Umesh Pal Murder UPDATE: सवालों के कठघरे में जा घिरी यूपी पुलिस, दूसरे एनकाउंटर के बाद पुलिस के एक्शन पर उठने लगी उंगलियां
Umesh Pal Murder Encounter: उत्तर प्रदेश की पुलिस अचानक एक बार फिर एनकाउंटर को लेकर सवालों के घेरे में घिरती दिखाई पड़ने लगी है। असल में प्रयागराज हत्याकांड के सिलसिले में यूपी पुलिस ने प्रयागराज में ही एक और एनकाउंटर किया और दावा किया कि उसने उस
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24 फरवरी को प्रयागराज में दोपहर तीन बजे के आस पास एक शूट आउट हुआ...खबर सामने आई कि राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल और उसके दो सरकारी गनरों को गोली मार दी गई। कुछ ही देर बाद ही उस मौका-ए-वारदात की सीसीटीवी फुटेज से टीवी चैनल सराबोर हो गए। एक एक फ्रेम को फ्रीज कर करके पूरी घटना को हरेक एंगल से देखा जाने लगा।
अगले रोज यूपी विधान सभा में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषण देते हुए ऐलान किया कि किसी भी माफिया को छोड़ा नहीं जाएगा, उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा। और इस ऐलान के साथ ही उत्तर प्रदेश की पुलिस अचानक कुछ एक्स्ट्रा एनर्जी के साथ एक्शन में आ गई और 24 घंटे बीतते बीतते एक एनकाउंटर किया और दावा कर दिया कि अतीक अहमद के उन शूटरों में से एक अरबाज को ढेर कर दिया गया है जिसने इस शूटआउट में हिस्सा लिया था।
हर तरफ यूपी पुलिस का नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया। हालांकि इस एक्शन को लेकर कुछ दबे छुपे स्वरों में सवाल भी उठते दिखे, मगर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिट्टी में मिला देने के ऐलान की तेज आवाज़ में कहीं दब गए। हालांकि एक बदमाश मारा गया तो लोगों ने ये मान लिया कि जैसी करनी वैसी भरनी के लिहाज से यूपी पुलिस का एक्शन नावाजिब नहीं है। बात हुई और फिर गंगा में पानी और बहने लगा।
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तमाम तरह के एक्शन छापामारी, दबिश और छानबीन के बाद 6 मार्च को एक बार फिर यूपी पुलिस का एक और एक्शन सामने आया...लेकिन इस बार का पुलिस का एक्शन ज़्यादा बड़े और संगीन सवालों के साथ सामने आया। दावा यूपी पुलिस का था कि उसने अतीक अहमद के गैंग के उस शूटर को एनकाउंटर में मार गिराया...जिसने उस शूटआउट में पहली गोली मारी थी और उसे सीसीटीवी में गोली मारते देखा भी गया ता। मगर यहां लगता है कि पुलिस का निशाना थोड़ा सही नहीं लगा...क्योंकि जो सवाल उठे ...और इससे भी बड़ी बात ये है कि जहां से सवाल उठे...उनमें यूपी पुलिस और उसका एक्शन दोनों ही घिरे नज़र आए।
उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बाकायदा टीवी पर अवतरित होकर उस एनकाउंटर का सारा किस्सा सुना दिया जो सुबह सुबह प्रयागराज के एक हिस्से में हुआ था। उन्होंने ये भी बताया कि जिस शख्स को एनकाउंटर मारा गया वो उस्मान चौधरी है।
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यानी उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अफसर ये बात पूरी ज़िम्मेदारी के साथ मीडिया को बता रहे थे कि उनकी काबिल पुलिस ने उस नालायक शूटरों को मिट्टी में मिला दिया, जिसने उमेश पाल को सबसे पहले गोली मारी थी और उसे गोली मारते हुए किसी और ने देखा हो या न देखा हो...सीसीटीवी ने जरूर देख लिया था।
अब पुलिस के आला अफसर ने एनकाउंटर की कहानी तो सुना दी, और कहानी सुनाते समय कुछ नामों को भी सुनाया...और उन्हीं की जुबानी हैं कि जो उस्मान एनकाउंटर में मारा गया, उसका उमेश पाल मर्डर केस में क्या रोल था। और वो कैसे पहचाना गया। क्योंकि यूपी पुलिस के आला अफसरों ने हिन्दुस्तान के न्यूज़ चैनलों का हवाला देते हुए कहा था कि उनसे ही ये पता चला था कि उसी शख्स ने सबसे पहले गोली मारी थी जिसे सीसीटीवी में गोली चलाते देखा गया था।
बकौल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर उस्मान वो शूटर था, जिसने ना सिर्फ उमेश पाल बल्कि उसके गनर पर भी गोली चलाई थी। इतना ही नहीं इन्होंने बाकायदा न्यूज चैनलों का भी हवाला दिया कि उस्मान गोली चलाता हुआ साफ नजर आ रहा है। ऐसे में ये सवाल बेमानी हो जाता है कि अगर पुलिस के इतने बड़े अफसर कुछ कह रहे हैं तो किसी की कही सुनी बात तो कम से कम नहीं दोहरा रहे होंगे बल्कि वो तो खुद तमाम पहलुओं को गौर करने के बाद इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। यानी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर साहब और यूपी पुलिस के इनके बाकी साथियों ने भी चैनलों पर उस्मान चौधरी को बार-बार रिवाइंड फॉरवर्ड करके देखा होगा।
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ये बात किसी से छुपी हुई तो नहीं है कि कि चैनलों के पर्दे पर पहुँचने से पहले सीसीटीवी की वो तस्वीरें तो खुद यूपी पुलिस के पास से होती हुई पहुँची होगी। यानी यूपी पुलिस ने ही चैनलों को सीसीटीवी की फुटेज मुहैया करवाई थी। ऐसे में ये मान लिया जा सकता है कि उन तस्वीरों को पुलिस ने भी बड़ी ही तसल्ली से हरेक फ्रेम को कई कई बार देखा होगा...और उसमें मौजूद एक एक चीज को न सिर्फ पहचान लिया होगा बल्कि उनके जेहन में वो सब कुछ छप गया होगा।
लेकिन इस देखने दिखाने के चक्कर में अब उत्तर प्रदेश की पुलिस को क्या क्या दिन और क्या क्या सवाल देखने पड़ सकते हैं जिनको वो शायद कभी देखना पसंद नहीं करेगी...मगर देखने वाली बात तो ये है कि अब उसके लिए सिवाय उन सारी बातों को देखने के अलावा कुछ देखने लायक बचा ही नहीं है...तो चलिए ये भी देखते हैं कि इस तस्वीर के दूसरे रुख में क्या दिखता है...
