आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने का मामला : न्यायालय ने केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया
आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने का मामला
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उच्चतम न्यायालय ने गंभीर अपराधों में आरोपित व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को विधि एवं न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में मांग की गयी है कि जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों में आरोप तय किए गए हैं, उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए।
इसके अलावा केंद्र और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, जिन पर गंभीर अपराधों के तहत मामला चल रहा है।
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इस जनहित याचिका में दावा किया गया है कि विधि आयोग की सिफारिशों और अदालत के पहले के निर्देशों के बावजूद केंद्र और निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है।
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याचिका में कहा गया है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के 539 विजेताओं में से 233 (43%) लोगों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की थी।
गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए याचिका में कहा गया है कि 2009 के बाद से गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन मामलों में गैर इरादतन हत्या, डकैती, आपराधिक धमकी देना आदि शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘‘चिंताजनक बात यह है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का प्रतिशत और उनके जीतने की संभावना वास्तव में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है।’’
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