यूक्रेन की 'डेथ लेडी' ने निकाला रूसी सैनिकों का पसीना, निशांची की Mystery से पुतिन हुए परेशान

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यूक्रेन की 'डेथ लेडी' ने निकाला रूसी सैनिकों का पसीना, निशांची की Mystery से पुतिन हुए परेशान
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लेडी डेथ के नाम से रूस में दहशत

Russia-Ukraine War: कौन है यूक्रेन की वो ‘लेडी डेथ’ (DEATH LADY) जिसने अकेले दम पर रूस की ख़तरनाक सेना के भीतर दहशत पैदा कर रखी है? वो कौन लड़की है, जिसे अचानक यूक्रेन की सबसे बहादुर महिला लड़ाका कहा जाने लगा? यूक्रेन की वो कौन वीरांगना है जिसका ज़िक्र भी रूसी फौज के भीतर पसीने की धार बहा देता है? यूक्रेन की वो कौन क़ातिल हसीना है जिसके आधे ढके चेहरे ने रूसी सेना के पूरे होश गुम कर दिए।

चारकोल (CHARCOAL)। यही नाम है यूक्रेन की उस जाबांज शॉर्प शूटर (SNIPERS) का जिसने अकेले दम पर रूस के व्लादिमीर पुतिन के जांबाज़ सैनिकों का खून सुखाकर रख दिया है। इस चारकोल की मिस्ट्री इस वक़्त सारे यूक्रेन में बचे हुए लोगों की जुबान पर तो है ही, रूसी सैनिक भी इसी चारकोल के बारे में चर्चा कर रहे हैं। जिसका दावा है कि वो इस जंग के ख़त्म करने का ज़ज्बा रखती है।

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चारकोल के नाम को मिल रही यूक्रेन ज़बरदस्त इज़्ज़त

Mystery of Death Lady: इस निशांची चारकोल के बारे में यूं तो बहुत सी बातें हो रही हैं। यहां तक कि उसकी तुलना रेड आर्मी की उस डेथ लेडी से की जाने लगी है जिसके बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि उससे तो हिटलर की नाजी सेना तक खौफ़ खाती थी। उसका नाम था ल्यूडमिला पवलिचेन्को।

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चारकोल के बारे में जो बात सामने आई है उसके मुताबिक़ वो 2017 में यूक्रेन की मरीन सर्विस में शामिल हुई थी। अपनी सेना की नौकरी के दौरान वो दोनेत्स्क और लुहान्स्क में उस वक़्त तैनात हुई थी और क्रेमलिन के समर्थकों के साथ मिलकर न जाने कितने अलगाववादियों को मौत के घाट उतारा था। तीन साल तक यूक्रेन की सेना में काम करने के बाद आखिरकार इसी साल जनवरी में उसने सेना की वर्दी उतार दी थी। लेकिन उसके कुछ ही दिनों के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने का आदेश दिया था।

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रूसी सेना के छक्के छुड़ाने उतरी चारकोल

Russia-Ukraine War: रूसी सेना के यूक्रेन के ख़िलाफ किए गए मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान ही चारकोल ने एक बार फिर अपनी निशाना लगाने वाली बंदूक उठाने का इरादा किया है। चारकोल ने 35वीं इनफेंट्री ब्रिगेड के रिअर एडमिरल मिखाइलो ओस्ट्रोग्रेड्स्की के सामने खुद से हथियार उठाकर रूस के ख़िलाफ़ लड़ने की इच्छा ज़ाहिर की।

उसने मिखाइलो ओस्ट्रोग्रेडस्की के सामने दम भरते हुए रूसी सैनिकों के बारे में कहा है कि हम इनसे अच्छी तरह से निपट सकते हैं। क्योंकि ये लोग इंसान तो हैं ही नहीं। यहां तक कि फासीवादी भी इन ओर्क्स (Orcs) की तरह नीच नहीं थे। लिहाजा इन्हें हराना मुश्किल नहीं है।

