एक साल की बच्ची से रेप के बाद हुई उम्रकैद, कोर्ट ने कहा 25 साल तक नहीं मिलेगी पैरोल
Punjab News: एक साल की बच्ची से रेप (rape) के मामले में कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपी को 25 साल तक पैरोल (parole) भी नहीं दी जाएगी.
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Punjab News: पंजाब के लुधियाना (Ludhiana) की स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट (POCSO Act)में एक बड़ा फैसला सुनाया जिसमें में एक साल की बच्ची से रेप के मामले में कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कैद की सजा सुनाई है और 25 साल तक कोई पैरोल न देने का भी ऑर्डर दिया है. जहां एक तरफ लोग न्यायपालिका की लाचार हालात को कोसते है वहीं दूसरी तरफ इस मामले में जल्दी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. पुलिस के मुताबिक घटना होने के महज 38 दिन में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. मामला संज्ञान में आते ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमर जीत सिंह की कोर्ट ने भी ज्यादा देर न करते हुए महज 60 दिन के भीतर ही मामले की सुनवाई कर अपना फैसला सुना दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने बिहार के दरभंगा के मूल निवासी और लुधियाना में रह रहे राजा राम (27) को दोषी ठहराया है. उसे अपने पड़ोस में रहने वाली बच्ची से रेप करने पर उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
8 फरवरी को हुआ था रेप
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर (Special Public Prosecutor) बी डी गुप्ता ने कहा कि आरोपी ने 8 फरवरी के दिन बच्ची को खेलने के बहाने अपने कमरे में लेजाकर उसके साथ बरबरता से रेप कर दिया. घर पर बच्ची के माता पिता न होने के चलते उसने ऐसा घिनौना अपराध किया. बच्ची के माता पिता के लौटने पर देखा कि बच्ची के शरीर से खून बह रहा है और वो दहाड़े मारकर रो रही है. बच्ची को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टर ने इलाज के दौरान बताया कि बच्ची के साथ रेप हुआ है.
9 फरवरी को पुलिस ने किया केस दर्ज
बीडी गुप्ता ने बताया कि आरोपी के खिलाफ 9 फरवरी को सराभा नगर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की उचित धारा में और POCSO अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था.
कोर्ट ने सुनाई कठोर सजा
18 मार्च को पुलिस ने कोर्ट में महज 38 दिन में विशेष फास्ट ट्रैक POCSO कोर्ट में चार्जशीट पेश करी. वहीं कोर्ट ने भी मामले में देर न करते हुए आरोपी को कठोर सजा सुनाई और उम्रकैद के साथ 1 लाख 10 हजार रुपये का भी जुर्माना लगाया.
ये खबर Crime Tak के साथ इंटर्नशिप कर रहे गिरीश कुमार अंशुल ने लिखी है.
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