यूक्रेन तुम घबराना नहीं हम तुम्हारे साथ हैं! इतना कहकर किनारे से टहलकर निकल गई दुनिया...

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हर रोज़ थोड़ा थोड़ा बर्बाद होता यूक्रेन

Russia Ukraine War: रूस पिछले 35 दिनों से बम बरसा रहा है और यूक्रेन हर रोज़ थोड़ा थोड़ा घायल होता हुआ लगभग पस्त हो चुकी हालत में पहुंच गया है। तबाही, बर्बादी, मलबा और ढेर ये सब कुछ उस यूक्रेन की ताज़ा पहचान है, जो उसके अलग अलग शहरों और शहरों के बाहर रास्तों पर नज़र आ जाता है।

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी इस जंग में हर कोई पुतिन की रणनीति की बात कर रहा है। अमेरिका कौन सी चाल चल रहा है इसकी बातें की जा रही हैं। नाटो (NATO) यूक्रेन को कब कैसे और कितने हथियार दे रहा है, इसका ज़िक़्र किया जा रहा है। मगर यूक्रेन अब तक कितना बर्बाद हो चुका है। उसकी कितनी ज़मीन तबाह हो गई। उसको अभी तक कितने का नुकसान हो चुका है। और कितना नुकसान हर रोज़ हो रहा है, इसके बारे में कभी कोई बात भी नहीं करता।

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यूक्रेन में चारो तरफ तबाही और बर्बादी का मलबा

Russia Ukraine War: मीडिया में भी जो खबरे चल रही हैं उनमें भी रूस के हमलों का ज़िक्र तो होता है लेकिन ये बताने की ज़हमत कोई नहीं उठा पाता कि रूस का एक बम असल में यूक्रेन को कितना खोखला कर रहा है, उसके कितने सालों की मेहनत को एक पल में बर्बादी के ढेर में बदल देता है।

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वैसे तो जो तबाही और बर्बादी इस वक़्त यूक्रेन देख रहा है, ऐसी बर्बादी दूसरे विश्व युद्ध में ही देखने को मिली थी। उसके बाद से यूरोप ने पहली बार बर्बादी की ऐसी शक्ल इतने क़रीब से देखी होगी।

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एक मोटा मोटा अनुमान ये है कि अब तक इन 35 दिनों के दौरान हुई लड़ाई में रूस ने यूक्रेन को 55 हज़ार करोड़ डॉलर से लेकर 60 हज़ार करोड़ डॉलर तक की तगड़ी चोट पहुँचाई है।

यूक्रेन देख चुका है अभी तक इतनी तबाही

Russia Ukraine War: एक रिपोर्ट की मानें तो रूस की सेना ने यूक्रेन में सड़कों से लेकर स्कूल तक को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया है। बंदरगाह से लेकर धार्मिक स्थल तक को रूस के बमों और मिसाइलों ने नहीं छोड़ा। शहर के भीतर शॉपिंग मॉल से लेकर शहर के बाहर बने हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट तक को रूसी बारूद बर्बाद कर चुका है।

यूक्रेन में दो लाख से ज़्यादा वाहन अब कबाड़ हो चुके हैं। क़रीब 80 लाख से लेकर एक करोड़ लोगों के पास पीने का साफ पानी तक नहीं है। क़रीब एक मिलियन यानी दस लाख लोग ऐसे हैं जो इस वक़्त दाने दाने को मोहताज हो गए हैं। 60 लाख से ज्यादा लोग अपने ही देश में दर बदर भटक रहे हैं जिनके पास सिर छुपाने को कोई छत तक नहीं है। जबकि 1 करोड़ से ज़्यादा लोग यूक्रेन छोड़कर कोई दूसरा ठौर ठिकाना ढूंढ़ने की गरज से सरहद लांघ चुके हैं।

तस्वीर में दिखता धुंधला भविष्य

Russia Ukraine War: ये है एक तस्वीर। अब इसी तस्वीर को थोड़ा ज़ूम करके देखने की कोशिश करते हैं। अभी तक जो कुछ भी अनुमान लगाया गया है उसके मुताबिक रूसी सेना ने यूक्रेन में क़रीब साढ़े आठ हज़ार किलोमीटर लंबी सड़कों को पूरी तरह से बर्बाद कर चुकी है। जिसे अगर आज की तारीख़ में तैयार किया जाए तो शायद उसकी क़ीमत तकरीबन 28 से 30 लाख डॉलर बैठेगी।

इस लड़ाई में अभी तक रूस की सेना ने 1300 से ज़्यादा मिसाइल अटैक किए हैं जिनकी चपेट में यूक्रेन की 4500 से ज़्यादा रिहायशी बिल्डिंगें, 533 स्कूल, 138 अस्पताल और क़रीब 10 एयरपोर्ट आ चुके हैं। जिनकी क़ीमत क़रीब 20 लाख डॉलर के आस पास बैठती दिखाई दे रही है।

अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक़ यूक्रेन इस जंग में अपने क़रीब 1200 से ज़्यादा नागरिकों को खो चुका है। जबकि इतनी ही तादाद में उसके सैनिक मादर-ए-वतन की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। जिनकी जान अनमोल थी।

मदद के नाम पर चुल्लू भर पानी

Russia Ukraine War: अब ज़रा उसका भी हिसाब देख लीजिए जिसके बारे में सारी दुनिया का मीडिया चीख चिल्ला कर बताने की कोशिश कर रहा है कि यूक्रेन को नाटो और अमेरिका लगातार मदद कर रहे हैं और उसकी मदद में किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दे रहे।

- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF अब तक 140 करोड़ डॉलर मदद के नाम पर यूक्रेन को दे चुका है।

- विश्व बैंक यानी वर्ल्ड बैंक ने 92.5 करोड़ डॉलर की रकम यूक्रेन को मदद के तौर पर दे चुका है।

- विश्व बैंक की एक स्कीम के तहत युद्ध से घिरे यूक्रेन को 35 करोड़ डॉलर की रकम भी मिल चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र यानी UNITED NATION ने वायदा किया है कि वो यूक्रेन के लिए 110 करोड़ डॉलर की रकम पूरी दुनिया से जुटाएगा लेकिन अभी तक इस कोष में सिर्फ 21.9 करोड़ डॉलर ही इकट्ठा हो चुके हैं।

मदद के नाम का भोंपू ज़्यादा बज रहा

Russia Ukraine War: फ़र्क़ साफ देखा जा सकता है। रूस के हमलों ने यूक्रेन का घर तो पूरी तरह से तबाह और बर्बाद कर दिया लेकिन दुनिया भर के तमाम अमीर और साधन संपन्न देश सीना चौड़ा करके और मुंह फाड़ फाड़कर चिल्ला रहे हैं कि वो यूक्रेन के लिए मदद रुकने नहीं दे रहे। मगर मदद के नाम पर अब तक जो कुछ भी यूक्रेन को हासिल हुआ उससे उसके घर की एक दीवार भी ढंग से नहीं बन सकती, घर की मरम्मत करवाना तो दूर की बात है।

इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यूक्रेन को आने वाले दिनों में मुश्किलों की कितनी तेज़ बारिश का सामना करना पड़ेगा जबकि मदद के दिखावे का भोंपू उसके ही सामने कितनी ज़ोर ज़ोर से बजने वाला है।

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