शर्ट के गुलाबी बटन ने कातिल को पहुँचाया काल कोठरी, मिली सजा-ए-मौत
Death Penalty: गाजियाबाद की एक अदालत ने तीन साल पहले हुए हत्या के एक केस में कत्ल के आरोपी को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई।
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Ghaziabad Murder: कत्ल के किस्से में पुलिस के बीच एक कहावत बड़ी मशहूर है। कातिल कितना भी शातिर क्यों न हो, वो मौका-ए-वारदात पर कोई न कोई ऐसा सुराग जरूर छोड़ देता है जिससे पुलिस उस तक आसानी से पहुँच जाती है। बस जरूरत इस बात की होती है, कि पुलिस उस सुराग को कितनी जल्दी ढूंढ़ लेती है और उसके जरिए वो कातिल का पीछा शुरू कर देती है।
सनसनीखेज मर्डर और सजा-ए-मौत
ठीक ऐसा ही कुछ हुआ था गाजियाबाद में हुए एक सनसनीखेज मर्डर के केस में। जिसमें कमीज के एक बटन ने पुलिस को कातिल तक पहुँचा दिया, और उसके बाद पुलिस ने कातिल को पकड़कर न सिर्फ उस सनसनीखेज मर्डरके किस्से का खुलासा किया बल्कि आरोपी को उसके किए की सजा तक दिला दी। अदालत से कातिल को फांसी की सजा दी गई।
कपड़ा कारोबारी के परिवार की हत्या
किस्सा करीब तीन साल पुराना है। गाजियाबाद के लोनी में एक कपड़ा कारोबारी समेत उसके परिवार के चार लोगों की हत्या हुई थी। लोनी थाना इलाके के टोली मोहल्ले में रईसुद्दीन अपने परिवार के साथ रहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी फातिमा, और तीन बेटे अलीमुद्दीन, अज्जू उर्फ अजहरुद्दीन और इमरान थे। 29 जून 2021 को रईसुद्दीन के बेटे अलीमुद्दीन ने थाने में जाकर रिपोर्ट लिखाई। पुलिस में लिखाई गई रिपोर्ट के मुताबिक 28 जून की रात को अलीमुद्दीन घर पर नहीं था। जबकि उसके घर पर माता पिता और दोनों भाई मौजूद थे। मगर घर में आधी रात के बाद किसी ने गोली मारकर चारों की हत्या कर दी।
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मौके पर पुलिस और घर की तलाशी
शिकायत मिलने के बाद मौके पर पहुँची पुलिस ने मौका-ए-वारदात का जायजा लिया और मौके पर मौजूद तमाम लोगों की गवाही भी ली। क्योंकि पुलिस को घर से किसी बाहरी शख्स के जबरन घुसने का कोई भी सुराग नहीं मिला था। तब पुलिस ने ये जानने की कोशिश की कि क्या घर में कोई ऐसा शख्स आया जिसे परिवार के लोग जानते थे।
अयूब ने किया पुलिस को गुमराह
पुलिस को इसी तफ्तीश में ये पता चल गया कि अलीमुद्दीन का चचेरा भाई अयूब बीती रात अपने ताऊ के घर आया था। पुलिस की एक टीम ने अयूब को पकड़कर उससे सवाल जवाब करने शुरू किए जबकि दूसरी टीम ने एक बार फिर मौका-ए-वारदात को खंगालना शुरू कर दिया। पुलिस ने मौके पर बिखरे हुए बचे हुए सुरागों को बटोरा और फिर तफ्तीश को आगे बढ़ाया। उधर पुलिस जब अयूब से पूछताछ कर रही थी तभी उसे उसके बयानों में हेरफेर नजर आया तो उसके साथ सख्ती दिखाई। जब अयूब पुलिस को गुमराह करने की फिराक में था तभी पुलिस ने उसके सामने मौका-ए-वारदात से उठाया एक ऐसा सुराग लाकर रख दिया, जिससे अयूब इनकार नहीं कर सका। वो सुराग कुछ और नहीं बल्कि अयूब की शर्ट का वो बटन था जो पुलिस को मौका-ए-वारदात मिला था।
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पुलिस के सामने किया गुनाह कबूल
इसके बाद अयूब ने किसी रट्टू तोते की तरह पुलिस के सामने रात का सारा किस्सा सुना दिया। उसने बताया वो रईसुद्दीन के छोटे भाई का बेटा है। रईसुद्दीन कपड़े का कारोबार करते थे। अयूब ने एक बार अपने ताऊ यानी रईसुद्दीन से 10 लाख रुपये उधार मांगे थे। रईसुद्दीन ने इतनी बड़ी रकम इसलिए देने से इनकार कर दिया था क्योंकि अयूब ने रईसुद्दीन को उन रुपयों के इस्तेमाल के बारे में साफ साफ कुछ नहीं बताया था।
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रुपये उधार देने से किया था इनकार
