा दोष इतना बड़ा है कि जिसमें टैंक का चालक दल हमेशा ही ख़तरे में रहता है। टैंक में एक वक़्त में दो सैनिक के अलावा एक ड्राइवर होता है। और डायरेक्ट हिट की सूरत में अगर ये तीनों चंद सेकंड के भीतर बाहर न निकलें तो टैंक में जल भुनकर राख हो सकते हैं।

Russia - Ukraine War: ऐसा लगता है कि रूस को अपनी गलती का अहसास वक़्त पर हुआ ही नहीं। रूस के यही टैंक इराक़ की ज़मीन पर भी जब ढेर हुए तो रूस को इस ख़ामी पर गौर करने का पूरा वक़्त था। लेकिन यूक्रेन में ज़मीनी हक़ीकत देखने के बाद कहा जा सकता है कि रूस ने सबक नहीं सीखा और यूक्रेन में उसे सैकड़ों टैंकों से हाथ धोना पड़ा।

सबसे हैरानी की बात है कि रूस की सेना में 2000 से ज़्यादा टी 72 टैंक तैनात हैं। और सबका एक जैसा हाल है। असल में ये टैंक सोवियत संघ के इंजीनियरों ने शीत युद्ध के दौरान डिजाइन किया था। और सोवियत संघ के टूटने से पहले T-72टैंकों की 18000 से ज़्यादा यूनिट बनाकर तैयार कर दी गई थीं। इन्हीं तैयार टैंकों में से कई देशों को इसका अपग्रेडेड वर्जन भी बेचा गया था। और इसी दावा के साथ इस टैंक बेचा जाता था कि इस टैंक का सामना करने की ताक़त दुनिया के किसी भी दूसरे टैंक में नहीं है। लेकिन यूक्रेन में आकर टैंक टांय टायं फिस्स हो गया।

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