पोलैंड की राजधानी वॉरसा में रूस की बेइज़्ज़ती, यूक्रेन के ओडेसा शहर पर 7 मिसाइलों से हमला

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पोलैंड की राजधानी वॉरसा में रूस की बेइज़्ज़ती, यूक्रेन के ओडेसा शहर पर 7 मिसाइलों से हमला
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Russia Ukraine War: अब जबकि ये युद्ध दो महीनों की लंबी सीमा रेखा को लांघकर तीसरे महीने का एक क्वार्टर के मुहाने पर जा पहुँचा, खुद रूसी राष्ट्रपति इस सवाल के जवाब में भटकते दिखाई दे रहे हैं। अब तो व्लादिमीर पुतिन कोई भी बात पूरे भरोसे और यकीन के साथ कुछ भी कहने की हालत में नहीं हैं। बल्कि मौजूदा हालात में अगर देखें तो खुद रूसी राष्ट्रपति बदहवासी की हालत में पहुँच गए हैं तभी तो उनको समझ में ही नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें।

उधर रूस की वजह से इस युद्ध ने हर जगह हर देश की हालत ख़राब कर रखी है। और हर कोई कम से कम यूरोप में तो अब ये बात धीरे धीरे हर किसी के दिल में पहुँचने लगी है कि इस युद्ध को हर लिहाज से ज़ल्द से जल्द ख़त्म होना चाहिए। इसके लिए लोगों ने अब पुतिन के उन सिपहसालारों को अपने ग़ुस्से का निशाना बनाना शुरू कर दिया है जिनके ज़रिए वो अपनी बात दूसरे देशों तक पहुँचते रहते हैं।

Russia Ukraine War: सबसे ताज़ा उदाहरण सामने आया है पोलौंड से। हालांकि पोलैंड शुरू से ही इस जंग के दौरान यूक्रेन का साथ देता आया है, लेकिन उसने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया था जिससे रूस को सीधी ठेस पहुँचे। लेकिन बीते दिनों पोलैंड की राजधानी वॉरसा में जो कुछ भी हुआ उसने जता दिया कि रूस के लिए फिज़ा माफ़िक नहीं है।

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यहां पोलैंड में रूस के राजदूत सर्गेई एंड्रीव को रूस के विक्ट्री डे वाले रोज जिस शर्मिंदगी से होकर गुज़रना पड़ा वो वाकई गौर करने वाला है। असल में सैकेंड वर्ल्ड वॉर में मारे गए सोवियत संघ के सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सर्गेई एंड्रीव एक कार्यक्रम में गए थे। लेकिन वहां रूस का विरोध कर रहे कुछ लोगों ने उनके चेहरे पर लाल रंग का पेंट फेंक दिया। हालांकि इस पूरे प्रकरण में रूसी राजदूत पूरी तरह से शांत रहे। लेकिन ये हालात जाहिर करने के लिए काफी हैं कि रूस की सचमुच में हालत क्या होती जा रही है।

Russia Ukraine War: उधर यूक्रेन में रूसी सेना का कहर जारी है और उसके कहर और बेरहमी की तस्वीरें हर रोज और भयानक होकर सामने आ रही हैं। रूस के कब्ज़े में आ चुके यूक्रेन के शहर इजियम की एक बिल्डिंग ने 44 लाशों को उगल दिया। खारकीव राज्य के गवर्नर के मुताबिक जिस बिल्डिंग से लाशें निकली हैं उस बिल्डिंग में रूस की सेना ने जंग के शुरुआती दिनों में ही हमला किया था। और बीते दो महीनों से बिल्डिंग पर रूसी सेना का ही कब्ज़ा था। इसलिए लाशों को देखकर ये भी कहा जा सकता है कि रूसी सेना ने बेक़सूर नागरिकों पर अपनी भड़ास और खीज निकाली है।

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खारकीव यूक्रेन का वो इलाक़ा है जहां रूसी सेना शुरु से ही ताबड़तोड़ रॉकेट और मिसाइलें दागती रही है। असल में ख़ाकीव से क़रीब 120 किलोमीटर दूर मौजूद इस बिल्डिंग में पांच मंजिल हैं। और 44 लाशें बिल्डिंग के हरेक फ्लोर पर पड़ी मिली जिन्होंने सामने आकर एक तरह से रूसी सेना की बर्बरता का जीता जागता सबूत दिया है।

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Russia Ukraine War: इस बीच खबर तो ये है कि रूसी सेना ने दो रोज पहले ओडेसा के सबसे जाने माने बंदरगार पर सात मिसाइलें दागी। इन मिसाइलों के निशाने पर एक शॉपिंग सेंटर और एक गोदाम आ गया। सेना के सूत्रों से समाचार एजेंसियों को पता चला है कि इस हमले में एक शख्स की मौत हुई जबकि सात गंभीर रूप से घायल हो गए।

उधर यूक्रेन के सैनिक बुलेटिन से एक खबर सामने आई जिसमें दावा किया गया है कि रूसी सेना कुछ पुराने और एक्सपायरी डेट वाले बमों और रॉकेटों के साथ साथ मिसाइलों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसकी वजह से वो अक्सर अपने निशाने से चूक जाते हैं, मगर भटकने के बावजूद भारी तबाही मचा देते हैं।

यूक्रेन की संस्था सेंटर फॉर डिफेंस स्ट्रेटेजीस में कहा गया है कि मॉस्को ने ओडेसा के ख़िलाफ़ अपनी सधी हुई मिसाइलों से हमला बोला था। इसी सेंटर के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि यूक्रेन के साथ साथ ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ने ही रूस को लेकर एक चेतावनी जारी की है। इन देशों का मानना है कि रूस अपने सधे हुए सटीक हथियारों का इस्तेमाल और उनका भंडार तेज़ी से बढ़ा रहा है।

Russia Ukraine War: इसी बीच खबर ये भी आ रही है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने यूक्रेन के पड़ोसी मुल्क़ मोल्दोवा की एक तेज़ यात्रा पूरी की। मोल्दोवा की राजधानी चिसीनाउ में प्रधानमंत्री नतालिया गैवरिलिता के साथ एंटोनियो गुतरेस ने बाकायदा पत्रकारों के सवालों का सामना भी किया। इस प्रेस कंफ्रेंस में दोनों नेताओँ ने एक ही जैसे अल्फ़ाज़ कहे। उनका कहना था कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस ने जो जंग छेड़ी है उसका असर सदियों तक यूं ही बना रहेगा।

उधर अब कहीं कहीं रूस के माफिक हवा बहती दिखाई दे रही है। यूरोपीय यूनियम में रूस पर लगे प्रतिबंधों को लेकर अब एक राय नहीं बन रही। क्योंकि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्वन ने अपने देश में बिजली की बढ़ती मांग और ऊर्जा की खपत के मद्देनज़र यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव पर दस्तख़त करने से इनकार कर दिया। असल में इस प्रस्ताव में यूरोपीय यूनियन ने रूस से कच्चा तेल आयात पर बैन लगाने की बात कही है। हंगरी ने फिलहाल इस प्रस्ताव पर दस्तखत करने से मना कर दिया है।

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