Pune Mystery Solve: पुणे की भीमा नदी से सामने आई सात लाशों का खुला राज़, तफ्तीश में सामने आई सामूहिक हत्या की ये दास्तां
Murder Mystery: पुणे से दिल दहलाने वाली दास्तां सामने आई। दो दिनों में भीमा नदी से सात लाशें बरामद करने के बाद उसके सच के करीब पहुँचकर खुद पुलिस भी चौंक गई
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Pune Seven Deadbody: सिर्फ तीन दिन पहले यानी 23 जनवरी को महाराष्ट्र का पुणे शहर अचानक एक खबर को सुनकर सदमे में आ गया। खबर ही ऐसी थी कि जिसने भी सुनी वो चौंके बिना नहीं रहा। यहां तक कि पुलिस महकमा भी उस खबर की दस्तक के बाद से बुरी तरह सहम गया है। असल में यहां एक साथ एक परिवार के सात लोगों (One family Seven Deadbody) की लाश मिलने के बाद सनसनी फैल गई थी।
पुणे शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर दौंड तहसील के यवत गांव के बाहरी इलाके में भीमा नदी पर परगांव पुल के पास सोमवार को चार और मंगलवार को तीन लोगों के शव बरामद किए गए।
हर किसी के मन में एक ही सवाल कौंध रहा था कि आखिर सात लोगों का परिवार एक साथ एक ही तरह से मौत के मुंह में कैसे जा सकता है। हर कोई परिवार के सामूहिक खुदकुशी की अटकलें लगा रहा था।
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यहां तक कि पुलिस ने भी इसे ओपन एंड शट केस मानकर इसे सामूहिक आत्महत्या का केस ही मान लिया था। लेकिन जब पुलिस ने अपनी जांच के कदम आगे बढ़ाए तो ये मामला आत्महत्या की हद से निकलकर हत्या के दायरे में जा पहुँचा।
क्योंकि इस तफ्तीश के रास्ते में कई ऐसे सुराग पुलिस को दिखाई पड़ने लगे जिसकी वजह से इसे आत्महत्या का केस तो माना ही नहीं जा सकता था। पुलिस ने अब इस मामले में अपनी तफ्तीश को और आगे बढ़ाया।
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Maharashtra | Bodies of 7 members of a family fished out from Bhima river in Daund, Pune - 4 bodies recovered b/w 18-21 Jan & 3 others found today. Prima facie it's a suicide, however, police are investigating from all angles. Accidental Death Report registered: Pune Rural Police pic.twitter.com/0XybFLetm4
— ANI (@ANI) January 24, 2023
Pune Crime : ये वाकया 23 जनवरी का है। पुणे में पुलिस को एक गांव से इत्तेला मिली की यवत गांव के पास भीमा नदी पर परगांव पुलिस के पास लोगों तीन लाशें बहती हुई देखी गई है। नदी में चार लाशों के बहने की बात सुनते ही पुलिवालों का पसीना बहने लगा। फौरन पुलिस की टीम मौके पर पहुँची । पुलिस ने आस पास तलाश की...कोई सुराग नहीं मिला।
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पुलिस की हैरानी का ठिकाना इसलिए भी नहीं रहा क्योंकि एक रोज पहले यानी 22 जनवरी को भी ठीक इसी जगह चार लाशें बहती हुई मिली थीं। और सबसे हैरानी की बात तो ये है कि वो सभी लाशें एक दूसरे से क़रीब 200 मीटर के फासले पर थीं।
अब पुलिस के लिए ये खुली चुनौती भी थी कि दो दिन में सात लाशों को नदी से निकालने के बाद उनकी पहचान करने के साथ साथ उनकी मौत की वजह का पता लगाना। सबसे हैरानी की बात ये थी कि सातों लाशे एक ही जगह पर एक ही तरह से बहती मिली थीं। इसी बात ने पुलिस को बुरी तरह से उलझा दिया था।
शुरुआत में पुलिस को जब कुछ समझ में नहीं आया और मौका-ए-वारदात से कोई ऐसा सुराग भी नहीं मिला तो इस मामले को सामुहिक आत्महत्या की बात कहनी शुरू कर दी। मगर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी मरने वालों की शिनाख्त करना। लिहाजा पुलिस ने ये पता लगाना शुरू किया कि मरने वाले सातों लोग कौन हैं और उनका आपस में क्या रिश्ता है।
