94 साल में दूसरी बार संसद के भीतर फिर हुआ धुआं, फिर गूंजे नारे
After 94 year fume in sansad bhawan: 94 साल छह महीने पहले दिल्ली की संसद के भीतर सेंट्रल एसेंबली में पहली बार धुआं देखा गया था।
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Parliament Loksabha Security Breach: 94 साल छह महीने पहले दिल्ली की संसद के भीतर सेंट्रल एसेंबली में पहली बार धुआं देखा गया था जब भारत के शहीद ए आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ के दौरान बम फेंककर उस बिल का विरोध किया था। और पूरे साढ़े 94 साल के बाद एक बार फिर भारत की संसद भवन में रंगीन धुआं उड़ता देखा गया।
इतिहास खुद को दोहराता भी है
कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता भी है। आजाद भारत की संसद भवन में अभी तक ऐसा कभी नहीं देखा गया कि किसी परिंदे ने संसद भवन के भीतर घुसने की कोई हिम्मत नहीं दिखा सका। लेकिन 13 दिसंबर 2023 को जो कुछ हुआ ठीक वैसी हरकत आजाद भारत से पहले तब हुई थी जब शहीद ए आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल एसेंबली में बम फोड़कर धमाका किया था।
पब्लिक सेफ्टी बिल का विरोध
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने उस वक्त पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में बम फेंका था इत्तेफाक से उस वक्त वो दोनों भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। और पूरे साढ़े 94 साल के बाद एक बार फिर जिन दो लोगों ने संसद के भीतर धुआं धुआं किया वो भी दर्शक दीर्घा से ही मुख्य हाल में कूदे और कलर क्रेकर के जरिए रंगीन धुआं छोड़ा।
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दर्शक दीर्घा से लगाई छलांग
शीतकालीन सत्र के दौरान जिस समय सदन की कार्यवाही चल रही थी उसी दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से छलांग लगाते हैं और कलर स्मोक जलाकर पूरी लोकसभा को धुआं धुआं कर देते हैं। हालांकि उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन ये घटना संसद भवन के इतिहास की सबसे अनोखी घटनाओं में से एक जरूर हो गई।
94 साल पहले हुआ था धमाका
94 साल पहले बात 8 अप्रैल 1929 की है। जब दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में वायसराय 'पब्लिक सेफ्टी बिल' पेश किया जा रहा था। इस बिल के पास होने के बाद ही वो कानून बनने वाला था। उस समय भी दर्शक दीर्घा खचाखच भरी हुई थी। लेकिन अचानक उस वक़्त सदन में हंगामा मच गया, जब बिल पेश किया गया। उसी वक़्त सदन में एक जोरदार धमाका हुआ और दो लोगों ने इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगते हुए सदन के बीचो बीच बम फेंका।
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अंधेरे में डूब गया था हॉल
वो धुएं का बम फेंकने वाला कोई और नहीं बल्कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त थे। अपने इस विरोध के बाद जब बम फेंकने के बाद गिरफ्तार हुए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ये बात साफ कर दी थी कि संसद में धमाका करते समय इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा गया था कि बम फटने के बाद आवाज बेशक जोरदार हो लेकिन किसी की जान को कोई नुकसान न हो। जैसे ही भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने वो बम फेंके तो जोरदार आवाज के साथ धमाका हुआ और असेंबली हाल पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया था। लेकिन धमाके की वजह से भवन के भीतर अफरा तफरी मच गई थी और लोग मुख्य दरवाजे से बाहर निकलने के लिए भागने लगे थे।
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भारतीय नौजवानों के हीरो बने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त
लेकिन बम फेंकने वाले दोनों क्रांतिकारी वहीं खड़े होकर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। साथ ही वो दोनों भवन के भीतर कुछ पर्चे भी फेंक रहे थे। उन पर्चों पर लिखा हुआ था कि बहरे कानों को सुनाने के लिए धमाकों की जरूरत पड़ती है। इसके बाद दोनों ने खुद को ही पुलिस के हवाले भी कर दिया था। इस घटना ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को भारत के भीतर हीरो बना दिया था।
94 साल बाद फिर गूंजे नारे फिर हुआ धुआं
इस घटना के पूरे 94 साल के बाद एक बार फिर संसद भवन की लोकसभा में एक बार फिर धुआं नजर आया है। एक बार फिर नारे गूंजते सुनाई पड़े। एक बार फिर लोकसभा में अफरा तफरी नज़र आई। एक बार फिर वहां सांसदों के चेहरे पर दहशत दौड़ती दिखाई पड़ी। 94 साल पहले भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को असेंबली कांड में दोषी पाया गया था और दोनो को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद बटुकेश्वर दत्त को काला पानी की सजा पर अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल भेज दिया था।
तारीख का अजीब इत्तेफाक
क्या अजीब इत्तेफाक है जब 13 दिसंबर 2023 को नए संसद भवन की लोकसभा में धुआं धुआं हुआ ठीक 22 साल पहले दिल्ली की पार्लियामेंट पर इसी तारीख को आतंकी हमला हुआ था। तब पाकिस्तान से आए जैश ए मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद की सुरक्षा को धता बताकर संसद भवन में घुसने की कोशिश की थी और उस हमले में चार जांबाज सुरक्षा कर्मियो को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मगर उन जांबाज वीरों की बदौलत ही संसद भवन पर हुआ ये आतंकी हमला निष्क्रिय कर दिया गया था और पांचों आतंकियों को मार गिराया गया था।
पकड़े गए धुआं करने वाले
संसद भवन के उस आतंकी हमले के पूरे 22 साल के बाद भारत की लोकसभा को धुआं धुआं करने वाले दो लोगों को सुरक्षा कर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया है। उन दोनों ने ऐसा क्यों किया, किसके इशारे पर किया और इस हरकत को करने के पीछे उनका असली मकसद क्या था इसके बारे में अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।
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