गैंग्स्टरों को 'काला पानी' भेजने की तैयारी, NIA ने इस वजह से बनाया है ये 'प्लान'

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गैंग्स्टरों को 'काला पानी' भेजने की तैयारी, NIA ने इस वजह से बनाया है ये 'प्लान'
अब गैंग्स्टरों को भेजा जाएगा 'काला पानी'
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Gangsters to Andamans : तो क्या गैंग्स्टर्स को काला पानी की सज़ा होने वाली है? क्या जिस काला पानी के बारे में अभी तक पढ़ते और सुनते आए थे उसे अब जेलों में बंद गैंग्स्टरों के जरिए आबाद किया जाएगा? आखिर केंद्रीय जांच एजेंसी NIA की उस चिट्ठी में ऐसी क्या खास बात है कि गैंग्स्टरों को काला पानी भेजने के बारे में बात निकली और अब उसे अमली जामा देने की कवायद तेज हो गई है। 

गैंग्स्टरों का नेटवर्क तोड़ने की तैयारी

जेलों में बंद होकर भी बेधड़क हैं गैंग्स्टर

असल में ये बात तो किसी से छुपी हुई है नहीं कि तिहाड़ हो या पंजाब की कोई भी जेल या फिर मुंबई और महाराष्ट्र की बड़ी जेलें...वहां जेल में बंद कैदी खासतौर पर गैंग्स्टर अपना अपना कारोबार बेधड़क होकर चला रहे हैं या चलाते रहे हैं। खुद NIA की पूछताछ में पंजाब के गैंग्स्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ये बात कबूल की कि वो जेल से ही सिंडीकेट चला रहा है। और लोगों को धमकी देने के अपने धंधे से हर महीने 12 से 15 करोड़ रुपये कमा भी लेता है। 

जेलों में गैंगवॉर का खतरा

ये भी देखा गया है कि जेल के भीतर अक्सर गैंगवॉर का खतरा बना ही रहता है। कुछ अरसा पहले टिल्लू तेजपुरिया की हत्या के बाद ये बात सिर उठाने लगी थी कि जेलों में बंद खूंखार कैदियों और गैंग्स्टरों को कैसे और कहां शिफ्ट किया जाए ताकि जेल में गैंगवॉर जैसी वारदात का खतरा कम हो सके। 

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NIA ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी 

अपनी तमाम छानबीन का हवाला देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी NIA ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी और कुछ सिफारिशें भी की थी। उसी चिट्ठी में सबसे पहली और सबसे बड़ी शिफारिश ये थी कि कैदियों को पहले तो एक दूसरे से अलग अलग किया जाए ताकि गैंगवॉर का खतरा कम हो। दूसरा इन गैंग्स्टरों की हरकतों पर लगाम लगाने के लिए भी जरूरी है कि उन्हें ऐसी जेल में भेजा जाए जहां उनके लिए अपना नेटवर्क बनाना आसान न हो ताकि जेल से हो रही वारदात और गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके। 

खूंखार कैदियों को अंडमान की जेल में शिफ्ट करने की तैयारी 

अंडमान की जेल में शिफ्ट करने की सिफारिश 

NIA ने अपनी अपील में सिफारिश की है कि अलग अलग जेलों में बंद करीब 10 से 12 हजार कुख्यात गैंग्स्टरों को दूर दराज की जेलों में शिफ्ट कर दिया जाए। और इस सिफारिश में जिस जेल का नाम सबसे ऊपर आया वो था अंडमान निकोबार की जेल। यानी केंद्रीय जांच एजेंसी ने गृहमंत्रालय से अपील की है कि तिहाड़ से लेकर तमाम जेलों में बंद बड़े और शातिर बदमाश और कुख्यात गैंग्स्टरों को अंडमान की जेल में शिफ्ट कर देना चाहिए, इसके अलावा कुछ नामी बदमाश कैदियों को असम की जेल में भी शिफ्ट करने की सिफारिश की गई है। 

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सिंडीकेट को तोड़ना असली मकसद

आमतौर पर धारणा यही है कि अंडमान निकोबार की जेल को काफी सख्त माना जाता है, अंग्रेजों के दौर में उसे काला पानी भी कहा जाता था। एनआईए ने अपनी सिफारिश के पीछे पूरा गुणा भाग भी समझाया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि ये गैंग्स्टर जेलों से ही अपना गैंग चला रहे हैं और जांच एजेंसी किसी भी सूरत में इन गैंग्स्टरों के सिंडीकेट को तोड़ना चाहती है। लिहाजा सबसे पहले इन लोगों को उन इलाकों से निकालकर ऐसी जेलों में भेजा जाए जहां से वो अपना नेटवर्क खड़ा न कर सकें। 

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तिहाड़ में ही नामी गैंग्स्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या हुई थी

गृहमंत्रालय से लंबी बातचीत

इस सिलसिले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी और गृहमंत्रालय के बीच लंबी बातचीत हुई है और एक प्लान तैयार किया गया है जिसके मुताबिक तमाम बड़े और नामी कैदियों को अलग अलग जेलों में शिफ्ट किया जाएगा और खासतौर पर पंजाब के गैंग्स्टरों को काली पानी भेजा जाएगा। हालांकि ये काम कतई आसान नहीं है क्योंकि एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने का काम भी किसी भी सूरत में आसान नहीं है। इसके अलावा जेल प्रशासन को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

तिहाड़ में क्षमता से ज़्यादा कैदी

तिहाड़ में 16 जेल हैं और इन 16 जेलों में करीब साढ़े दस हज़ार कैदियों की क्षमता है, मगर इस वक़्त तिहाड़ में ही 24 हजार से ज़्यादा कैदी हैं, जिनमें कई तो बेहद खूंखार कैदी है। जिनकी वजह से जेल में अक्सर गैंगवॉर जैसे हालात बनते ही रहते हैं। 

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