Pulwama Attack 4 Year Anniversary: हमले के चार साल बाद भी सच सुनकर सिहर उठते हैं लोग, सिर्फ 12 दिन में ऐसे लिया गया था बदला

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Pulwama Attack 4 Year Anniversary:  हमले के चार साल बाद भी सच सुनकर सिहर उठते हैं लोग, सिर्फ 12 दिन...
पुलवामा हमले के चार साल
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Pulwama Attack 4 Year Anniversary: ठीक चार साल पहले, 14 फरवरी 2019 की दोपहर करीब 3.36 मिनट पर हिन्दुस्तान के तमाम टीवी चैनलों की स्क्रीन पर एक ही खबर ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर चलने लगी थी। शुरू शुरू में तो हर कोई बस यही समझ रहा था कि ये कोई दूसरे आतंकी हमलों जैसा है जिसकी खबरें अक्सर जम्मू कश्मीर से सामने आती रहती थीं। लेकिन चंद मिनटों में ही तस्वीर साफ होने लगी। जैसे ही ये खुलासा हुआ कि इस आतंकी हमले का शिकार CRPF का पूरा कारवां था और हमले में वो गाड़ी एक बड़े धमाके के साथ उड़ गई जिस पर सवार होकर 44 जवान जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे। खुलासा ये भी हुआ था कि ये धमाका एक कार को ट्रक से भिड़ा कर किया गया था। और इस हमले ने भारत के 40 से ज़्यादा जांबाज सिपाहियों को शहीद कर दिया था। 

हमले के बाद पुलवामा हाईवे का वो मंजर कितना भयानक था जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता

बस फिर क्या था पूरा का पूरा हिन्दुस्तान ग़म और गुस्से की आग में उबलने लगा। क्योंकि इस हमले के बाद की जो तस्वीरें सामने आनी शुरू हुई तो देखी नहीं गईं। कुछ ही देर में ये बात भी साफ हो गई कि उस कायराना हमले के पीछे पाकिस्तान की सरपरस्ती में सांस ले रहे आतंकी संगठन जैश –ए- मोहम्मद के आतंकियों ने अंजाम दिया। खुफिया एजेंसियों के हवाले से खबर दी गई कि इस हमले को अंजाम देने के लिए जैश ए मोहम्मद का मौलाना अजहर मसूद ही ज़िम्मेदार है जिसके सिखाये फिदाइन आतंकियों ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया था। 
 

पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान

इत्तेफाक से उसी रोज़ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिस्कवरी चैनल के ब्रेयर ग्रिल के साथ मैन वर्सेज वाइल्ड शो की शूटिंग में मशरूफ थे। शाम होते होते प्रधानमंत्री को भी इस हमले की खबर लग गई और उसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में एक बात पूरी तरह से साफ कर दी कि चाहे जो कुछ हो जाए इस हमले का बदला तो लिया जाएगा, चाहें जो कुछ हो जाए। 

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इस आतंकी हमले के बाद हिन्दुस्तान अपनी तैयारियों में जुट गया और पाकिस्तान के साथ तनाव हर रोज बढ़ता चला गया। आलम ये हो गया कि दोनों ही देश क़रीब क़रीब जंग की कगार पर जाकर खड़े हो गए। और इससे पहले पाकिस्तान कुछ और समझ पाता या कुछ विचार कर पाता। भारत ने मौका पाकर ठीक 12 वें रोज़ यानी 26 फरवरी को बालाकोट पर स्ट्राइक करके अपने जांबाज़ शहीदों का बदला ले लिया। भारत की वायू सेना ने 26 फरवरी की रात को बालाकोट में एयरस्ट्राइक करके बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के सैकड़ों आतंकियों को ढेर कर दिया। 

पुलवामा में हुए हमले के बाद भारत की खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया तो मालूम हुआ कि आदिल अहमद डार, सज्जाद भट्ट, मुदसिर अहमद खान जैसे आतंकियों ने इस हमले में अहम रोल निभाया था। इन सभी आतंकियों को बाद में सेना ने अलग अलग मुठभेड़ में मौत के घाट उतार दिया। इस मामले की तफ्तीश की थी राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने। अपने 13 हज़ार से ज़्यादा पन्नों की चार्जशीट में एनआईए ने हमले की रूपरेखा से लेकर उसे अंजाम तक पहुँचाने का पूरा ब्यूरो सिलसिलेवार लिखा। साथ ही इस हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और पाकिस्तान की हद में रह रहे आतंकियों की भूमिका का भी ज़िक्र किया गया था। संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के कई मुल्कों ने पुलवामा में आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी और आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देने का ऐलान भी कर दिया था। 

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हमले के बाद तिरंगे में लिपटे शहीदों के शवों को देखकर सारा देश रो पड़ा था

इसका सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि भारत ने बिना देरी किए दुश्मन मुल्क के सामने ये बात साफ कर दी कि भारत किसी भी सूरत में आतंकी वारदात को अपनी ज़मीन पर बर्दाश्त नहीं कर सकता और ज़रूरत पड़ी तो घर में घुसकर मारेंगे। और इसी सिद्धांत पर काम करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को खुलकर कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी। 

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26 फरवरी को भारतीय वायू सेना ने हमले की रणनीति तैयार की और रात करीब 3 बजे 12 मिराज 2000 लड़ाकू जहाजों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पहली दफा पार किया और बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर सिर्फ 14 मिनट में ही वापस अपनी हद में लौट आए। 40 मिनट के इस ऑपरेशन ने सारी दुनिया में भारतीय सेना का डंका बजा दिया जबकि पाकिस्तान की चूलें हिल गईं। 

सूत्रों के हवाले से ये दावा किया गया कि बालाकोट हमले में पाकिस्तान के करीब 300 आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया। हालांकि इसकी पुष्टि आजतक नहीं हो सकी, क्योंकि पाकिस्तान ने इस हमले के बाद उस इलाके में किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी थी और बाद में वहां की साफ सफाई के बाद उसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिखाया था और साथ में सुनाई थी एक ऐसी कहानी जिस पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था। उस कहानी में भारतीय जांबाज वायूसेना की बहादुरी के क़िस्से नहीं थे बल्कि एक नाकामयाब ऑपरेशन का ज़िक्र था। जिस पर कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा था। 

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