कटा हुआ सिर मेरे सीने पर गिरा, ट्रेन हादसे के चश्मदीद की खौफनाक कहानी

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ट्रेन हादसे के चश्मदीद की खौफनाक कहानी
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Odisha Horrible Story: ओडिशा के बालासोर में गत दो जून को हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद एक साथी यात्री का कटा हुआ सिर देखकर असम निवासी 27 वर्षीय व्यक्ति अब भी सदमे में है और भोजन नहीं कर पा रहा है। सोनितपुर जिले के उत्तर मराल गांव के रूपक दास को असम सरकार द्वारा सोमवार रात बालासोर से गुवाहाटी स्थानांतरित किया गया। उसका इलाज गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में चल रहा है। दास ने मंगलवार को कहा, ‘‘कोरोमंडल एक्सप्रेस की आपातकालीन खिड़की से एक कटा हुआ सिर फुटबॉल की तरह लुढ़क कर मेरे सीने पर आ गिरा।’’

खिड़की से बाहर देखा और मुझे इंजन एक मालगाड़ी के ऊपर दिखा

दास की पांडिचेरी की ट्रेन छूट गई थी और उन्होंने हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस में टिकट लिया था। दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैंने अचानक एक जोर की आवाज सुनी। मुझे पता चल गया था कि ट्रेन पटरी से उतर गई है। मैंने एक खिड़की से बाहर देखा और मुझे इंजन एक मालगाड़ी के ऊपर दिखा। इंजन के बिना भी, हमारी ट्रेन रुकने से पहले कुछ समय तक आगे बढ़ती रही।’’ दास आपातकालीन खिड़की का शीशा तोड़कर कोच से बाहर आए। दो और व्यक्ति भी उनके पीछे-पीछे आए और उनके ऊपर गिर पड़े। दास ने कहा, ‘‘कुछ सेकंड के भीतर ही बेंगलुरू-हावड़ा एक्सप्रेस हमारी ट्रेन में टकरा गई और हमारा कोच लगभग कुचल गया। उस समय, मैंने देखा कि एक व्यक्ति का कटा हुआ सिर फुटबॉल की तरह लुढ़कते आया।'

एक व्यक्ति का कटा हुआ सिर फुटबॉल की तरह लुढ़कते आया

दास ने कहा कि हादसे के बाद से वह ठीक से खाना नहीं खा पा रहे हैं। दास पांडिचेरी में एक गोंद कारखाने में काम करते हैं और उनकी पत्नी एक पेन निर्माण इकाई में कार्यरत हैं। वह अपनी गर्भवती पत्नी को छोड़ने घर आये थे। जीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. अभिजीत सरमा ने कहा कि मरीज की हालत स्थिर है। सरमा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘शिकायत के बाद हमने उनके दाहिने घुटने का एमआरआई स्कैन कराया है। मानसिक सदमे से उबरने के लिए उन्हें सलाह दी जा रही है।’’ दास ने आरोप लगाया कि शुरू में उन्हें सिर्फ बालासोर के एक स्थानीय अस्पताल में रखा गया था और कोई इलाज नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, 'दुर्घटना के एक दिन बाद जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अस्पताल पहुंचीं, तो मैंने उनसे बेहतर इलाज के लिए डॉक्टरों से कहने का अनुरोध किया।’’

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आपातकालीन खिड़की का शीशा तोड़कर कोच से बाहर आए

उन्होंने कहा, ‘‘बनर्जी द्वारा डॉक्टरों को मेरा इलाज करने के लिए कहने के बाद ही मेरा इलाज शुरू हुआ। जब तक कि मैंने वीडियो नहीं बनाया था और उसे फेसबुक पर अपलोड नहीं किया था, तब तक असम सरकार से तब तक कोई संवाद नहीं हुआ था।’’ दास का वीडियो देखकर बालासोर में बसी गोलाघाट की एक असमिया महिला अस्पताल में उनसे मिलने आई। वह दुर्घटनास्थल पर गई, उनका सामान खोजा और उसे वापस दास के पास ले आयी। दुर्घटना में शामिल तीन ट्रेनें हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और एक खड़ी मालगाड़ी थीं। इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले 278 व्यक्तियों में से अब तक 177 शव पहचान के बाद परिजनों को सौंप दिये गए हैं।

(PTI)

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