बिना अंतिम संस्कार1 साल से मोर्चरी में सड़ती रही कोविड मरीजों की लाशें, परिवार को बांट दिया था डेथ सर्टिफिकेट!
COVID DEATHS मरने के साल भर बाद भी नहीं हुआ कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार, MORTUARY में सड़ती रही लाशें, एक साल बाद लगा परिवार को पता, खबर सुनकर सदमे में परिवार VISIT CRIME TAK FOR MORE NEWS
ADVERTISEMENT
COVID PATIENTS DEATH
बेंगलुरु में ऐसी लापरवाही के एक नहीं बलकि दो मामले सामने आए हैं। जहां पर मौत को डेढ़ साल के आसापास का वक्त बीत जाने के बावजूद मरने वाले का अंतिम संस्कार तक नहीं हुआ। जबकि अस्पताल की ओर से परिवार को डेथ सर्टिफिकेट मौत के कुछ दिन बाद ही दे दिया गया था। यहां तक की मौत के वक्त कोविड का हवाला देकर परिवार को मरने वालों का चेहरा तक नहीं देखना दिया ।
पहला मामला
ADVERTISEMENT
मौत के साल भर बाद भी अंतिम संस्कार ना होने का पहला मामला बेंगलुरु के राजाजीनगर इलाके का है। यहां पर रहने वाली राजेश्वरी के पास पुलिस का फोन आया कि उनके पिता की लाश उनकी मौत के साल भर बाद भी पास के ही ESIC अस्पताल की मोर्चरी में पड़ी हुई है। ये सुनकर राजेश्वरी के पैरों तले जमीन ही खिसक गई।
राजेश्वरी के पिता मुनिराजू की मौत जुलाई 2020 में कोविड से हो गई थी। अस्पताल ने परिवार को लाश देने से इंकार कर दिया था और खुद ही लाश का अंतिम संस्कार करने की बात कही थी। जब परिवार ने आखिरी बार मुनिराजू को देखने की विनती करी तो उन्हें इसके लिए भी मना कर दिया गया। कुछ रोज पहले ही परिवार ने मुनिराजू की बरसी पर पूजा अर्चना की थी।
ADVERTISEMENT
राजेश्वरी का इस खबर को सुनने के बाद रो-रो कर बुरा हाल है उसके मुताबिक उसके पिता की मौत के 470 दिन बाद उसे बताया जा रहा है कि उनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ है और उनकी लाश इतने दिनों से मोर्चरी में पड़ रही सड़ रही थी। राजेश्वरी के परिवार ने ये खबर अभी तक अपनी मां को नहीं बताया है क्योंकि उन्हें डर है कि वो इस सदमे से नहीं उबर पाएंगी। अब परिवार मुनिराजू के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है।
ADVERTISEMENT
दूसरा मामला
ये मामला भी राजाजीनगर इलाके का है। यहां के चमराजपेट की रहने वाली दुर्गा अपनी दो बेटीयों के साथ रहती थी। दुर्गा के पति की मौत 2019 में हो चुकी थी और वो अकेली दोनों बेटियों का पाल रही थी। एक बेटी की उम्र 14 साल थी जबकि दूसरी बेटी 5 साल की थी। सबकुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक कोविड की दूसरी लहर में दुर्गा भी उसकी चपेट में आ गई।
अब 15 साल की हो चुकी बेटी कीर्थन के मुताबिक 29 जून 2020 को उसकी मां दुर्गा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और काफी खांसी भी थी। लक्षण कोविड के थे लिहाजा दुर्गा इलाके के ही ESIC अस्पताल में भर्ती हो गई।
तीन दिन बाद दुर्गा कोविड से जिंदगी की जंग हार गई और उसकी मौत हो गई। सरकारी कर्मचारियों ने बताया कि उनकी मां का अंतिम संस्कार कर दिया गया है और दुर्गा डेथ सर्टिफिकेट भी परिवार को दे दिया गया।
अब राजाजीनगर थाने की पुलिस ने परिवार को फोन कर बताया है कि अभी तक दुर्गा का अंतिम संस्कार ही नहीं हुआ है और उसकी लाश अस्पताल की मोर्चरी में पड़ी सड़ रही है। इस खबर के बाद दुर्गा की दोनों बेटियों का रो-रो कर बुरा हाल है। आखिरी वक्त में वो अपनी मां का चेहरा भी नहीं देख पाई थीं।
मां-बाप की मौत की वजह से अनाथ हो चुकीं दोनों बेटियों को अब उनकी मौसी सुजाता पाल रही है। दुर्गा की मौत के एक साल होने पर परिवार ने दुर्गा की आत्मा की शांति के लिए उसकी बरसी भी की थी। अब बिना अंतिम संस्कार के बरसी करने पर परिवार चिंता में है। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उन पर और भी कोई विपदा आ सकती है।
बड़ी मुश्किल से अपने घर का गुजारा चला रही सुजाता को समझ नहीं आ रहा है कि वो दुर्गा का अंतिम संस्कार कैसे करे जब लाश की हालत बेहद खराब हो चुकी है। मां की मौत के सदमे से उबरीं दोनों बेटियां मां का अंतिम संस्कार ना होने की खबर से दोबारा सदमे में चली गई हैं।
प्रशासन की इस लापरवाही को लेकर अब कई लोग इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इस मामले में जो भी दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उसे जेल भेजा जाए।
ADVERTISEMENT