सुरंग में फंसी 40 मजदूरों की जान, बचाने की जंग जारी, सुराख से ऑक्सीजन, पाइप से खाना

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सुरंग में फंसी 40 मजदूरों की जान, बचाने की जंग जारी, सुराख से ऑक्सीजन, पाइप से खाना
टनल में फंसे मजदूरों को पाइप में कंप्रेसर के जरिए खाने पीने का चीज पहुँचाई जा रही है
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Tunnel Collapse in Uttarkashi: उत्तराखंड में एक दो नहीं पूरी चालीस लोगों की जान मौत के पंजे में फंसी हुई है...किसी भी वक्त मौत उन्हें अपना निवाला बना सकती है। असल में उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा में एक निर्माणाधीन टनल के धंसने से उसमें मजबूर फंस गए जिन्हें निकालने का काम बहुत तेजी से जारी है। इस मुश्किल काम के इस मिशन में सबसे हैरान करने वाला मंजर ये है कि यहां पाइपलाइन में कंप्रेसर के जरिए एक दबाब बनाकर टलन में फंस गए मजदूरों को खाना और पानी भेजा जा रहा है। 

उत्तरकाशी की टनल में फंसे हैं 40 मजदूर

रविवार को तड़के हुआ हादसा 

असर में दीपावली के रोज उत्तरकाशी में रविवार को तड़के एक हादसा हुआ। ब्रह्म खाल यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमाग्र पर सिलक्यारा में डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा अचानक टूट गया। जिसकी वजह से उस टनल में काम कर रहे करीब 40 मजबूर अंदर फंस गए। सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए मलबा हटाने का काम तो तेजी से शुरू हो गया। 

पाइपलाइन के जरिए ही ऑक्सीजन

मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को जुटाया गया है। वॉकी टॉकी से टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क भी बनाया गया है। अब तक की खबर के मुताबिक टनल में फंसे तमाम मजदूर अभी पूरी तरह से सुरक्षित हैं। टनल में फंसे मजदूरों को पानी की आपूर्ति के लिए बिछाई गई पाइपलाइन के जरिए ही ऑक्सीजन भेजी जा रही है। उसी पाइपलाइन से कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर मजदूरों तक चने के पैकेट भेजे गए हैं। 

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छह राज्यों के मजदूर फंसे

टनल में जिन राज्यों के मजदूर फंसे हैं उनमें बिहार के चार, उत्तराखंड के दो, बंगाल के तीन, यूपी के आठ, उड़ीसा के पांच झारखंड के 15 असम के दो और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है। सिलक्यारा कंट्रोल रूम की तरफ से बताया गया है कि वॉकी टॉकी के जरिए टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क किया गया है। और अब तक की जानकारी से पता चला है कि अंदर फंसे सभी मजदूर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। भीतर फंसे हुए लोगों तक खाने के पैकेट भिजवाये जा रहे हैं। बताया जा रहा है जो हिस्सा टनल का टूटकर गिरा है वो टनल के मुख से करीब 60 मीटर भीतर है। सुरंग चार धाम आल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है। आधिकारिक तौर पर ये भी जानकारी दी गई है कि करीब 160 बचाव कर्मी ड्रिलिंग मशीनों और खुदाई करने वाली मशीनों के जरिए टनल के उस हिस्से से मलबा हटाने में जुटे हैं जो टूटकर गिर गया। इसके अलावा ये काम और तेजी से हो सके उसके लिए प्रशासन की तरफ से कुछ और बड़ी हैवी मशीनों को मंगवाया गया है। 

टनल में फंसे तमाम मजदूर अभी तक सुरक्षित हैं

मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

इस बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात का जायजा लिया और जानकारी के लिए रुहेला से बात की साथ ही हिदायत दी कि हर मुमकिन तरीके से टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित ही बाहर निकाला जा सके तभी राज्य में असली दीवाली होगी। सीएम धामी ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि मैं हादसे की जगह मौजूद तमाम आला अधिकारियों के संपर्क में हूं और लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए हूं। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि तमाम मजदूर सुरक्षित अपने घर पहुँचें। 

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डिले हुआ प्रोजेक्ट

बताया जा रहा है कि जिस सड़क पर आल वेदर सड़क का काम चल रहा है उससे उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर करीब 28 किलोमीटर कम हो जाएगा। इस टनल की लंबाई करीब 4.5 किलोमीटर बताई जा रही है। और अब तक इससुरंग के भीतर करीब 4 किलोमीटर की सड़क का निर्माणा कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि इस टनल को सितंबर 2023 तक पूरा होने का लक्ष्य था लेकिन इस प्रोजेक्ट में देरी हो गई है और अब माना जा रहा है कि मार्च 2024 तक इस टनल का कार्य पूरा हो जाएगा। 

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