एक के बाद एक तीन ताबड़तोड़ झटकों ने नेपाल को याद दिलाई साल 2015 के भयानक भूकंप की

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एक के बाद एक तीन ताबड़तोड़ झटकों ने नेपाल को याद दिलाई साल 2015 के भयानक भूकंप की
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Nepal Earthquake : नेपाल जिस वक़्त आधी रात (Mid Night) के बाद पूरी तरह से नींद में था, लगातार एक के बाद एक झटकों (Trimors) ने उसे ऐसा झकझोरा कि देखते ही देखते समूचे नेपाल को सात साल पहले की एकदम से याद आ गई। जब 2015 में नेपाल की धरती बुरी तरह से कांपी थी और उसके अगले कई दिनों तक नेपाल समेत दुनिया के कई मुल्क ढंग से सो नहीं पाये थे।

नेपाल ने बीती रात एक के बाद एक तीन लगातार तीन झटके महसूस किए। पहला झटका 8 नवंबर को रात करीब 8 बजकर 52 मिनट पर महसूस हुआ, इस झटके से नेपाल को आती हुई नींद उड़ गई।

लोग जैसे ही थोड़ा संभलने की कोशिश में थे तभी 9 बजकर 41 मिनट के आस पास एक बार फिर धरती के भीतर हलचल हुई और समूचा नेपाल घरों से निकलकर सड़कों पर आकर खड़ा हो गया। हालांकि पहले के मुकाबले इस बार धरती थोड़ा कम तेजी से हिली जिसकी तीव्रता क़रीब 3.6 बताई गई।

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Nepal Earthquake : लेकिन आधी रात के बाद यानी 9 नवंबर की सुबह से पहले 1.57 मिनट पर जो झटका लगा तो फिर नींद कोसों दूर भाग गई। बल्कि उसके बाद नेपाल को दहशत ने अपनी आगोश में बुरी तरह से जकड़ लिया। भूकंप के इन झटकों ने एक ही झटके में नेपाल को 2015 की याद दिला दी।

25 अप्रैल 2015 का दिन नेपाल के साथ साथ हिन्दुस्तान कभी नहीं भूल सकता। जब तबाही ने यहां की धरती को 7.9 की तीव्रता से झकझोरा था। उस भूकंप से नेपाल के कई गांव ज़मींदोज़ हो गए थे। जिसकी वजह से नेपाल के कई इलाक़ों में भारी तबाही हुई थी और एक ही झटके में देखते ही देखते कई बिल्डिंग मलबे में तब्दील हो गई थी। जिसकी वजह से मरने वालों की गिनती 8000 का आंकड़ा पार करती दिखाई पड़ने लगी थी।

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Nepal Earthquake : उस बार भूकंप का केंद्र माउंट एवरेस्ट के बेहद नजदीक ज़मीन से करीब 15 किलोमीटर नीचे था। जिसकी वजह से तबाही ने इस तरह ज़मीन के ऊपर अपना सिर उठाया था।

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लेकिन उस तबाही का सिलसिला नहीं थमा था क्योंकि एक महीने के भीतर ही यानी 13 मई 2015 को एक बार फिर नेपाल की धरती 7.3 की तीव्रता से ही हिली थी। तब एक के बाद एक दो झटके लगे थे। उस बार भी पहला झटका रात करीब 2 बजकर 07 सेकंड पर लगा था, जिस की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.2 की ही थी।

लेकिन उसके थोड़ी ही देर बाद 7.3 की तीव्रता से दूसरा भूकंप आया जिसने समूचे नेपाल का वजूद ही हिलाकर रख दिया था। उस बार भूकंप में मरने वालों की तादाद 80 के आस पास थी, जबकि घायल होने वालों की गिनती 1100 के आकंड़े को भी पार कर गई थी।

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