तालिबान की 'जेल' में इंसानों को चबा रहे हैं 'कैदी'!
patient become man-eaters in Taliban run rehab centre तालिबान की 'जेल' में इंसानों को चबा रहे हैं 'कैदी'!
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अफगानिस्तान को तालिबान के कब्ज़े में गए 6 महीने गुज़र चुके हैं, मगर अभी तक तालिबानियों को सरकार संभालना और देश चलाना नहीं आया है। देश का हर इंसान तालिबान की इस बदइंतज़ामी से परेशान है, अब तो आलम ये है कि लोगों की ज़िंदगी पर आ बनी है, और एक दूसरे को ज़िंदा चबाने लगे हैं इंसान।
तालिबान की वजह से जिन लोगों की ज़िंदगी पर खतरा बना है उनमें सबसे ज़्यादा वो लोग हैं, जो बेघर हैं और नशे की वजह से रिहैब सेंटरों में बंद हैं। असल में इन्हें रिहैब सेंटरों नहीं कहना चाहिए बल्कि इन्हें अफगानिस्तान के कुछ अस्पतालों में बंद किया गया है, जो किसी कॉन्सेंट्रेशन कैंप से कम नहीं हैं। यहां पर उनके साथ ज्यादतियां हो रही हैं।
एक अंग्रेज़ी अखबार ने काबुल के एक ऐसे ही अस्पताल की तस्वीरें छापी हैं, जो इन हालातों को बयां कर रही हैं, बेहद भयानक इन तस्वीरों में कमरों के अंदर नशा करने वाले लोगों को ठूस कर रखा गया है। खबर है कि इन लोगों को न के बराबर खाना दिया जा रहा है, लिहाज़ा भूख की वजह से कई लोग घास खाने को मजबूर हो गए हैं। खबर तो यहां तक है कि कुछ ने बिल्लियों और इंसानी मांस को खाकर जिंदा रहने शुरू कर दिया है।
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ड्रग की समस्या को अपने तानाशाही तरीकों से खत्म करने के लिए तालिबान ने अस्पतालों को ही रिहैब सेंटर्स बना दिया है, जहां हजारों लोग भर्ती हैं। मगर यहां कि व्यवस्था इतनी खराब है कि कैदी आदमखोर बनते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने ऐसे ही एक अस्पताल से रिकवर होकर आए शख्स ने खुलासा किया है कि उन लोगों ने एक व्यक्ति को जान से मार दिया और उसकी लाश को जलाया, कुछ लोगों ने उसकी आंतों को खाया।
अब्दुल नाम के एक दूसरे कैदी ने बताया कि मरीजों के लिए भूखे रहना एक आम बात बन चुकी है, इस वजह से कई लोगों की मौत हो रही है। लिहाज़ा ज़िंदा रहने के लिए कुछ लोग आसपाल मौजूद जानवरों को भी मारकर खा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान लंबे वक्त से अवैध अफीम और हेरोइन का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है। साल 2017 में अफगानिस्तान ने दुनिया में अकेले ड्रग्स की 80 प्रतिशत से ज़्यादा की सप्लाई की थी, इस साल 1.4 अरब डॉलर का ड्रग्स का व्यापार किया गया। तालिबान ने अपनी आय के मेन सोर्स अफीम के व्यापार पर ही भरोसा किया है। यही वजह है कि ज़्यादा पैदावार की वजह से ना सिर्फ ड्रग्स सस्ता हो गया है, बल्कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसका नशा करने लगे हैं।
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