पुणे केस में बड़ा खुलासा: कार नाबालिग चला रहा था, ड्राइवर नहीं - पुणे पुलिस कमिश्नर
Pune Porsche Accident: पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में मुंबई पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को बताया है कि नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल ने बेटे को बचाने के लिये ये सिद्ध करने की कोशिश की कि एक्सिडेंट के वक्त कार ड्राइवर चला रहा था उसका बेटा नहीं।
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Pune: पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में महाराष्ट्र पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को बताया है कि नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल ने बेटे को बचाने के लिये ये सिद्ध करने की कोशिश की कि एक्सिडेंट के वक्त कार ड्राइवर चला रहा था उसका बेटा नहीं। कमिश्नर ने ये भी बताया कि इसे लेकर पुलिस ने सख्त एक्शन लिया है। आरोपी के पिता की ये हरकत उजागर होने के बाद केस में सबूतों से छेड़छाड़ की धारा जोड़ दी गई है। ड्राइवर के खिलाफ भी झूठी गवाही देने को लेकर कार्रवाई की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि उसे रुपयों का लालच देकर झूठी गवाही दिलवाई गई। पुलिस ने साफ कहा कि कार नाबालिग ही चला रहा था। पुलिस पहले ही नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल, नाबालिग और पब के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई कर चुकी है।
हमने केस में कड़ी धाराएं जोड़ीं- पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार
इसको लेकर पुणे के पुलिस कमिश्नर ने प्रेस को जानकारी दी। पुणे पुलिस कमिश्नर ने कहा, 'सबूत मिटाने के आरोपों की जांच भी एसीपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। जांच में ये बात साफ हो चुकी है कि नाबालिग ये कार अपने मां-बाप की मर्जी से ही चला रहा था। हम दोनों मामलों में विशेष वकील नियुक्त कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर बरती गई अनियमितताओं पर भी गौर किया जा रहा है। पुलिस ने मुकदमे में तमाम संगीन धाराएं जोड़ी हैं। इस बात की जांच भी चल रही है कि क्या आरोपी को किसी विशेष प्रकार का उपचार मुहैया कराया गया? साथ ही अगर किसी गवाह को कोई परेशानी हुई तो इसे भी जांच के दायरे में लिया जा रहा है।'
'हमारी कोशिश है कि नाबालिग के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चले'
पुणे सीपी ने कहा, 'हमने दोबारा जाकर जेजे बोर्ड में रिव्यू दाखिल किया है और अब बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेज दिया है। उस पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने की प्रक्रिया चल रही है। आरोपी के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था, आज उसकी रिमांड खत्म हो रही है। हम दोनों मामलों की जांच कर रहे हैं।' सीपी ने आगे बताया- 'यह घटना रात 2:30 बजे की है, सुबह 8 बजे मामला दर्ज किया गया। जबकि रात करीब 12 बजे एफआईआर में धारा 304 जोड़ी गई थी। उसी दिन हमने जेजे बोर्ड में आवेदन दायर किया कि आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाए। जेजे बोर्ड ने उस दिन दोनों आवेदनों को खारिज कर दिया था। फिलहाल आरोपी की फोरेंसिक जांच के लिये भेजी गई ब्लड रिपोर्ट नहीं मिली है जिसके आने का इंतजार किया जा रहा है। रिपोर्ट आने पर आवश्यक वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
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पुलिस की भूमिका की भी जांच जारी
सीपी ने कहा- ' नाबालिग ने दो जगहों पर शराब पी। वो तेज रफ्तार से कार चला रहा था जिसकी पुष्टी हमारे पास मौजूद सीसीटीवी फुटेज से भी होती है। आरोपी के पिता ने ड्राइवर की मदद से यह दिखाने की कोशिश की कि आरोपी गाड़ी नहीं चला रहा था, लेकिन पुलिस की जांच में ये दावा गलत साबित हुआ। दुर्घटना के समय कार में चार लोग सवार थे, बाकी चश्मदीदों को गवाहों के तौर पर दर्ज किया जा रहा है।
दो इंजीनियरों को अपनी दो करोड़ की कार के पहियों तले रौंदने वाले नाबालिग को जुविनाइल बोर्ड ने बाल सुधार गृह भेजा है जहां वो 5 जून तक रहेगा। इसी मामले में नाबालिग के पिता को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट ने उन्हें भी तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। दूसरी ओर गुरुवार को पुणे पुलिस ने नाबालिग के दादा, यानी सुरेंद्र अग्रवाल को, छोटा राजन के गुर्गों की मदद से हत्या की कोशिश के एक पुराने मामले में पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया था।
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