लाशों की शिनाख्त करने और उनका आपस में रिश्ता जोड़ने में पुलिस को ज़्यादा वक़्त नहीं लगा। क्योंकि पुलिस ने ये पता लगा लिया कि मरने वाले सातों एक ही परिवार के लोग हैं। पता लगा कि मरने वालों में मोहन पवार उनकी पत्नी संगीता पवार उनकी बेटी रानी फलवरे, दामाद श्याम पंडित फलवरे और उनके तीन बच्चे। यानी सातों एक ही परिवार के लोग थे। लेकिन यहीं पर दूसरा सवाल खड़ा हो गया कि आखिर इन लोगों की मौत क्यों हुई। और अगर इन लोगों ने आत्महत्या की तो क्यों।
शुरुआती जांच में ये बात भी सामने आ गई कि सातों के शरीर में बाहरी चोट का कोई निशान नहीं। ऐसे में सवाल उठा कि अगर ये मामला सामूहिक आत्महत्या का है तो फिर वो कौन सी वजह है जिसकी वजह से पूरे परिवार ने जिंदा रहने का रास्ता ही छोड़ दिया। यानी सात लोगों की मौत का पूरा सच इसी सवाल के दायरे में कैद था।
अपने सवालों के जवाब तलाशने के लिए पुलिस अब उनकी तलाश में निकल पड़ी। पुणे की ग्रामीण पुलिस मामले की छानबीन करने के लिए आगे बढ़ी। जिस इलाक़े में सातों लाशें मिली वहां आस पास के लोगों से पुलिस ने पूछताछ का सिलसिला शुरू किया।
शुरु में पुलिस एक कहानी लेकर आगे बढ़ रही थी कि परिवार की एक लड़की से गांव के ही एक लड़के को प्यार हो गया और फिर अचानक दोनों गांव से लापता हो गए...जिसकी वजह से एक परिवार के सात लोगों ने आत्महत्या कर ली।
Pune Latest Crime: लेकिन जब गांव के तमाम लोगों से पूछताछ शुरू हुई तो जैसे जैसे जांच आगे बढ़ी तो देखते ही देखते पूरी कहानी ही पलट गई और मामला खुदकुशी के दायरे से निकल कर हत्या की हद में जा पहुँचा।
पुलिस को अंदाजा मिल गया कि ये मामला सामूहिक आत्महत्या का नहीं बल्कि सामूहिक हत्या का है। और इस हत्या को किसी दूसरे दुश्मन ने नहीं बल्कि पवार परिवार के बेहद सगे शख्स ने अंजाम दिया था और वो भी एक पुरानी रंजिश की वजह से।
तीन दिन की तलाश के बाद पुलिस को जो खबर लगी वो और भी ज़्यादा खतरनाक और हैरान करने वाली थी। असल में पवार खानदान में आपसी रंजिश का पुराना सिलसिला था। मोहन पवार के चचेरे भाई ने अपने भाइयों के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया।
चूंकि नदी से जो लाशें मिली थीं उनमें किसी भी बाहरी चोट के कोई निशान नहीं थे लिहाजा पुलिस की निगाह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर जाकर टिक गई थी। और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक सातों लोगों की मौत जहरीली चीज खाने से हुई है।
अब पुलिस के सामने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी थी...लिहाजा उसकी रोशनी में जब इस हत्याकांड को खंगालना शुरू किया तो पुलिस को जो पता चला उसके मुताबिक मोहन पवार के चचेरे भाइयों ने मोहन पवार के परिवार के लोगों के खाने में जहर मिला दिया जिसे खाने के बाद सभी की हालत खराब हो गई और उनकी जान चली गई।
सातों लोगों की मौत के बाद मोहन पवार के चचेरे भाइयों ने मिलकर पहले दिन तीन लाशों को और फिर अगले रोज चार लाशों को नदी में फेंक दिया।
पुलिस की जांच जैसे ही किसी नतीजे पर पहुँची पुलिस ने फौरन ही धरपकड़ भी शुरू कर दी। रात में ही पुलिस ने सात में से छह आरोपियों को हत्या के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया। जबकि एक आरोपी अब भी फरार बताया जा रहा है।
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