उधार रुपये देने से इनकार करने के बाद अयूब ने रईसुद्दीन को अपना दुश्मन मान लिया साथ ही उसने पूरे परिवार से ही रंजिश पाल ली थी। इतना ही नहीं। रईसुद्दीन का इनकार अयूब को इस कदर नागवार गुजर गया कि उसने पूरे परिवार को ही खत्म करने का इरादा कर लिया। उसी दिन के बाद से उसने हत्या की प्लानिंग शुरू कर दी थी। और इस प्लानिंग को अमल में लाने की गरज से अयूब ने सबसे पहले एक पिस्तौल का इंतजाम किया। जो उसे उसके ही दोस्त के जरिए हासिल हुई थी।
रात में आया, खाया, सोया और फिर…
28 जून 2021 को अयूब को खबर मिली कि रईसुद्दीन का बड़ा बेटा घर पर नहीं होगा। वो किसी रिश्तेदार के घर शहर से बाहर गया हुआ है। तब अयूब उस रात अपने ताऊ रईसुद्दीन के घर पहुँच गया। घर पहुँचने के बाद उसकी ताई यानी फातिमा ने उसे बाकायदा खाना खिलाया और रात ज्यादा होने की वजह से उसे वहीं रोक लिया अगले दिन जाने को कहा। अयूब ने ऐसा जाहिर किया कि उसने अपनी ताई की बात मान ली। ताई ने ही उसके बिस्तर भी लगाए और उसे अपने बेडरूम के बगल वाले कमरे में सोने के लिए भेज दिया।
परिवार के लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग
करीब आधी रात के बाद जब घर के तमाम लोग सो रहे थे तब अयूब अपने कमरे से उठा और सीधा रईसुद्दीन के कमरे में पहुंच गया। फिर वहां सो रहे रईसुद्दीन और फातिमा पर उसने पिस्तौल से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग के साथ चीख पुकार की आवाज सुनकर रईसुद्दीन के दोनों बेटे अज्जू और इमरान जाग गए। इससे पहले वो दोनों अपने पिता के कमरे की तरफ जा पाते, अयूब ने उन दोनों को उनके ही कमरे में गोली मार दी। चारो लोगों को गोली मारने के बाद अयूब बड़ी ही आसानी से रात के अंधेरे में घर से निकला और फरार हो गया। अयूब ने जिन चार लोगों को गोली मारी उसमें तीन लोगों की तो मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि फातिमा बुरी तरह से घायल हो गई थी लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी।
शर्ट का गुलाबी बटन टूट गया
हालांकि जिस वक्त अयूब हत्या की वारदात को अंजाम दे रहा था तभी उसकी शर्ट का गुलाबी बटन टूटकर वहीं गिर पड़ा था। जो पुलिस को अगले रोज मौके की तलाशी लेते वक्त मिला था। वैसे तो ये मामूली सा सुराग था लेकिन पुलिस ने बड़ी ही सफाई के साथ सारी बिखरी हुई कड़ियों को जोड़ा तो इस बटन ने पुलिस की उलझन को एक ही झटके में सुलझा दिया और उसे कातिल के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया। पुलिस की तफ्तीश में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ जिसने हत्या के इस केस को एक जबरदस्त मोड़ दे दिया था। असल में पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आई थी कि जिस इलाके में रईसुद्दीन रहता है वहां मोहल्ले में कई सीसीटीवी भी लगे हुए थे, लेकिन अयूब को पता चल चुका था कि उस मोहल्ले के ज़्यादातर सीसीटीवी काम ही नहीं कर रहे। इस बात को पक्का करने के बाद ही उसने 28 जून को हत्या की साजिश को अंजाम देने का इरादा किया था।
तीन महीने बाद चार्जशीट दाखिल
अयूब को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया और 27 सितंबर 2021 को पुलिस ने अयूब के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। उसी चार्जशीट के आधार पर एडीजे 3 कोर्ट के न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा की कोर्ट में 13 गवाह पेश किए गए। पुलिस ने अदालत में जो सबूत और गवाह पेश किए उसके आधार पर न्यायाधीश पवन कुमार ने अयूब को बीती 7 मार्च को दोषी करार दिया और फांसी की सजा के साथ साथ 80 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
अदालत के फैसले पर संतुष्टि
हालांकि अदालत में अयूब के वकील ने दलील दी थी कि अयूब के घर में कोई कमाने वाला नहीं है और उसकी पत्नी के साथ साथ बच्चे भी हैं। इसलिए उसके साथ कुछ हमदर्दी बरती जाए। सरकारी वकील की दलील यही थी कि उसके जैसे संगीन अपराधी को समाज में खुला छोड़ना घातक हो सकता है। अदालत के फैसले के बाद रईसुद्दीन की बहू और मृतक अज्जू की पत्नी ने राहत का इजहार किया और फैसले पर संतुष्टि जाहिर की।
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