Porsche Car Accident: अच्छी रकम के लालच में डॉक्टरों ने डस्टबिन में फेंक दिए थे नाबालिग के 'Blood sample'
Pune Porsche Car Accident: पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में अब पुलिस के शिकंजे में वो डॉक्टर आ गए हैं जिन्होंने नाबालिग को बचाने के लिए उसके ब्लड सैंपल को डस्टबिन में फेंक दिए। पुलिस कमिश्नर ने खुलासा किया है कि डॉक्टरों ने ये सब नाबालिग के पिता के फोन करने के मोटी रकम के लालच के बाद किया था।
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Pune Maharashtra: पुणे के पोर्श कार एक्सीडेंट कांड में एक के बाद एक कई बड़े और अहम खुलासे होने लगे हैं। सबसे ताजा खुलासा तो नाबालिग के ब्लड सैंपल को लेकर अब सामने आया है जिसमें पुलिस कमिश्नर ने पूरी साजिश को ही बेनकाब कर दिया है। खुलासा यही हुआ है कि हादसे वाली रात नाबालिग के ब्लड सैंपल के साथ भी हेराफेरी की गई, जिसका पता चलते ही पुलिस ने फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के HOD समेत दो डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया। इन डॉक्टरों पर इल्जाम है कि नाबालिक पिता विशाल अग्रवाल के फोन पर दिए गए लालच के एवज में उसके ब्लड सैंपल को ही बदलने की हरकत की थी।
डॉक्टरों ने बदले ब्लड सैंपल
पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेष कुमार ने बाकायदा सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये जानकारी दी है कि नाबालिग के ब्लड सैंपल को डॉक्टरों ने ही बदल दिए। असल में ये बात तब शक के दायरे में आई जब ब्लड सैंपल की जांच रिपोर्ट में शराब की पुष्टि ही नहीं हुई, जबकि ये बात साफ हो चुकी थी कि नाबालिग ने शराब पी थी। तब जांच में ये बात खुली की सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग को बचाने के लिए ही ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ की थी। लिहाजा ब्लड सैंपल लेने वाले डॉक्टर हैलनोर को गिरफ्तार कर लिया गया।
ब्लड सैंपल बदलने के लिए दी गई मोटी रकम
डॉक्टर से जब पूछताछ हुई तो उन्होंने ये बात कुबूल की कि फॉरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अजय तावड़े के कहने पर ही ब्लड सैंपल को बदला गया था और इस ब्लड सैंपल के बदलने के लिए डॉक्टर हैलनोर को 3 लाख रुपये मिले थे। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि घटना वाली रात को नाबालिक के पिता ने बाकायदा फोन करके डॉक्टरों को ब्लड सैंपल बदलने के एवज में अच्छी रकम देने का लालच दिया था। पुलिस कमिश्नर ने आगे बताया कि ससून अस्पताल (Sassoon Hospital) का सीसीटीवी डीवीआर लिया जा चुका है। इसीलिए अब इस मामले में आपराधिक साजिश यानी IPC की 120 B, जालसाजी और सबूत खत्म करने की धाराएं जोड़ी गई हैं।
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पहले ब्लड सैंपल में अल्कोहल ही नहीं मिला
पुणे पुलिस कमिश्नर ने बताया कि बदला गया ब्लड सैंपल किसका था, अब हम इसका पता लगाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। जिस ब्लड सैंपल को बदला गया, उसमें अल्कोहल नहीं था। दूसरी रिपोर्ट में भी अल्कोहल नहीं मिला है, लेकिन यह गौर करना जरूरी है कि हमारा मामला 304 यानी गैर इरादतन हत्या का है। पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा कि इस एक्सीडेंट केस के बाद अब तक मामले में तीन पहलू सामने आ चुके हैं। आरोपी और उसके घरवालों को पूरी जानकारी थी कि उसकी हरकत से लोगों की जान को खतरा हो सकता है, इसलिए ब्लड सैंपल में अल्कोहल का कोई अंश नहीं होने से हमारे मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
डीएनए मेल नहीं खा रहा
पुलिस का कहना है कि आरोपी के ब्लड सैंपल को डस्टबिन में फेंक दिया गया था, उसकी जगह दूसरे व्यक्ति का ब्लड सैंपल उपयोग में लाया गया। इसी जांच की रिपोर्ट आई और उसमें आरोपी के ब्लड सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया गया. यहीं से संदेह पैदा हुआ और फिर हमें खुफिया जानकारी भी मिली कि ब्लड सैंपल कलेक्शन में कुछ हेरफेर हुआ है, इसलिए हमने शाम को अस्पताल में दूसरी ब्लड सैंपल की जांच करवाई गई। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद ब्लड डीएनए पता लगाने के लिए कहा गया, जिसमें सामने आया कि पहली और दूसरी ब्लड सैंपल रिपोर्ट का डीएनए मेल नहीं खा रहा है. यह दो अलग-अलग व्यक्तियों का था, इसलिए हमने डॉ. हैलनोर को गिरफ्तार कर लिया।
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एक नजर में पूरी वारदात
एक्सीडेंट की ये वारदात 19 मई की है। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई। इस हादसे के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था. नाबालिग इस समय सुधार गृह में है। जबकि नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र कुमार अग्रवाल समेत करीब 9 लोग इस वक्त पुलिस हिरासत में हैं।
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