UNHRC से रूस सस्पेंड, जंग के और भड़कने के बढ़ गए आसार, भारत फिर रहा वोटिंग से बाहर

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UNHRC से रूस सस्पेंड, जंग के और भड़कने के बढ़ गए आसार, भारत फिर रहा वोटिंग से बाहर
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जंग के और भड़कने के बढ़ गए आसार

UNHRC Russia Suspend: जंग के 43वें दिन एक बात तो साफ हो गई कि ये युद्ध फिलहाल थमने वाला तो नहीं है बल्कि इसके और गहराने के आसार ज़रूर बढ़ गए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि इस युद्ध को और भड़काने के मामले में अमेरिकी ने जो बिसात पर चाल चली है वो कामयाब होती नज़र आ रही है। वजह साफ है, अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों ने मिलकर रूस को सबक सिखाने का बहाना लिया और संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग से निकाल बाहर किया।

7 मार्च को हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में अमेरिका एक प्रस्ताव लाया था जिसके तहत रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करना था। इस प्रस्ताव पर 93 देशों ने रूस के ख़िलाफ़ यानी प्रस्ताव के समर्थन में वोटिंग की जबकि 24 देशों ने रूस के समर्थन में अपना रुख पेश किया। लेकिन चौंकाने वाला पहलू ये है कि क़रीब 53 ऐसे देश हैं जिन्होंने इस वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। भारत भी उन्हीं 53 देशों में से एक है।

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अमेरिका के प्रस्ताव को 93 देशों का समर्थन

UNHRC Russia Suspend: युद्ध के 43वें दिन दुनिया के 93 देशों ने मिलकर अमेरिका की अगुवाई में रूस को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग से निकालकर बाहर खड़ा कर दिया। हालांकि ये दुनिया नहीं है। क्योंकि दुनिया के 53 देशों ने तो इस मामले में किनारा कर लिया लेकिन कहा यही जा रहा है कि दुनिया अब रूस के ख़िलाफ़ है।

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यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस को दुनिया सबक सिखाने पर आमादा है। यूक्रेन के शहरों ख़ासतौर पर बूचा में हुए नरसंहार के बाद रूस के ख़िलाफ़ दुनिया एक साथ खड़ी हो गई और संयुक्त राष्ट्र की उस कमेटी से बाहर कर दिया जहां दुनिया भर में मानवाधिकार के फैसले लिए जाते हैं।

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भारत ने फिर नहीं लिया वोटिंग में हिस्सा

UNHRC Russia Suspend: संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक में रूस के ख़िलाफ ये प्रस्ताव पेश किया अमेरिकी की राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफ़ील्ड ने। अमेरिका का तर्क था कि यूक्रेन के शहर बूचा में रूसी सेनाओं ने जिस तरह का नरसंहार किया है और वहां से नागरिकों के शवों की जो तस्वीरें सामने आईं हैं वो भयानक है। लिहाजा रूस को मानवाधिकार समिति से बाहर करने का प्रस्ताव रख दिया।

24 फरवरी के बाद यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से अब तक अमेरिका ब्रिटेन और यूरोप के कई देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा के अलावा मानवाधिकार परिषद में भी अलग अलग मौकों पर रूस के ख़िलाफ ही 10 प्रस्तावों को पेश किया जा चुका है। सबसे हैरानी की बात ये है कि इन सभी मौकों पर भारत ने बिलकुल उदासीन रुख अपनाया और कभी भी किसी भी वोटिंग में हिस्सा लिया ही नहीं।

ये और बात है कि बूचा की तस्वीरों के सामने आने के बाद भारत ने रूस और रूसी सैनिकों की बर्बरता की कड़े शब्दों में निंदा की थी। और ये भी साफ कर दिया था कि इस तरह का नरसंहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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