सुपरमार्केट में हुए हमले के बाद, न्यूज़ीलैंड ने आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाया ये सख़्त क़ानून

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आतंकवादी समूह ISI से प्रेरित श्रीलंका निवासी द्वारा न्यूजीलैंड के सुपरमार्केट में किए गए भयानक हमले को क़रीब तीन सप्ताह बीत चुके है. मगर न्न्यूजीलैंड के लोगों और सरकार उस ख़ौफ़नाक मंज़र को भुलाए नहीं भुला सकते. सुपरमार्केट में चाकू से किए हमले का दोषी, अहमद आदिल मोहम्मद नाम का शख्स आतंकी संगठन ISI से प्रेरित था. यही वजह थी कि उसने एक के बाद एक सात निर्दोष लोगों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. जिनमें तीन की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है.

अहमद आदिल मोहम्मद समसुद्दीन स्टूडेंट वीजा पर साल 2011 में न्यूजीलैंड में दाखिल हुआ था. समसुद्दीन इससे पहले भी कई बार जेल की सलाखो की हवा छा चुका है पर इसका उस पर कोई असर नहीं हुआ और वो जुर्म जगत का कुख्यात अपराधी बनाता चला गया. हालांकि हमले में अंजाम देने में उसकी कामयाबी की वजह, कुछ हद तक कमी न्यूजीलैंड की लचर क़ानून व्यवस्था की भी रही. जिसके चलते पुलिस अधिकारियों को समसुद्दीन पर केवल नजर रखने के ही आदेश थे. जबकि अधिकारियों को इस बात का भी अंदाज़ा था कि समसुद्दीन हमले की तैयारी कर रहा है.

इसी ख़ौफ़नाक वारदात को याद और करते हुए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैकिडा आडर्न (Jacida Ardern) मीडिया से मुख़ातिब भी हुई. जहां अपने मार्मिक भाषण में उन्होंने कहा कि यह हमला देश के लिए दुर्भाग्यपुर्ण है और रहेगा. यकीनन हम हमारे इतिहास के साथ कुछ बदलाव नहीं कर सकते लेकिन हम हमारा भविष्य सुधार सकते हैं. न्यूज़ीलैंड में इस तरह का हमला भविष्य में ना हो इसलिए हम हमारी क़ानून व्यवस्था में बदलाव करेंगे.

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जिसके बाद 21 सितंबर को संसद शुरू होते ही इसको प्रधानमंत्री की लेबर पार्टी ने इसको लेकर बील भी पेश किया. जिसे मुख्य विपक्षी दल का भी समर्थन मिला. काउंटर- टेररिज़्म लेजिस्लेशन बिल को पारित करवाने के बाद सरकार ने कहा प्रवर्तन एजेंसियों ने लंबे समय इसमें बदलाव की सिफ़ारिश कर रही थी. यह क़ानून पुलिस को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल या ऐसा मक़सद रखने वालों लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस को युद्ध प्रशिक्षण और गिरफ्तारी की क्षमता देगा.

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