एक PIL ने इसलिए बढ़ा दी आनंद मोहन की मुश्किलें, रिहाई का मामला पहुँच गया हाईकोर्ट
Anand Mohan: बिहार में आनंद मोहन की रिहाई का मामला अब पटना हाईकोर्ट में पहुंच गया है जहां एक जनहित याचिका में उसकी रिहाई के फैसले को चुनौती दी गई है।
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जेल से अपनी रिहाई की बात सुनकर कौन सा कैदी ऐसा हो जो खुश न हो...ऐसा ही हाल इन दिनों बिहार के बाहुबलि और उम्रकैद की सजा पा चुके डॉन आनंद मोहन का भी है। क्योंकि सरकार की तरफ से कुछ ऐसे उपाय किए गए ताकि नियमों कुछ इस कदर कमजोर पड़ जाएं और आनंद मोहन की जेल की सलाखें ढीली पड़ जाएं...
लेकिन लगता है कि उनकी मुश्किलें अभी खत्म नहीं होने वाली क्योंकि रिहाई के आदेश होने के बावजूद आनंद मोहन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जेल मैन्यूएल में जो बदलाव किए गए हैं उसके खिलाफ एक जनहित याचिका पटना हाईकोर्ट में दाखिल कर दी गई है...और ये जनहित याचिका अब पूर्व सांसद और बाहुबलि नेता आनंद मोहन और उनके परिवार के इत्मिनान का इंतजार बढ़ा सकती है।
दरअसल आईएएस जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई सरकार के जिस फैसले के कारण संभव हो पाई है, अब उसी फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
बुधवार को पटना हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका की वजह से आनंद मोहन बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं।
बुधवार को पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस जनहित याचिका में सरकार की तरफ से जेल मैनुअल में किए गए बदलाव को निरस्त करने की मांग की गई है। कोर्ट से यह मांग की गई है कि वह सरकार की तरफ से जेल मैन्यूएल में किए गए संशोधन पर रोक लगाए। इस बदलाव को याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी बताया है। याचिकाकर्ता अमर ज्योति की तरफ से हाईकोर्ट के सामने जेल मैन्यूएल को लेकर आग्रह किया गया है।
याचिकाकर्ता ने यह कहा है कि बीते 10 अप्रैल को जिस तरह जेल मैन्यूएल में बदलाव करते हुए सरकारी सेवक की हत्या वाले हिस्से को हटाया गया वह गैरकानूनी है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि सरकार के इस फैसले से सरकारी सेवकों का मनोबल गिरेगा।
याचिका में बिहार सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है। बीते 10 अप्रैल की बिहार कारागार नियमावली, 2012 के नियम 481(i)(क) में संशोधन करते हुए “ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक की हत्या” वाक्य को हटाया गया था, इसी के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता अमर ज्योति एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, याचिकाकर्ता की वकील अलका वर्मा हैं।
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आनंद मोहन पर पड़ेगा असर
आपको बता दें कि जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन अगर जेल से रिहा हो रहे हैं तो इसके लिए सरकार का वो फैसला जिम्मेदार है, जिसमें जेल मैन्यूएल के अंदर संशोधन किया गया था। आनंद मोहन को जी कृष्णैया हत्याकांड में निचली अदालत ने 3 अक्टूबर 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी, हालांकि बाद में 10 दिसंबर 2008 को पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को उम्र कैद में बदल दिया। 10 जुलाई 2012 को आनंद मोहन ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया था। अब आनंद मोहन परिहार के निर्णय के बाद जेल से बाहर आ चुके हैं और उनकी रिहाई में सबसे बड़ी समस्या रही जेल मैनुअल के अंदर सरकारी सेवकों की हत्या से जुड़े नियम को सरकार में बदल दिया था। आनंद मोहन की रिहाई के पहले ही मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच चुका है और इसका सीधा असर आनंद मोहन के आने वाले भविष्य पर पड़ेगा।
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