जंग के ख़त्म होने की हो गई 'डेट फ़िक्स'? पुतिन ने इसलिए दिया है रूस की सेना को ये टारगेट
जंग ख़त्म करने की फिक्स कर दी गई डेट, पुतिन ने इसलिए दिया है 9 मई का टारगेट, रूस की सेना में बग़ावत, कर्नल को ही कुचल कर मार डाला, रूसी सेना में घुस गई कुंठा, यूक्रेन को तबाह करने लगे हैं रूसी सैनिक
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9 मई को ख़त्म हो जाएगा युद्ध?
Russia Ukraine War: आख़िर कब ख़त्म होगी ये जंग? रूस कब रुकेगा? यूक्रेन कब तक बर्बाद होना बर्दाश्त करता रहेगा? ये सवाल इस वक़्त पूरी दुनिया में घूम रहे हैं। और इन्हीं सवालों के साये में इनके जवाब भी टहल रहे हैं, लेकिन एक जवाब ने सामने आकर पूरी दुनिया को चौंका दिया। क्योंकि ये जवाब अपनी दिन और तारीख़ के साथ दुनिया के सामने नुमाया हुआ।
एक दावा सामने आया है जिसमें कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग 9 मई तक ख़त्म हो जाएगी। सवाल उठता है कि इतनी पक्की तारीख़ के साथ ये बात कैसे सामने आई। जिस जंग के शुरू होने के बाद ही दुनिया भर के लोग इसके ख़त्म होने के वक़्त का अंदाज़ा लगाए बैठे थे वो तो सारे दावे धरे के धरे रह गए।
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ऐसे में यही सवाल बड़ा हो जाता है कि आखिर ये जो तारीख सामने आई है उसको लेकर कैसे यक़ीन कर लिया जाए कि बताई गई 9 मई की तारीख़ तक ये जंग रुक जाएगी। ये तबाही का सिलसिला थम जाएगा।
9 मई इसलिए ख़ास है रूस के लिए
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Russia Ukraine War: इस दावे के पीछे जो तर्क काम कर रहा है वो ये है कि असल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब अपनी सेना को टारगेट दे दिया है। रूसी सैनिकों के बीच घूम रहा एक मैसेज रूस के साथ साथ यूक्रेन में भी वायरल हो रहा है। इस वायरल मैसेज में यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ़ ने कहा है कि रूसी सैनिकों के बीच एक प्रचार किया जा रहा है कि इस जंग को 9 मई तक ख़त्म किया जाना है।
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असल में 9 मई की तारीख़ रूस के लिए बेहद ख़ास है। क्योंकि 1945 में 9 मई को ही नाजी जर्मनी ने रूस के सामने अपने हथियार डाले थे। लिहाजा रूस इस दिन को विजय दिवस के तौर पर मनाता है। और इस रोज़ बाक़ायदा सेना की परेड भी निकाली जाती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि रूस में इस रोज बड़े ही भव्य कार्यक्रम होते हैं।
रूस की सेना में कुंठा और बग़ावत
Russia Ukraine War: यूक्रेइंस्का प्रावदा के मुताबिक जनरल स्टाफ़ ने साफ़ साफ़ कहा है कि बड़े से बड़े नुकसान और फौजियों के मनोबल के बावजूद रूसी सैनिकों ने एक तरह से बग़ावत करनी शुरू कर दी है। गरज ये कि रूसी सैन्य और सियासी अधिकारी यूक्रेन के ख़िलाफ़ अब और युद्ध जारी रखने के पक्षधर नहीं हैं। और सभी युद्ध को आगे जारी रखने की तमाम संभावनाओँ को खारिज करते घूम रहे हैं।
आलम ये है कि रूस के फौजी अब अपनी कुंठा यूक्रेन के शहरों और गांवों पर उतारकर एक तरह से युद्ध के नियमों की सरासर अनदेखी कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि उनके इस किए पर किसी को कोई पछतावा नहीं होगा। रूस के सैनिक यूक्रेन के शांतिपूर्ण गांवों और शहरों के तमाम बिल्डिंग या दूसरे ढांचों को बर्बाद कर रहे हैं।
रूसी सेना का बहुत हो चुका नुकसान
Russia Ukraine War: बताया जा रहा है कि यूक्रेन और रूस की सीमा के पास यूक्रेन के हिस्से में रूसी सेना का कब्ज़ा हो चुका है। ख़ासतौर पर पूर्वी हिस्से में। इस इलाक़े के तमाम अस्पतालों और मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में रूसी सेना के घायल सैनिकों का कब्ज़ा है। यूक्रेन के फौजी अफसरों के मुताबिक रूसी सैनिक अपने हवाई सैनिकों की लड़ाकू क्षमताओं को फिर से बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी बीच खबर ये सामने आई कि यूक्रेन के सैनिकों ने रूस के 12 टैंक के अलावा 20 से ज़्यादा छोटे तोपखानों और बख़्तरबंद गाड़ियों और नौ आर्टिलरी सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। इसके अलावा 200 से ज़्यादा रूसी सैनिकों को शहर की सड़कों पर मौत की नींद में सुला दिया।
कर्नल को टैंक से कुचलकर मार डाला रूसी सैनिकों ने
Russia Ukraine War: यूक्रेन के सैनिक अधिकारियों के हवाले से जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक पुतिन की पलटन को अब यूक्रेन के भीतर अपने कदम जमाए रखने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर सैनिकों के मनोबल के स्तर पर।
यूरोप के एक अधिकारी ने दावा किया है कि एक रूसी कर्नल को उसके ही सैनिकों ने अपने टैंक से कुचलकर मार डाला क्योंकि वो सैनिकों को आगे बढ़कर जंग लड़ने को कह रहा था जबकि थके हुए सैनिक आराम करना चाहते थे। बताया जा रहा है कि रूस की सेना में बग़ावत बड़े पैमाने पर देखी जा रही है।
रूस के विद्रोही सैनिकों ने ही 37वीं मोटर राइफल ब्रिगेड के कमांडर यूरी मेदवेदेव पर जानबूझकर टैंक चढ़ा दिया। हालांकि कुछ अरसा पहले उन्हें बेलारूस के अस्पताल में ले जाते देखा गया था, लेकिन खबर ये सामने आई है कि गंभीर चोटों की वजह से अब उनकी मौत हो चुकी है।
लिहाजा इसी लिए ये बात कही जा रही है कि रूसी राष्ट्रपति अब इस जंग को 9 मई तक पूरी तरह से ख़त्म करके 9 मई को अपने देश के विजय दिवस को पूरी शान के साथ मनाना चाहते हैं। इसीलिए रूसी सैनिकों का उनके कमांडर हौसला बढ़ाकर उन्हें जंग में और लड़ने के लिए उकसा रहे हैं।
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