असली डेथ लेडी ल्यूडमिला के नक्शे क़दम पर

Mystery of Death Lady: चारकोल वो निशांची है जिसका आधा खुला चेहरा ही पूरे यूक्रेन में छाया हुआ है। इस वक़्त चारकोल को यूक्रेन की ल्यूडमिला पवलिचेंको (Lyudmila Pavlichenko) के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। जिसके बारे में यूक्रेन में न जाने कितने क़िस्से कहानियां मशहूर हो चुके हैं।

ल्यूडमिला पवलिचेंको वो दुनिया की पहली महिला निशांची थी जिसने शार्प शूटर के तौर पर सबसे ज़्यादा कामयाबी हासिल की है। और शायद इसीलिए उसे सबसे पहले लेडी डेथ का ख़िताब दिया गया था।

एक इंटरव्यू के दौरान ल्यूडमिला पवलिचेंको ने कहा था कि नाजियों को मारने में किसी तरह के कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी। न ही कोई उलझन होती थी। ये बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी शिकारी को किसी जानवर को मारकर खुशी मिलती है ठीक उसी तर्ज पर नाजियों का सीना छलनी करने से मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती थी।

ल्यूडमिला थी असली डेथ लेडी

Mystery of Death Lady: ल्यूडमिला पवलिचेंको का जन्म यूक्रेन की राजधानी कीव के पास एक गांव में हुआ था। बताया जाता है कि वो ल्यूडमिला शुरू से ही तेज़ तर्रार थी और अक्सर किसी लड़के के साथ बराबरी किए जाने से चिढ़ जाया करती थी। एक बार जब उसने सुना की उसके गांव के एक लड़के ने शूटिंग की ट्रेनिंग ली तो उसने भी 14 साल की उम्र में ही हथियार थामने का इरादा किया।

उसके बाद ल्यूडमिला ने यूक्रेन की एक आर्म्स फैक्ट्री में काम किया। साल 1932 में 16 साल की उम्र में ल्यूडमिला की शादी हो गई थी और जल्दी ही वो मां भी बन गई। लेकिन ये शादी ज़्यादा दिनों तक चल नहीं सकी और उसका उसके डॉक्टर पति के साथ तलाक हो गया। तलाक के बाद उसकी ज़िंदगी का दूसरा सफर शुरू हुआ। 1937 में ल्यूडमिला ने कीव यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और इसके साथ ही साथ ल्यूडमिला ने स्नाइपर स्कूल में भी प्रवेश पा लिया।

309 नाजी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट

Russia-Ukraine War: स्नाइपर्स स्कूल से ट्रेनिंग लेने के बाद ल्यूडमिला ने सोवियत संघ की रेड आर्मी ज्वाइन कर ली और वहां एक शार्प शूटर के तौर पर काम करने लगी। बताया जाता है कि सोवियत संघ की रेड आर्मी में उस वक़्त 2000 से ज़्यादा महिला स्नाइपर्स थीं और उसी फेहरिस्त में एक नाम था ल्यूडमिला पवलिचेंको का भी। जिसने हिटलर के 309 नाजी सैनिकों को चुन चुनकर इस तरह मौत के घाट उतारा कि तमाम नाजी सेना थर्रा उठी थी।

ल्यूडमिला पवलिचेंको ने SVT 40 सेमीऑटोमेटिक राइफल से वेलयायूका में दो लोगों को मारकर पहला शिकार किया और फिर ये सिलसिला रुका ही नहीं। बेहतरीन शूटर होने की वजह से ही ल्यूडमिला पवलिचेंको को ही लेडी डेथ का ख़िताब मिला था।

उसी ल्यूडमिला पवलिचेंको के नक्शे कदम पर चलते हुए चारकोल ने भी इस वक़्त यूक्रेन की तरफ से रूस के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाल रखा है और यूक्रेन में जांबाज़ी की नई मिसाल बनकर मशहूर हो गई है। और अब उसे रूसी सेना के लोग लेडी डेथ के नाम से पुकारने लगे हैं।

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