Porsche Car Accident: दो डॉक्टर गिरफ्तार, शराब पिए नाबालिग के ब्लड सैंपल में हेराफेरी का आरोप

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Porsche Car Accident: अब पकड़े गए दो डॉक्टर, नाबालिग के ब्लड सैंपल में हेराफेरी करने का आरोप
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Pune, Maharshtra: पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में अब हर उस शख्स पर गाज गिर रही है जिसने मामले को दबाने के लिये आरोपी परिवार का साथ दिया। फिर चाहे वो पुलिसवाले हों, राजनेता या फिर सरकारी डॉक्टर जिन्होंने आरोपी के ब्लड सैंपल में हेरफेर कर उसके शराब पीने की बात छिपाने की कोशिश की। पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में दो डॉक्टरों को 27 मई की सुबह गिरफ्तार कर लिया। इल्जाम ये है कि इन डॉक्टरों ने नाबालिग को बचाने के लिये उसके रसूखदार पिता विशाल अग्रवाल के कहने पर उसके ब्लड सैंपलों में हेराफेरी की। पुलिस ने बताया कि अरेस्ट किए गए ससून जनरल हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अजय तावड़े और डॉ. श्रीहरी हरलोर पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल के नमूने बदलने का आरोप है।

ब्लड सैंपल में हेराफेरी का आरोप

पुलिस का कहना है कि नाबालिग का दो बार एल्कोहॉल ब्लड टेस्ट कराया गया था। इसमें से पहले सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई थी लेकिन दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दूसरे टेस्ट में पाया गया था कि आरोपी के ब्लड में एल्कोहॉल है।अब पुलिस ने दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ करनी शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक दोनों को सोमवार दोपहर शिवाजीनगर कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस कमिश्नर ने इस मामले को कवर कप करने की कोशिशों को बेहद गंभीरता से लिया है और आने वाले दिनों में आरोपी का साथ देने वाले और अधिकारियों, कर्मचारियों पर एक्शन संभव है। 

मामले में कुल 9 लोग गिरफ्तार 

18 मई को पुणे के कल्याणी नगर में नाबालिग ने शराब के नशे में बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मार दी थी, जिसमें दोनों की मौके पर मौत हो गई थी। इस मामले में आरोपी के दादा, पिता और 2 डॉक्टरों समेत अब तक कुल 9 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इनमें पब के मालिक, 2 मैनेजर और 2 स्टाफ भी शामिल हैं। इनमें कोजी रेस्टोरेंट के मालिक प्रह्लाद भूतड़ा, मैनेजर सचिन काटकर, ब्लैक क्लब होटल के मैनेजर संदीप सांगले और उसके स्टाफ जयेश बोनकर और नितेश शेवानी शामिल हैं। इन सब पर नाबालिग आरोपी को शराब परोसने का आरोप है।

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पुलिस कमिश्नर ने खोली पोल

इन दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद अगर सिलसिलेवार तरीके से देखें तो दौलत और रसूख के बल पर आरोपी के बिल्डर पिता ने कदम-कदम पर उसे कानून की गिरफ्त से छुड़ाने के इंतजाम कर रखे थे। एक्सिडेंट के बाद नाबालिग मौके से ही पकड़ लिया गया। इसके बाद नाबालिग का ब्लड टेस्ट हुआ पर इससे पहले कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट आती उसे थाने से ही जमानत देकर छोड़ने का बंदोबस्त कर लिया गया। ज्युविनाइल कोर्ट में जज साहब ने उससे 300 शब्दों का निबंध लिखवाकर छोड़ दिया। बाद में जब सोशल मीडिया पर सवाल उठे तो दबाव में आकर पुलिस ने नाबालिग के पिता को पकड़ा। पिता के पकड़े जाने के दूसरे ही दिन ड्राइवर ने सामने आकर गुनाह अपने सिर ले लिया और कहा कि एक्सिडेंट के वक्त गाड़ी वो चला रहा था नाबालिग नहीं। हालांकि जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो ड्राइवर गंगाधर ने कबुल लिया कि आरोपी के पिता के दबाव में उसने पुलिस के सामने ये बयान दिया था। जाहिर है आरोपी के पिता का वो दांव भी खाली चला गया और खुद पुणे पुलिस कमिश्नर ने उनकी पोल खोल दी।

पुलिस अब उधेड़ेगी बखिया

इसके बाद की जांच में खुलासा हुआ कि ड्राइवर को बाकायदा अगवा कर उसके घरवालों को धमकाकर एक्सिडेंट का गुनाह अपने सिर लेने को मजबूर किया गया था। इस सिलसिले में पुलिस ने नाबालिग के दादा को भी पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया, थाने में पूछताछ की और फिर तीन दिन की रिमांड पर भी लिया। और अब ताजा ये किस्सा सामने आया कि ये दो डॉक्टर भी नाबालिग की भीतर ही भीतर मदद कर रहे थे। जाहिर है मदद मुफ्त में तो हो नहीं रही होगी। पर्दे के पीछे इस काम की क्या कीमत अदा की गई अब पुलिस की पूछताछ में ही सामने आएगा। 

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