इतेफाक से यूपी पुलिस के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल पर एक ट्वीट पांच मार्च यानी रविवार को दोपहर 3.17 मिनट पर दिखा। उस ट्वीट के जरिए यूपी पुलिस उमेश पाल शूट आउट में शामिल शूटरों की गिरफ्तारी पर इनाम की रकम बढाने का ऐलान करती दिखी। जो इनाम पहले 50 हजार का था, उसे यूपी डीजीपी के कहने पर ढाई लाख कर दिया गया। लेकिन गौर से देखने वाला है वो ट्वीट जिसमें दर्ज आरोपियों के नाम हैं... कुल पांच नाम हैं, पहला नाम अरमान, दूसरा असद, तीसरा गुलाम, चौथा गुड्डू मुस्लिम और पांचवा साबिर। साथ में सबके पिता का भी नाम है। आपको इस लिस्ट में उस्मान चौधरी या यूं कहें कि विजय चौधरी का नाम कहीं दिखाई नहीं देगा। तो क्या यहां रुककर एक सवाल करना नहीं बनता कि जिस उस्मान के एनकाउंटर की खबर सोमवार 6 मार्च की दोपहर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बड़ी शान से दे रहे थे... उससे ठीक 12 घंटे पहले तक खुद उस उस्मान चौधरी या विजय चौधरी का नाम यूपी पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में कहीं था ही नहीं। ...यानी उस्मान या विजय चौधरी...किसी भी लिहाज से यूपी पुलिस की प्राथमिकता सूची में नहीं था....मगर वो तो पहली गोली मारने वाला शूटर था...तो क्या पुलिस भूल गई उसका नाम लिखना?
अब सवाल ये है कि जो उस्मान चौधरी उर्फ विजय चौधरी पिछले कई दिनों से गोलियां चलाते हुए लगातार चैनलों पर दिखाई दे रहा है, एनकाउंटर से 12 घंटे पहले तक वही उस्मान चौधरी या विजय चौधरी यूपी पुलिस को क्यों नहीं दिखाई दिया? और अगर दिखाई दिया था तो फिर यूपी पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट से उसका नाम बाहर कैसे था?
देखा कैसे आया कहानी में एक जबरदस्त ट्विस्ट...लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की सुनाई गई एनकाउंटर की उसी कहानी को अगर आप एक बार फिर से रिवाइंड करके सुनेंगे तो आपको कुछ और भी सुनने को मिल सकता है...जहां जाकर कानों को खटका होता है
क्योंकि आमतौर पर पुलिस जब भी ऐसे किसी अपराधी का नाम लेती है तो अमूमन उसके नाम के साथ वल्द यानी पिता का नाम भी जोड़ देती है...लेकिन एडीजी साहब ने उसका नाम न तो पूरा लिया और न ही उसके साथ वल्द जोड़ा...तो क्या ये कुछ और भी कहता है?
इसी बीच एनकाउंटर में मार गिराए गए विजय उर्फ उस्मान चौधरी की पत्नी सामने आ गई...और उन्होंने जो कुछ कहा उसने सरासर पुलिस और उसकी काबिलियत के साथसाथ विश्वसनीयता पर सवाल दाग दिए...क्योंकि एनकाउंटर में मारे गए उस्मान चौधरी की पत्नी का दावा है कि वो उसका पति या उसका पूरा परिवार किसी ने धर्म परिवर्तन नहीं किया। सभी हिंदू हैं। और उसके पति का नाम विजय चौधरी है। ना कि उस्मान चौधरी। इसने विजय से 2020 में शादी की थी। इतेफाक से पेस कांफेंस में एक पत्रकार ने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर से ये सवाल पूछ लिया कि उसका नाम विजय चौधरी है या उस्मान चौधरी? तो उनका सिर्फ इतना जवाब था कि जो आप कह रहे हैं वही नाम है बाकी विवेचना करेंगे। यानी पुलिस के आला अधिकारी इस नाम को ही लेने में कन्नी काटने लगे जिसे उनकी बहादुर पुलिस ने सरकारी गोली खर्च करके मिट्टी में मिलाया था। तो जो सवाल सुनने और देखने वालों के जेहन में पैदा हुए..उनका जवाब कब कौन क्या और कैसे देगा...इसके बारे में भी अब देखा ही जाएगा?
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