मिसाइल से कम नहीं 'पेगासस' पर नया ख़ुलासा, NYT का दावा, भारत इज़राइल डिफेंस डील का ये है सच
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एक हैडिंग सब पर भारी
LATEST WORLD NEWS: ‘THE BATTLE FOR THE WORLDS MOST POWERFULL CYBERWEAPON’ इस अकेली सुर्खी ने एक बार फिर पूरी दुनिया को जुबानी जंग के मैदान में लाकर खड़ा कर दिया है। अमेरिका के द न्यू यॉर्क टाइम्स की ये पर्दाफ़ाश करने वाली स्टोरी ने पूरे संसार में खलबली मचा दी है। न जाने कितने सियासी सिंहासन डोलने लगे और न जाने कितनी ही सरकारों की हालत ऐसी हो गई है जैसे उन्हें अचानक नींद से उठाकर और कोई डरावनी चीज़ दिखा दी गई हो।
ये अख़बार में छपी महज़ एक हैडिंग नहीं बल्कि ये ऐसी ताक़तवर सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसने एक ही झटकों में कई मुल्कों की सियासत की बखिया उधेड़कर रख दी। इस हैडिंग को लेकर अगले कई दिनों तक बवाल मचा रहेगा। अगले कई दिनों बल्कि कई हफ़्तों तक ये हैडिंग लोगों को वाणीवीर बनाए रखेगी।
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मिसाइल की तरह गिरी न्यूयॉर्क टाइम्स की हैडिंग
NEWS ABOUT PEGASUS:न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी इस खबर का अगर एक लाइन में लब्बो लुआब निकाला जाए तो सिर्फ इतना है कि न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार का दावा है कि भारत सरकार जैसी कई सरकारों और सरकारी एजेंसियों ने एक डिफेंस डील के तहत इज़राइल से पेगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर ख़रीदा था।
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अखबार का दावा है कि इज़राइली कंपनी NSO ग्रुप क़रीब एक दशक से इस दावे के साथ अपने सबसे ताक़तवर और जासूसी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में क़ानून और खुफ़िया एजेंसियों को बेच रही थी कि इसके जैसा कोई दूसरा नहीं। यानी जो काम ये सॉफ्टवेयर कर सकता है ऐसा काम करने के लिए दुनिया में दूसरी चीज़ बनी ही नहीं।
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प्रधानमंत्री की यात्रा में छुपा राज
WORLD CRIME IN HINDI:इसी न्यू यॉर्क टाइम्स की खबर में इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि 2017 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल की यात्रा की थी। हालांकि ये वही दौर था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक के बाद एक कई मुल्कों की लगातार यात्रा कर रहे थे और उनकी तरफ अपनी दोस्ती को मज़बूत करने की मुहिम में लगे हुए थे।
लेकिन न्यू यॉर्क टाइम्स ने जिस अंदाज़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा का ज़िक्र अपनी ख़बर में किया है, उससे कहीं न कहीं इस बात का इशारा जरूर मिल जाता है कि ये यात्रा महज़ एक इत्तेफ़ाक नहीं, क्योंकि भारत के किसी प्रधानमंत्री की ये पहली इज़राइल यात्रा है।
भारत और इज़राइल के बीच डिफेंस डील
INDIA AND ISRAEL NEWS:और इस यात्रा के दौरान भारत और इज़राइल के बीच लगभग 2 अरब डॉलर की डील हुई थी। इस डील में जंगी हथियार और खुफिया उपकरण के सौदे को अंतिम रूप दिया गया था। और उस सौदे में खुफिया उपकरण के तौर पर स्पाइवेयर पेगासिस और एक मिसाइल प्रणाली को ख़ास तवज्जो दी गई थी।
द न्यू यॉर्क टाइम्स की ख़बर में ये भी दावा किया गया है कि इज़राइल के उस जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस अमेरिका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी फेडेरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन यानी FBI ने भी ख़रीदा था। और इसे सिर्फ ख़रीदा ही नहीं था बल्कि बाक़ायदा इसका टेस्ट भी किया गया था।
इस नई धमाकेदार सनसनीखेज़ खबर में ये बात को खुलकर उजागर किया गया है कि इज़राइली जासूसी सॉफ़्टवेयर को पूरी दुनिया में कैसे इसका इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में यही दावा किया गया है कि इज़राइली रक्षा मंत्रालय के साथ हुई डील में पेगासस को पोलैंड, हंगरी और भारत के साथ साथ कई और देशों में भी बेचा गया है।
असल में डील के पीछे थी ये वजह
A NEWS OF NEW YORK TIMES: न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी ख़बर में इस बात को साफ साफ लिखा गया है कि भारत और इज़राइल के बीच ये सौदा किस वजह से अंजाम तक पहुँचा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच असल में वो कौन सी डील थी कि दोनों नेता इस सौदेबाज़ी को उसके मुकाम तक पहुँचाने में कामयाब रहे।
न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी खबर में लिखा है कि "भारत ने एक नीति बना रखी थी। फिलिस्तीन के साथ भारत की नज़दीकी ज़्यादा थी इसलिए उसके प्रति प्रतिबद्धता की बात की जाती थी जबकि इज़राइल के साथ दोस्ताना संबंध तो थे मगर रिश्ते ठंडे थे।
इस हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल की यात्रा की थी। और दुनिया को दिखाने के लिए कि उनके बीच बहुत अच्छी कैमिस्ट्री है वो दोनों नेता एक साथ एक बीच पर पहुँचे। मगर असल में पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और थी।
एक दूसरे की पीठ खुजाने की डील
LATEST PEGASUS NEWS IN HINDI:न्यू यॉर्क टाइम्स में दिए गए पेगासस डील और फिलिस्तीन से लिंक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इज़राइल यात्रा के कुछ दिनों बाद ही इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू भारत की यात्रा पर गए थे और वो भी सरकारी तौर पर।
जबकि इन दोनों यात्राओं के पीछे एक ही मक़सद था किसी भी तरह संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के बढ़ते कद को रोकना। क्योंकि जून 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में इज़राइल के समर्थन में वोट डाला था ताकि फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा न मिल सके।
पेंच इस बात को लेकर है कि इस डील के बारे में न तो इज़राइल की सरकार कुछ बता रही है और न ही भारत की सरकार ने माना है। और अब ये बात पूरी दुनिया जान ही चुकी है कि ये पेगासस कितना ख़तरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर है।
इजराइल के NSO ग्रुप के दावे के मुताबिक इसे सरकार या फिर सरकार की देख रेख में चलने वाली सुरक्षा एजेंसियों को ही बेचा जाता है। क्योंकि इस सॉफ्टवेयर की क़ीमत अरबों डॉलर में है जो कोई व्यक्तिगत तौर पर न तो ख़रीद सकता है और न ही इसे अफोर्ड कर सकता है। ज़ाहिर है भारत में न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी खबर का जिन्न एक बार फिर बोतल से निकल आया है।
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